जबलपुर में छात्र संघ चुनाव-अध्यक्ष से लेकर महामंत्री तक लगे चुनाव में
जबलपुर- नगर प्रतिनिधी। छात्र संघ चुनावों मे भाजपा का पूरा संगठन ही कूद गया है। शनिवार को जहां युवा मोर्चा हो या मेन बॉडी सभी के पदाधिकारी कॉलेज – कॉलेज घूमकर विद्यार्थी परिषद् के लिये काम करते दिखे वहीं शनिवार की शाम नगर अध्यक्ष सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओ की विद्यार्थी परिषद् के संगठन महामंत्री के साथ बैठक हुई और दिनभर की घटनाओं पर चर्चा के साथ अगले दिन की रणनिती बनाई गई।
संदीप और विवेक कर रहे समन्वयन
जानकारी के मुताबिक छात्र संघ चुनावों में विद्यार्थी परिषद् को शासन व प्रशासन से पूरी सहायता मिल सके इसके लिये भाजपा के नगर संगठन मंत्री संदीप जैन और भाजपा नेता विवेक शर्मा विक्की को समन्वयक बनाया गया है। जो शनिवार को दिनभर एक सफेद कलर की इनोवा गाड़ी में विद्यार्थी परिषद् के संगठन महामंत्री विजय अटवाल के साथ कॉलेज-कॉलेज घूमते रहे। इस दौरान उनके साथ भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे उपेन्द्र धाकड़ भी साथ में रहे।
प्रज्ञा मंडपम् में हुई बैठक
शनिवार की रात 7 बजे भाजपा नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर की मौजूदगी में भाजपा नेताओ की विजय अटवाल के साथ एक बैठक भी हुई जिसमें संदीप जैन, एमआईसी सदस्य कमलेश अग्रवाल, युवा मोर्चा अध्यक्ष रंजीत पटेल, महिला मोर्चा अध्यक्ष अश्विनी पराजंपे, उपेन्द्र धाकड़ के साथ केसरवानी कॉलेज में प्रोफेसर धु्रव दीक्षित जो विश्वविद्यालय की परीक्षा टीम में भी शामिल है वे भी वहां मौजूद रहे। इनके साथ ही लगभग 50 भाजपा व युवा मोर्चा के पदाधिकारी बैठक में मौजूद रहे।
कांग्रेसी पहुंचे एसपी कार्यालय
छात्र संघ चुनावों में हो रही हिंसा और प्रशासनिक दखल को लेकर आज सुबह कांग्रेस नेता चिंटू चौकसे, अमरीश मिश्रा और एनएसयूआई जिलाध्यक्ष विजय रजक सहित एक प्रतिनिधी मण्डल एसपी से मुलाकात करने पहुंचा जहां उन्होनें पुलिस कप्तान से चुनावो में हो रही अनियमितताओ और हिंसा की बात रखी।
आला पुलिस अधिकारी पीछे के गेट से कर रहे अंदर
शनिवार को जब महाकौशल कॉलेज के सामने अफरातफरी का माहौल बना रहा और एनएसयूआई के नेता भाजपा नेताओं की मौजूदगी पर सवाल उठाते रहे उसी दौरान पुलिस के एक आला अधिकारी महाकौशल कॉलेज के पीछे के गेट से विद्यार्थी परिषद् के नेताओ को अंदर कराते रहे। मेन गेट पर जहां सिविल लाईन टीआई लाठियां भांजते देखे गये वहीं दूसरी तरफ पुलिस के ये अधिकारी भीड़ को पीछे के रास्ते से अन्दर करने में लगे रहे।
विश्वविद्यालय, अलॉयसियस, महाकौशल और जीएस में कांटे की टक्कर
नवयुग, केसरवानी, बरगी, जानकीरमण, डीएनजैन में एबीवीपी को बढ़त
जबलपुर नगर प्रतिनिधी। रविवार के दिन छात्र संघ चुनावो के चलते कॉलेज व विश्वविद्यालय खुले रहे लेकिन कोई भी छात्र कॉलेज नहीं पहुंचे वहीं छात्र नेता रणनीति बनाने में और जो सीआर निर्विरोध निर्वाचित हुए है। उन्हें अपनी ओर लाने की तैयारी में लगे रहे। जानकारी के मुताबिक छोटे कॉलेजो को छोड़ दे तो विश्वविद्यालय, अलॉयसियस, महाकौशल और जीएस कॉलेज में दोनो ही संगठनो के बीच सीधा मुकाबला होगा।
विश्वविद्यालय में हंगामा
विश्वविद्यालय अध्यक्ष का पद हमेशा से प्रतिष्ठा से जुड़ा रहा है। जिसके चलते देर रात तक यहां राजनैतिक ऊठापटक चलती रही। रात ग्यारह बजे तक एनएसयूआई ने अनियमितताओ का आरोप लगाते हुए कुलपति का घर घेर के रखा जानकारी के मुताबिक जो सूची विश्वविद्यालय को शाम 6 बजे जारी करनी थी। वह रात नौ बजे जारी की गई। जिसमें छात्रो के नाम के साथ पूरा पता और नंबर नहीं था। जिसको लेकर एनएसयूआई के बादल पंजवानी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय द्वारा नाम और नंबर पहले ही विद्यार्थी परिषद् को दे दिये गये है।
देवेन्द्र छात्रावास बिगाड़ सकता है समीकरण
जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय में कुल 79 कक्षाओं में सीआर का चुनाव होना था। जिनमे से अब सिर्फ 10 कक्षाओं में चुनाव होगा क्योकि 44 निर्विरोध हो चुके है और 25 निरंक होने के चलते टॉपरो को मनोनीत किया गया है। मनोनीत और निर्विरोध की सूची एनएसयूआई को न मिलने के चलते उन्होनें पहले ही घुटने टेक दिये है। लेकिन विश्वविद्यालय में विक्रम छात्रावास के छात्रो की धौंस और विद्यार्थी परिषद् की निष्क्रियता के चलते अब यह कयास लगाया जा रहा है कि हाथ आया यह लड्डू कहीं छात्रावास न छीन लें।
अलॉयसियस में कांटे की टक्कर
सबसे ज्यादा छात्रो वाले सेंट अलॉयसियस कॉलेज में सबसे ज्यादा चुनावी घमासान मचा हुआ है। 52 में से यहां 49 कक्षाओ में चुनाव हो रहे है जिसमें से 7 निर्विरोध और 15 टॉपर है शेष 27 कक्षाओ में चुनाव होने है जो जिले में सबसे बड़ा चुनाव होगा। जिसको लेकर दोनो ही दल पूरी ताकत लगाये हुए है।
लड़कियो ने बढ़ाई समस्या
पिछले चुनावो को देखे तो चुनाव की एक रात पहले से ही छात्रो को घर से गायब कर दिया जाता लेकिन इस बार ज्यादातर प्रत्याशी लड़कियां होने के चलते यह पैतरा काम नहीं आ रहा है। दोनो ही दल लड़कियों को साथ में ले जाने से हिचक रहे है। इस बार प्रत्याशीयो को छोड़ कर परिवार वालो पर दबाव की राजनीती की जा रही है।