श्री जी की भव्य शोभायात्रा के साथ श्री मज्जिनेन्द्र पंच कल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव का समापन

कटनी। धर्म प्रभावना एवं विश्व शांति की कामना को लेकर कैलवारा झुरही स्थित चेतनोदय तीर्थ क्षेत्र में विगत 9 फरवरी से आयोजित श्री मज्जिनेन्द्र पंच कल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव का आज भव्य एवं विशाल शोभायात्रा के साथ समापन हो गया। 6 दिवसीय विराट धार्मिक आयोजन के आखिरी दिन मुनि श्री सुधा सागर महाराज के दर्शन करने एवं गजरथ महोत्सव में शामिल होकर पुण्यलाभ अर्जित करने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का अपार जन सैलाब चेतनोदय तीर्थ क्षेत्र में उमड़ पड़ा। आज शुक्रवार को दोपहर में श्री जी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा आयोजन स्थल पर बनाये गए विशाल पंडाल से प्रारंभ होकर मंदिर प्रदिक्षणा के पश्चात पंडाल में धर्म शोभायात्रा के रूप में परिवर्तित हो गई। गजरथ महोत्सव की शोभायात्रा में महायज्ञ नायक, सौधर्म इन्द्र, कुवेर, नभिराय, मरूदेवी सहित सभी इन्द्र इन्द्राणी एवं प्रमुख पात्र शामिल हुए। परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज, नवाचार समय सागर महाराज के आर्शीवाद एवं श्री 108 जगत पूज्य मुनि श्री सुधा सागर महाराज की प्रेरणा एवं आर्शीवाद से एवं दिगम्बर जैन पंचायत समिति एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वाधान में भूमि प्रदाता स.सि.कन्हैयालाल गिरधारीलाल औषधालय ट्रस्ट की भूमि पर चेतनोदय तीर्थ में विगत 9 फरवरी से श्री मज्जिनेन्द्र पंच कल्याणकन जिन बिम्ब प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव का आयोजन किया गया। आयोजन के आखिरी दिन आज मुनि श्री के परम सानिध्य में विशाल गजरथ फेरी निकाली गई। प्रातः विश्व शांति की कामना को लेकर इंद्र इंद्राणियों द्वारा आहुति दी गई। इस अवसर पर स्थानीय जैन समाज के साथ ही सागर, रीवा, सतना, अमरपाटन, रीठी, जबलपुर, छतरपुर, ललितपुर एवं राजस्थान से आये धर्मानुरागी बन्धुओं, माताओं, बहनों ने विशाल गजरथ महोत्सव की फेरी में शामिल होकर धर्मलाभ ग्रहण किया। समाजजनों के सहयोग से स्थापित नन्दीश्वर जिन मन्दिर में 152 जिनबिम्ब प्रतिमाओं की मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने सूर्यमन्त्र देकर विधि विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ प्रतिष्ठा कराई। इसी तारतम्य में बड़े मन्दिर एवं शमोशरण में विराजमान जिनबिम्ब प्रतिमाओं की विधि विधान के साथ प्रतिष्ठा कराई गई। इसके उपरांत तीर्थ क्षेत्र में तीनों मन्दिरों के चारों ओर 7 फेरी लगाई गई। फेरी में सबसे आगे 5 घोड़ों पर धर्मध्वजा लिए अश्वारोही चल रहे थे। डीजे की मधुर ध्वनि में जैन समाज के लोग नृत्य करते हुए चल रहे थे। इसके ठीक पीछे हाथियों पर इंद्र इंद्राणी सवार होकर चल रहे थे। शोभायात्रा में श्री जी एवं अष्ठकुमारी जी का रथ शोभायमान था। भजन मंडली के सदस्य एक से बढ़कर एक भजन की प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे। गजरथ शोभायात्रा में 800 इंद्र इंद्राणियों ने शामिल होकर पुण्यलाभ अर्जित किया।