कटनी। धन की महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग उनके 16 दिन के व्रत रखते हैं। इस साल महालक्ष्मी व्रत 11 सितंबर से शुरू हुआ था। वहीं इस व्रत का समापन कल 24 सितंबर को होगा।
गौरतलब है कि हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का खास महत्व माना जाता है। सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन अश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन होने जा रहा है। इसे गजा लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें गज पर बैठी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। महालक्ष्मी व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है जो धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है।
16 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी पर्व का 24 सितंबर मंगलवार को समापन होने जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है। महालक्ष्मी व्रत में विधि-विधान से पूजन करने के लिए सुबह के समय स्नानादि कार्यों से निवृत होकर माता की पूजा की जाती है। महालक्ष्मी व्रत में माता लक्ष्मी को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है।
महालक्ष्मी व्रत तिथि
पंचांग के अनुसार महालक्ष्मी व्रत पर अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 24 सितंबर की शाम 5 बजकर 45 मिनट पर शुरू हो जाएगा। ऐसे में यह व्रत 24 सितंबर को ही रखा जाएगा, चूंकि महालक्ष्मी व्रत की सप्तमी तिथि 25 सितंबर की शाम 4 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। ऐसे में कुछ महिलाएं अपनी सुविधा के अनुसार इस दिन भी व्रत रख सकती हैं।
महालक्ष्मी व्रत कथा
एक गांव में एक गरीब ब्राह्मणी रहती थी। वह नियमित भगवान विष्णु की पूजा करती थी। भक्त की श्रद्धा-भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णुजी ने उसे दर्शन दिए और भक्त से वरदान मांगने को कहा ब्राह्मणी ने कहा किए मैं बहुत गरीब हूं मेरी इच्छा है कि मेरे घर पर मां लक्ष्मी का वास रहे। विष्णुजी ने ब्राह्मणी को एक उपाय बताया, जिससे कि उसके घर में मां लक्ष्मी का आगमन हो। भगवान विष्णु ने बताया किए तुम्हारे घर से कुछ दूर एक मंदिर है वहां एक स्त्री आकर उपले थापती है।
तुम उस स्त्री को अपने घर पर आमंत्रित करो क्योंकि वही मां लक्ष्मी है। ब्राह्मणी ने ऐसा ही किया और उस स्त्री को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उस स्त्री ने ब्राह्मणी से कहा कि वह 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा करें। ब्राह्मणी ने 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की उपासना की। इसके बाद मां लक्ष्मी ने गरीब ब्राह्मणी के घर निवास किया। इसके बाद उसका घर धन-धान्य से भर गया। मान्यता है किए तभी से 16 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हुई जो व्यक्ति 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत रखकर लक्ष्मी जी की उपासना करता है मां लक्ष्मी उससे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
हिन्दू धर्म में महालक्ष्मी व्रत पूरे 16 दिनों तक रखा जाता है हालांकि यह निर्जला व्रत नहीं होता है लेकिन अन्न ग्रहण करने की मनाही होती है। आप इस व्रत में फलाहार कर सकते हैं। 16वें दिन व्रत का उद्यापन किया जाता है। यदि आप 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करने में असमर्थ हैं तो शुरुआत के 3 या आखिर के 3 व्रत रख सकते हैं। इससे लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशहाली बनी रहती है।