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कई सालों से एक ही थाने में अगंद की तरह पैर जमाए बैठे हैं कई पुलिसकर्मी, ट्रांसफर रूल की उड़ रही धज्जियां, मलाईदार थानों से मोह नहीं हो रहा भंग

कटनी। पुलिस नियमावली के तहत किसी भी थाने में कोई भी सिपाही व अधिकारी तीन वर्षों से अधिक नहीं रह सकते लेकिन कटनी जिले के कई थानों में कुछ पुलिसकर्मी लंबे समय से अंगद की तरह पैर जमाये हुए हैं। तबादले के नियम की पुलिस विभाग में धज्जियां उड़ रही हैं। पुराने कर्मचारियों के कारण स्टाफ में मतभेद की स्थिति बनी रहती है। थानों में आरक्षक से लेकर प्रधान आरक्षक तक कई साल से जमे होने के कारण पुलिसिंग भी प्रभावित हो रही है। थानों में कई पुलिसकर्मी अपनी मनचाही जगह में लगभग पांच साल से पदस्थ हैं। कई बार कर्मचारियों के तबादले भी होते हैं लेकिन उनमें वहीं शामिल होते हैं। जिन्हें एक साल भी नहीं हो पाता है। आला अधिकारी भी उन कर्मचारियों पर मेहरबान हैं जो कई सालों से एक ही थाने में पदस्थ है या ऐसे पुलिसकर्मी जिनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत होने के कारण अपने मनचाहे थाने पर सालों से जमे हुए हैं जबकि पुलिस मुख्यालय के आदेश हैं कि कोई भी पुलिसकर्मी किसी एक थाने में तीन वर्षों से अधिक नहीं रह सकता परंतु जिले के कई थानों में कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं जिन्हें पांच वर्ष से अधिक समय एक ही थाने में हो गया है। जिनका ट्रांसफर सूची में नाम नहीं आ रहा। अभी हाल ही में पुलिस मुख्यालय ने बड़ी संख्या में निरीक्षकों और उपनिरीक्षकों का फेरबदल किया है, इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही ऐसे पुलिसकर्मियों का भी फेरबदल किया जा सकता है जिन्हें एक ही थाने में कई सालों से जमे हुए हो गए हैं। हालांकि कि सूत्रों की मानें तो मलाईदार थानों में अंगद की तरह पैर जमाये हुए पुलिस कर्मियों का जब फेरबदल होने कि सुगबुगाहट होती है। उसी समय उनके पैर डगमगाने लगते हैं, अपने मनपसंद थाने से हटाए जाने को लेकर चिंतित हो जाते हैं कि अब क्या करेंगे यहां जो सिस्टम सहूलियत है। शायद वहां न हो यहां तो परोसी हुई थाली मिल जाती है लेकिन वहां मिलती है या नहीं इसके अलावा एक कारण और भी बताया जाता है। कुछ पुलिसकर्मी अपने मनचाहा थाना क्षेत्र में ही स्वयं का आलीशान मकान बना लिए हैं जो अपने जन्मभूमि कि तरह ही रह रहे हैं हालांकि ऐसे कर्मी थाना प्रभारियों के ज्यादा करीबी भी माने जाते हैं इन्ही के द्वारा प्रभारियों के काम देखे जाते हैं। दरअसल इसी डर के चलते सिफारिशों का दौर भी शुरू हो जाता है और जैक जुगाड़ लगाकर अपना ट्रांसफर सूची में नाम न आने में सफलता हासिल कर लेते हैं। अब देखना होगा क्या पुलिस अधीक्षक बड़ी सर्जरी कर वर्षों से एक ही थाने पर जमे पुलिसकर्मियों का फेरबदल कर अंगद के पैर बाली प्रथा को खत्म करेंगे या पुलिसकर्मी राजनैतिक पहुंच का फायदा उठाकर अपने मनचाहे थानों पर ही बने रहेंगे।

अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से सांठगांठ

एक जानकारी में यह भी बताया जाता है कि वर्षों से एक ही थाने में पदस्थ रहने वाले पुलिसकर्मियों के थाना क्षेत्र ही अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से भी सांठगांठ हो जाती है। जिसके कारण ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है। इसलिए जिले भर के थानों में लंबे समय से पदस्थ पुलिसकर्मियों की सूची बनाकर उनके तबादले करने चाहिए।

 

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