Train Rules: शताब्दी एक्सप्रेस में पानी मुफ्त नहीं मिलेगा, वंदे भारत में फ्री है रेल नीर; ऐसा क्यों
Train Rules: शताब्दी एक्सप्रेस में पानी मुफ्त नहीं मिलेगा, वंदे भारत में फ्री है रेल नीर; ऐसा क्यों

Train Rules: शताब्दी एक्सप्रेस में पानी मुफ्त नहीं मिलेगा, वंदे भारत में फ्री है रेल नीर; ऐसा क्यों। एक ही रूट पर चलने वाली दो लक्जरी ट्रेनों में गर्मी के मौसम में यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले रेल नीर को लेकर नियम अलग-अलग हैं।
पानी की बर्बादी का हवाला देकर रेलवे बोर्ड ने पहले तो इन ट्रेनों में मिलने वाले एक लीटर पानी की बोतलों को 500 मिली. में बदल दिया।
कहा गया कि जरूरत पड़ने पर यात्री को अतिरिक्त 500 मिली. की बोतल निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। अब यह व्यवस्था सीमित होकर सिर्फ वंदे भारत ट्रेन के लिए कर दी गई है।
शताब्दी एक्सप्रेस के यात्रियों को यदि अतिरिक्त पानी चाहिए, तो उन्हें पैसा चुकाना पड़ रहा है। ऐसे में यात्री अब इसकी शिकायत रेल मदद एप पर कर रहे हैं।
रेलवे बोर्ड ने गत वर्ष पानी की बर्बादी को रोकने और बोतलों से होने वाले प्लास्टिक के कचरे को कम करने का हवाला देते हुए लक्जरी ट्रेनों में दिए जाने वाले निश्शुल्क पानी में कटौती की थी।
उस समय हवाला दिया गया कि यात्रियों को जो एक लीटर रेल नीर की बोतल दी जाती है, वे उसका पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे में पानी की बर्बादी होती है। इसको रोकने के लिए यात्री को सिर्फ 500 मिली. पानी दिया जाएगा। यदि आवश्यकता पड़ती है, तो 500 मिली. की एक और बोतल निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। अब यह नियम सिर्फ वंदे भारत एक्सप्रेस में ही लागू है।
आर्मी सूबेदार ने की रेल मदद एप पर शिकायत
गत रविवार को शताब्दी एक्सप्रेस के सी-3 कोच की सीट नंबर 35 पर दिल्ली से ग्वालियर की यात्रा कर रहे आर्मी सूबेदार विनोद दुबे ने जब अतिरिक्त बोतल मांगी, तो उनसे पैसे चार्ज किए गए। ऐसे में उन्होंने रेल मदद एप पर शिकायत कर इस मुद्दे को उठाया। अब आइआरसीटीसी के अधिकारियों का कहना है कि रेलवे बोर्ड के संज्ञान में इस मामले को लाया जाएगा, ताकि इस मामले में आगामी दिशा-निर्देश मिल सकें।
सफर का समय ज्यादा, फिर भी कटौती
हजरत निजामुद्दीन से चलकर रानी कमलापति स्टेशन तक पहुंचने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस यह सफर 7:36 घंटे में पूरा करती है, जबकि शताब्दी एक्सप्रेस को 8:30 घंटे लगते हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस ग्वालियर से रानी कमलापति स्टेशन तक 4:34 घंटे में पहुंचती है, जबकि शताब्दी एक्सप्रेस को 5:12 घंटे लगते हैं।
कुल मिलाकर दोनों ट्रेनों के समय में लगभग 40 मिनट का अंतर आ जाता है यानी शताब्दी एक्सप्रेस के यात्री ज्यादा समय तक ट्रेन में रहते हैं। इसके चलते उनके द्वारा पानी की खपत करने की संभावना ज्यादा है। इसके बावजूद रेलवे बोर्ड ने पानी में कटौती की है।
मेन्यू में से सूप भी किया गायब, कैटरिंग चार्ज बराबर
वर्ष 2019 में भी रेलवे बोर्ड ने शताब्दी एक्सप्रेस में 500 मिली. पानी की बोतल देना शुरू कर दिया था। उस समय पर भी यात्रियों ने इसका विरोध किया था। हालांकि कोरोना काल के बाद जब ट्रेनें फिर से अपने रुटीन में आईं, तो शताब्दी एक्सप्रेस में एक लीटर पानी देना शुरू किया। इसी प्रकार मेन्यू में से सूप का विकल्प भी खत्म कर दिया गया। अब यात्रियों को सूप नहीं मिलता है, लेकिन रेलवे द्वारा कैटरिंग चार्ज पहले जितना ही वसूल किया जा रहा है।