गुड फ्राइडे पर आज गिरजाघरों में हुई विशेष प्रार्थना, प्रभु यीशु को याद कर किया बाईबल का पाठ

कटनी। आज गुड फ्राइडे है, गुड फ्राइडे पर ईसाई समाज के लोग चर्च में प्रार्थना सभा के साथ प्रभु यीशु को याद कर रहे हैं। इस अवसर पर शहर के विभिन्न गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना की जा रही हैं। सुबह से ही गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाएं चल रही हैं। लोग उपवास और मौन रखकर प्रभु यीशु को याद कर रहे हैं। गुड फ्राइडे पर आज शुक्रवार को गिरजाघरों में सुबह से ही मसीही समुदाय के लोगों कगा तांता लगने लगा है। वहीं कुछ चर्च में दोपहर की प्रार्थना सभा 3 बजे शुरू होकर शाम 6 बजे तक चलेगी। सिविल लाइन स्थित सेंटपॉल चर्च में दोपहर 3 बजे से प्रार्थना सभा का आयोजन रखा गया है। इसके अलावा यहां बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी समपन्न कराए जाएंगे और रविवार को बाद ईस्टर मनाया जाएगा। जिसे प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के रूप में जाना जाता है और यह ईसाई धर्म का सबसे उल्लासपूर्ण दिन होता है। गौरतलब है कि गुड फ्राइडे को होली डे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। जिस दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था, उस दिन शुक्रवार था। इसलिए इस शुक्रवार यानि फ्राइडे को गुड फ्राइडे कहते हैं। यह दिन प्रभु यीशु मसीह के प्रेम और बलिदान की याद दिलाता है। इस दिन गिरजाघरों में यीशु के क्रूस पर चढऩे की वाचन पढ़ी जाती है। भजन गाए जाते हैं और उनके बताए उपदेश दिए जाते हैं।
इस तरह होती है प्रार्थना
मैं प्रार्थना करता हूं कि आपका विश्वास ईश्वर से कभी न हटे। यह गुड फ्राइडे आपके जीवन में शांति और समृद्धि लेकर आए। मसीह का प्रेम सदैव आपके साथ रहे और आपको धार्मिकता के मार्ग पर मार्गदर्शन करे। मैं प्रार्थना करता हूं कि यीशु का प्यार आपके दिल को हमेशा दिव्य खुशी से भर दे, आपको गुड फ्राइडे पर यीशु का आशीर्वाद प्राप्त हो।
हर साल क्यों बदलती है गुड फ्राइडे की तारीख, जानिए कैसे होता है इसकी डेट का चुनाव
आज भारत समेत पूरी दुनिया में गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है। मान्यता के अनुसार करीब आज से 2 हजार साल पहले गुड फ्राइडे के ही दिन यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया था। यह दिन ईसाई धर्म के लोगों के लिए बड़ा ही अहम और शोकभरा माना जाता है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि हर साल क्रिसमस की तारीख तो तय रहती है परंतु गुड फ्राइडे की तारीख क्यों बदलती रहती है। इस साल गुड फ्राइडे 18 अप्रैल यानी आज भारत समेत पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। बाइबल की किताब के पहले पद सभोपदेशक 7.1 के मुताबिक मृत्यु का दिन जन्म के दिन से उत्तम होता है इसलिए गुड फ्राइडे का महत्व बहुत ही ज्यादा है। दरअसल गुड फ्राइडे की तारीख बदलने के पीछे का कारण है वसंत विषुव है। आज से करीब 2 या ढाई हजार साल पहले प्रभु यीशु मसीह को जब क्रूस पर चढ़ाया गया था, उस समय ग्रेगोरियन कैलेंडर नहीं था। गुड फ्राइडे की तारीख का चुनाव ईस्टर की तारीख के साथ किया जाता है। माना जाता है कि 325 ईसवी में हुई काउंसिल ऑफ नाइसिया नाम की ईसाई धर्मसभा में तय किया गया था कि वसंत विषुव यानी जिस दिन धरती पर दिन और रात बराबर होते हैं। उसके बाद आने वाले पास्का पूर्णिमा जिसे खासतौर से चर्च द्वारा ईस्टर की तारीख निकालने में इस्तेमाल किया जाता है के बाद आने वाले रविवार को ईस्टर मनाया जाएगा। कैलेंडर के हिसाब से ईस्टर संडे से 2 दिन पहले के शुक्रवार को गुड फ्राइडे मनाया जाता है।
ईस्टर संडे और गुड फ्राइडे का क्या है कनेक्शन
गुड फ्राइडे वह दिन है जब प्रभु यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया था, जिसके बाद उन्हें दफनाया दिया गया था। उससे तीसरे दिन वे जी उठते हैं और दोबार जिंदा होने वाले दिन को ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है जबकि क्रूस पर चढ़ाने वाले दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है।
ईस्टर संडे पर सुबह निकालते हैं रैली
ईस्टर का दिन खुशी का दिन है और इस दिन ईसाई धर्म को मानने वाले लोग सूर्योदय से पहले एक रैली निकालते हैं। इस दिन ईसाई धर्म को मानने वाले लोग हाथों में मोमबत्ती थामे और ईसा मसीह के गीत गाते हुए चलते हैं। इसे सनराइज सर्विस भी कहते हैं। सनराइज सर्विस की अगुआई महिलाओं को सौंपी जाती है। बाइबल के मुताबिक यीशु मसीह के दोबारा जिंदा होने की जानकारी सबसे पहले महिलाओं को ही मिली थी, जिसे बाद उन महिलाओं ने ये सुसमाचार सभी को सुनाया था और इस कार्यक्रम के बाद ईस्टर एग खाने को मिलते हैं।
इन तारीखों के बीच आता है गुड फ्राइडे
गुड फ्राइडे की तारीख 22 मार्च से लेकर 25 अप्रैल के बीच कभी भी आ सकती है। इस साल 21 मार्च को यानी वसंत विषुव मनाया गया था। इसके बाद 13 अप्रैल को पूर्णिमा का दिन था। इसके बाद आने वाले रविवार यानी 20 अप्रैल को ईस्टर के रूप में मनाया जाएगा और उससे दो दिन पहले 18 अप्रैल यानी आज गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है।
तय रहती है क्रिसमस की तारीख 25 दिसंबर
क्रिसमस का त्योहार यीशु मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल बाइबल के अंदर यीशु मसीह के जन्म के बारे में तो बताया है लेकिन किसी तारीख का जिक्र नहीं है। इसलिए इतिहासकारों और चर्च ने चौथी सदी के आसपास (लगभग 336 एडी) 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने का फैसला किया था। उसके बाद से ही 25 दिसंबर को हर साल यीशु मसीह के जन्म दिन यानी क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है।
क्रिसमस और गुड फ्राइडे की तारीखों में अंतर
क्रिसमस की तारीख ग्रेगोरियन कैलेंडर यानी सौर कैलेंडर पर आधारित है। जिसकी वजह से ये हर साल होती है। वहीं गुड फ्राइडे की तारीख लूनर कैलेंडर यानी चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती है, जिसकी वजह से इसकी तारीख हल साल बदलती है।
इसलिए है गुड फ्राइडे का महत्व
गुड फ्राइडे असल में हमें माफ करना सिखाता है। बाइबल के मुताबिक यीशु क्रूस पर चढ़ाने के बाद उन लोगों को माफ करने के लिए कहते हैं जो उन्हें क्रूस पर मौत देते हैं। बाइबल की किताब लूका 23.34 के अनुसार यीशु क्रूस पर रहने के दौरान प्रार्थना करते हैं कि हे पिता इन्हें माफ कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।