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श्रावण में महाकाल के पट रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि 2.30 बजे व शेष दिनों में रात 3 बजे खुलेंगे इसके पश्चात भस्म आरती होगी
श्रावण में रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि 2.30 बजे व शेष दिनों में रात 3 बजे मंदिर के पट खुलेंगे इसके पश्चात भस्म आरती होगी

उज्जैन। महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर में सावन मास में भगवान महाकाल भक्तों को दर्शन-पूजन के लिए आम दिनों की अपेक्षा पहले जागेंगे। श्रावण में रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि 2.30 बजे और शेष दिनों में रात 3 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। इसके पश्चात भस्म आरती होगी।
सामान्य दिनों में यह समय तड़के 4 बजे का रहता है। वर्तमान की तरह ही श्रावण में कार्तिकेय मंडपम् से 3 पंक्तियों से आम भक्तों को चलायमान व्यवस्था से भस्म आरती के दर्शन कराए जाएंगे। शनिवार शाम को जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की बैठक में श्रावण मास की दर्शन व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया।
- शीघ्र दर्शन व्यवस्था – 250 रुपये शुल्क के साथ शीघ्र दर्शन वाले दर्शनार्थियों को 4 एवं 5 नंबर गेट के रास्ते विश्रामधाम, सभा मंडपम् होते हुए गणेश मण्डपम् से भगवान महाकाल के दर्शन होंगे। इसके पश्चात निर्गम द्वार अथवा नए आपातकालीन निर्गम द्वार से सीधे बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे।
- अतिविशिष्ट श्रद्धालु – वीवीआईपी दर्शनार्थी मंदिर में प्रवेश के बाद सूर्यमुखी द्वार से सभा मंडपम् होते हुए व्यवस्था अनुसार नंदी व गणेश मण्डपम् से भगवान महाकाल के दर्शन करके इसी मार्ग से पुन: बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे।
इन स्थानों पर स्थापित होंगे जूता स्टैंड
- त्रिवेणी संग्रहालय के समीप नंदी द्वार से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मानसरोवर भवन के समीप जूता स्टैंड रहेगा।
- भारत माता मंदिर की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासनिक कार्यालय के समीप जूता स्टैंड की व्यवस्था रहेगी।
- सामान्य दर्शन व्यवस्था – सामान्य दर्शनार्थियों को त्रिवेणी संग्रहालय के समीप नंदी द्वार से महाकाल महालोक, मानसरोवर भवन, फैसिलिटी सेंटर-1, टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मंडपम्, गणेश मण्डपम् से भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन कराए जाएंगे।
- प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था – प्रोटोकॉल के तहत आने वाले दर्शनार्थियों को भारत माता मंदिर की ओर से प्रशासनिक कार्यालय के सामने से होकर शंख द्वार से मानसरोवर भवन में प्रवेश कर फैसिलिटी सेन्टर-1 एवं टनल मंदिर परिसर, कार्तिक मंडपम्, गणेश मण्डपम् से भगवान के दर्शन कराए जाएंगे। दर्शन के उपरांत श्रद्धालु निर्माल्य द्वार अथवा नवीन आपातकालीन निर्गम द्वार से सीधे बाहर के लिए प्रस्थान करेंगे।