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ऑफिस में सीनियर की डांट अब नहीं होगी अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला!, क्या है सेक्शन 504?

ऑफिस में सीनियर की डांट अब नहीं होगी अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला!, क्या है सेक्शन 504?

ऑफिस में सीनियर की डांट अब नहीं होगी अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला!, क्या है सेक्शन 504?। साल 2022 के एक केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बताया है कि अगर आपके सीनियर ऑफिस में आपको किसी काम की वजह से डांट देते हैं, या रुखे अंदाज में बात करते हैं तो यह जुर्म नहीं है. इसको अपराध नहीं माना जाएगा और इस पर एक्शन नहीं लिया जाएगा।

ऑफिस में सीनियर की डांट अब नहीं होगी अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला!, क्या है सेक्शन 504?

आप भी अगर ऑफिस जाते हैं तो किसी-किसी दिन आपका हार्ड डे रहता होगा. बॉस से या किसी सीनियर से कभी आपको किसी काम के लिए डांट पड़ जाती होगी, लेकिन हाल ही में अब इसी डांट पड़ जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला सामने आया है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि ऑफिस में किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से डांट-फटकार देना या किसी तरह की वॉर्निंग मिलने को ‘जानबूझकर अपमान’ की कैटेगरी में नहीं माना जाएगा और इस पर आपराधिक कार्रवाई नहीं हो सकती है।

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में लोगों के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाने की अनुमति देने से और ऐसे केस पर एक्शन लेने से काफी खराब नतीजे सामने आ सकते हैं. ऐसा करने पर ऑफिस में वरिष्ठ स्टाफ जूनियर्स को डांटने से बचेंगे और ऑफिस में अनुशासन में कमी आएगी. कोर्ट ने कहा, ऑफिस में जरूरी संपूर्ण अनुशासनात्मक माहौल इस से खराब हो सकता है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि ऑफिस में किसी सिनीयर की सिर्फ गुस्से में कही गई बातें, रूखा या रूड व्यवहार या असभ्य भाषा आईपीसी की धारा 504 के तहत ‘जानबूझकर अपमान’ की कैटेगरी में नहीं आते हैं।

क्या है सेक्शन 504?

अगर आप किसी का जानबूझकर अपमान करेंगे तो इस पर सजा दी जा सकती है, लेकिन आईपीसी की धारा 504 के तहत अगर कोई शख्स शांति भंग करने के इरादे से आपका जानबूझकर अपमान करता है तो ऐसे मामले में उसको 2 साल तक की सजा दी जा सकती है. जुलाई 2024 से प्रभावी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत आईपीसी की धारा 504 को धारा 352 से बदल दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला साल 2022 से जुड़ा है. 2022 में कोर्ट के सामने एक केस आया था जिसमें राष्ट्रीय बौद्धिक विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण संस्थान के कार्यवाहक डायरेक्टर के खिलाफ एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने शिकायत की थी. प्रोफेसर ने आरोप लगाया था कि डायरेक्टर ने सब के सामने उन्हें डांटा. महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि डायरेक्टर ने उनको बाकी सभी कर्मचारियों के सामने उनके खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने की वजह से डांटा. यह भी आरोप लगाया गया था कि डायरेक्टर ने संस्थान में कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए पर्याप्त पीपीई किट उपलब्ध नहीं करवाई, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया था।

कोर्ट ने कहा कि आरोपपत्र और उसमें मौजूद दस्तावेजों को देखने से आरोप पूरी तरह से काल्पनिक लगते हैं. आधारित प्रतीत होते हैं और और किसी भी तरह की कल्पना की वजह से उन्हें आईपीसी की धारा 269 (लापरवाही से खतरनाक बीमारी फैलने का खतरा) और 270 (जानलेवा बीमारी फैलाने का दुर्भावनापूर्ण काम) के तहत अपराध सिद्ध करने के लिए काफी नहीं है।

कोर्ट ने कहा, हमारी राय में, वरिष्ठ की चेतावनी को आईपीसी की धारा 504 के तहत जानबूझकर अपमान’ नहीं माना जा सकता है. 10 फरवरी को सुनाए गए फैसले में कहा गया, “जो व्यक्ति ऑफिस में सीनियर पोस्ट में है और कई चीजों को संभाल रहा है उसके लिए जरूरी है कि उसके जूनियर पूरी ईमानदारी और जैसा वो चाहते हैं वैसा काम करें।

ऑफिस में सीनियर की डांट अब नहीं होगी अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला!, क्या है सेक्शन 504?

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