बिहार: काहे कू नकलची बने, आरजेडी नेता सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द, अनुच्छेद 191 के तहत की कार्रवाई
मिमिक्री करने पर सुनील सिंह विधान परिषद से बर्खास्त, कब-कब रद्द हो सकती है विधायक की सदस्यता?
आरजेडी नेता सुनील कुमार सिंह की बिहार विधान परिषद की सदस्यता रद्द कर दी गई है. उन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नकल करने का आरोप था. इस मामले पर विधान परिषद में सुनील सिंह के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया, जो ध्वनिमत से पारित हो गया. विधान परिषद में एक साल के अंदर यह दूसरा मामला है जब आरजेडी के नेता की सदस्यता खत्म हो गई है. इससे पहले रामबली सिंह की भी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि किसी विधायक की सदस्यता कब-कब रद्द की जा सकती है।
सुनील कुमार सिंह का मामला इस साल के बजट सत्र का है. आरजेडी नेता पर राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान नीतीश कुमार के साथ सदन में दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था. मामले की जांच के लिए आचार समिति बनाई गई. समिति ने गुरुवार को सभापति को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें विधायक पर लगाए गए आरोपों को सही करार दिया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई थी.
विधायक की सदस्यता किन-किन कारणों से छिन सकती है?
संविधान के अनुच्छेद 191 के अनुसार किसी विधायक की राज्य विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता अलग-अलग कारणों से समाप्त की जा सकती है. इन मामलों में विधायक की सदस्यता रद्द हो सकती है –
- यदि वह भारत सरकार या राज्य सरकार में ऐसे पद पर है, जो लाभ के पद की श्रेणी में आता है तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. विधानसभा सदस्यों के ऐसे अन्य पद लेने की मनाही है, जहां वेतन, भत्ते या और दूसरी तरह के सरकारी लाभ मिलते हैं.
- अगर कोई विधायक किसी अदालत द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया जाए तो उसकी सदस्यता खत्म हो सकती है.
- अगर कोई विधायक दिवालिया घोषित है तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.
- अगर पता चलता है कि कोई विधायक भारत का नागरिक नहीं है या फिर वह किसी और देश की नागरिक बन गया है, तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर भी सदस्यता चली जाएगी.
- संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके तहत अयोग्य घोषित होने पर विधायक की सदस्यता चली जाएगी।
- अनुच्छेद 191 (2) में किसी विधायक की सदस्यता 10वीं अनुसूची के तहत भी खत्म की जा सकती है. संविधान की दसवीं अनुसूची दल-बदल रोधी कानून से संबंधित है. इसके तहत, अगर कोई सांसद उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिससे वह चुना गया है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी.