हरे माधव बालक ग्रीष्म शिविर का शुभारंभ बच्चों को विभिन्न विधाओ का मिल रहा प्रशिक्षण

हरे माधव बालक ग्रीष्म शिविर का शुभारंभ बच्चों को विभिन्न विधाओ का मिल रहा प्रशिक्ष
कटनी-हरिराया सतगुरु सांई ईश्वरशाह साहिब जी की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से 15 फरवरी 2008 को माधवनगर कटनी की पावन धरा पर हरे माधव रुहानी बालसंस्कार” का पौधा रोपा गया जो आज वटवृक्ष बन 24 नगरों में हरेमाधव रूहानी बालसंस्कार की कक्षाएं संचालित है जहाँ पर 3 वर्ष से 15 वर्ष के हजारों बालक-बालिकाओं को व्यवहारिक ज्ञान, बौद्धिक ज्ञान, सामान्यज्ञान, अनुशासन, शिष्टाचार, कम्यूटर, प्रेरक प्रसंगों, महापुरुषों के जीवन चरित्र, सफल लोगों के जीवन सूत्रों निज अनुभवों की शिक्षा साथ साथ बागवानी, वृक्षारोपण, साफ सफाई स्वच्छता और खेलकूद व्यायाम , योगाभ्यास, नाटक , सिमरन- ध्यान, सेवा, भजनगायन , नृत्य, एकांकी, हैंडक्राफ्ट, सिलाई कढ़ाई बुनाई आदि की शिक्षा के साथ एकांकी, कहानियों के माध्यम से एकता भाईचारे का पाठ सिखाया जाता। नेक शिक्षा के साथ नेकी का पथ दिया जाता है जिससे बच्चे आत्म निर्भर हो अपने पालको अभिभावकों के कार्यों में उनका सहयोग देते हुए उन्नति की राह आगे बढ़ते है । आज हरे माधव रुहानी बाल संस्कार के बच्चे व्यापार एवं शिक्षा के क्षेत्र मे सफलता के उच्च मुकाम को प्राप्त कर रहे है ।
“करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ” लगातार परिश्रम लगन मेहनत से कोशिश तो मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बना देती है। सतगुरु जी समझाते है अनुशासित ढंग से निरन्तर अभ्यास द्वारा लक्ष्य को पाया जा सकता है , नन्हे मुन्ने बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं उन्हें जिस रूप में ढालेंगे वहीं रुप धारण कर लेते हैं, इन्हें एकता-प्रेम, सभ्यता, अनुशासन, शिष्टाचार, समत्व के सूत्र में पिरोकर संस्कारवान बनाना हम-सब चाहते हैं जिससे कि वे बच्चे अपने कर्तव्य दायित्वों का निर्वहन सच्चाई ईमानदारी से करें ये बच्चे अपने लिए ईमानदार बनें और परिवार, समाज, राष्ट्र के सारे फर्ज निभाते हुए सत्कर्म करते रहें , हरेमाधव रुहानी बाल संस्कार के बच्चे समत्व प्रेम में रह उच्च संस्कार ग्रहण कर रहे है।
“सतगुरु जी की रहेगी रहमत की नजर, तो हम बच्चे को नहीं किसी की फिकर” सतगुरु का सानिध्य समय समय पर हरेमाधव रूहानी संस्कार में हमें मिलता है आप जी का सानिध्य प्राप्त कर बच्चों एवं शिक्षकगणों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता बच्चे पूरे उत्साह उमंग से चरित्र निर्माण की पाठशाला में उच्च संस्कारों को ग्रहण करते हैं।
20 अप्रैल गुरुवार को दोपहर हरे नारायण भवन में परम श्रद्धेय सतगुरु सांई ईश्वरशाह साहिब जी के द्वारा “हरे माधव बालका : ग्रीष्म शिबिरम्” का अनुपम उपहार रूहानीसौगात एक बार पुनः हरेमाधव रुहानी बाल संस्कार को प्राप्त हुआ ।
जिसमे बच्चो के लिए ड्राइंग, पेंटिंग, स्केचिंग, फायरलेस कुकिंग, प्लैटिंग, रंगोली, गायन, संगीत वाद्ययंत्र का वादन-गायन, हरेमाधव भजन योगा द्वारा नृत्यव्यायाम, चैस, फोनिक्स, क्विलिंग, वैदिक मैथ्स, आर्ट क्राप्ट्स, स्कैचिंग सेल्फ ग्रुमिंग एवं स्पोकन इंग्लिश, हैड एम्ब्राइडरी, अबैक्स & फानिक्स, राईटिंग स्किल्स, वैदिक गणित, इत्यादि अनुभवि प्रक्षिशित सेवादारों द्वारा बच्चो को बुनियादी प्रशिक्षण प्रतिदिन दिया जा रहा है।
आज मानवता भागदौड़ भरी अंधी संसारी दौड़ में भटक रही है मानव आधुनिकता के नाम पर विकारों में उलझ रहे जीवन मूल्यों को भुला रहे है जिसमें बच्चे एवं युवा अधिक है जो मानसिक अवसाद तनाव के शिकार हो जाते है हरिराया सतगुरु सांई जी का ध्येय यही कि बच्चे, बालगोपाल ,युवा विकार रहित उन्नति करें, मानसिक प्रदुषण से दूर रहे अनुपम मिठास से भरे रहे, आन्तरिक भक्ति का महारस चखे , इसके साथ उसमें परमार्थी सद्गुण व दिव्य संस्कार भी उपजे बच्चों का सर्वागीण विकास बचपन से ही होना शुरु हो तो लाभ दायक है । संतजन आधुनिक होने का अर्थ समझाते हुए बताते है मनुष्य सनातन परम्पराओं और उसके जीवन मूल्यों को समाहित कर पारम्परिक, सांस्कृतिक, धार्मिकता का सन्तुलन बनाते हुए विवेकयुक्त बुद्धि से नित नये आविष्कारों विचारों का सृजन करना हैं आधुनिकता नकल नहीं।
जिस प्रकार आकाश से पानी बरसता है वह घरा का स्पर्ष के बिना उपयोगी नहीं बनता उसी प्रकार बाहरी शिक्षा हम कितनी भी प्राप्त कर लें पर आन्तरिक शिशा के उच्च संस्कारों जब तक नहीं मिलते तब तक वह शिक्षा बहुउपयोगी नहीं हो पाती, कार्य कुशलता का विकास नहीं होता। इसी वास्ते हाजिरा हुजूर सतगुरु सांई ईश्वरशाह साहिब जी ने हरेमाधव रुहानी बाल संरकार की बगिया खिला बच्चो के सर्वांगीण विकास की आधारशिला रखी सतगुरु सांईजन की प्रेरणा, आशीर्वाद के दिव्य मार्गदर्शन में 24 नगरों में हरेमाधव रुहानी बाल संस्कार की पाठशालाएं सेवाएं प्रदान कर रही है। सभी नगरों में हरेमाधव बालका: ग्रीष्म शिबिरम् की सेवाएं प्रदान की जाएगी। शुरुआत माधवनगर कटनी के पश्चात क्रमश: सभी 24 नगरों में ग्रीष्म शिविर आयोजित किया जाएगा।
20 अप्रैल 2025 से ग्रीष्मकालीन अवकाश का सदुपयोग करने के लिए “हरेमाधव बालका: ग्रीष्म शिबिरम् के रूप में समर क्लासेस की शुरुवात सतगुरु जी के द्वारा हुईं
पूरण सतगुरु मत विराट वट वृक्ष के समान होती है, जहाँ फल- फूल- छाया स्वतः मिलती है आकाश धरती सदा से है पर महातम वटवृक्ष का है, हर पौधे को धरती मिलती है पर मायने यह रखता है कि उसका पालन पोषण सिंचाईं कैसे हुई किस तरह खाद्य, मिट्टी, बीज, पानी, जुताई सिच्चाई नियमित हुई यदि बीज का रखरखाव गुढ़ाई-सिंचाई सही युक्ति से किया तो बीज पौधा बन पनपता खिलता हुआ वृक्ष बन जाता है। नन्हे बालगोपाल भी पौधों की तरह है जिन्हें सही युक्ति से सींचा जाए तो ये गुरुमत के विराट गुण कला से निखरेंगें संवरेगें ।
जिस तरह अच्छी नीव भवन को आपदाओं विपदाओं से सुरक्षित रखती है उसी तरह बालपन से ही सतगुरु जी निर्मल ओट छाया एवं उच्च दिव्य संस्कारो को मिलने से सर्वागीण विकास उन्नति का पथ मिलता है हर विपत्ती आपादाओं का सामना करने की क्षमता विकसित होती है आपदाएं उसे उन्नति के पथ से डिगा नहीं सकती फूल जब तक पौधे से जुड़ा है तब तक फलता-फूलता है, फल-फूल वृक्ष से अलग होने के पश्चात मुरझा जाता है उसी तरह हम भी जब तक पावन सत्संगति से जुड़े है तब तक निरंतर उन्नति करते हुए सर्वागीण विकास के पथ में अग्रसर होते हैं। इसी उद्देश्य से बच्चो के लिए हरेमाधव बालकाः ग्रीष्म शिबिरम् की अनुपम पहल की है।
हरे माधव बालकाः ग्रीष्म शिबिरम का शुभारम्भ बीस अप्रेल को दोपहर सतगुरु जी ने रिबन काट कर किया । बच्चो एवं अभिभावकों से भरे हाल में सब पर रहमत भरी दृष्टि डालते हुए वचन फरमाए- “हम बालक है तेरे सतगुरु जी हम क्या जाने महिमा तेरी” आपजी ने हरेमाधव सद्ग्रंथ वाणी का संदेश के सार को समझाया।
धुर्व भगत, प्रहलाद भक्त ने बचपन से ही उच्च संस्कार पाये जिन्हें आप सभी जानते हैं क्योंकि उन्हें उच्च संस्कार मिले आज भी आकाश में धुर्व तारा अमर है ।
जो माट्टी कुम्हार को अपना सर्वस्व अर्पण करती है उसको अपनी बागडोर सौप देती है कुम्हार उस माट्टी को गूंधकर में एक सही आकार देता है और वह माट्टी जो कल तक पैरो में पड़ी रहती अब वह घड़ा मटका बन शीतल जल से प्यासो के कंठ को तृप्त कर प्यास बुझा रही है यह संगति प्रभाव है। जो बच्चे अच्छी संगत के रहते हुए नेक संस्कार पाते हैं वे अच्छे नेक इंसान बनेगें माता पिता की सेवा भी करेंगें और अपने सत्कर्मो से परिवार, समाज को गौरवावित भी करेंगें अच्छी संगत से बच्चों में निखार आता है यह पिछले 15-16 वर्षों से आप हम सब अनुभव भी कर रहे है जो बच्चे नियमित हरेमाधव रुहानी बाल संस्कार की पाठशाला से आते उनमें बौध्दिक क्रांति घटित हुई है सकारात्मक परिवर्तन हुए है उनकी कार्य कुशलता का विकास हुआ है उनकी जीवन शैली से परिवारों को लाभ हुआ है। उन्होंने अपने दायित्वों को सहजता से निभाया है।
आज कलिकाल मे हर पांचवां बच्चा अपने मन की तंगदिली से ग्रसित है जब बच्चो को नेक संगती उच्च संस्कार मिलते है तो वह अपने कार्यकुशलता में निखार पाता है अपने व्यवहारिक, समाजिक, पारिवारिक दायित्त्वों के सहजता से निभाते हुए सभी के आदर्श स्थापित करते हैं।