Big Decision आईजी सिर्फ जांच अधिकारी बदल सकते हैं, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं रोक सकते, कंपनी हड़पने की साजिश वाले छत्तीसगढ़ के चार डायरेक्टरों की अपील हाईकोर्ट से खारिज
Big Decision आईजी सिर्फ जांच अधिकारी बदल सकते हैं, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं रोक सकते, एक कंपनी के छत्तीसगढ़ में रहने वाले चार डायरेक्टरों की अपील हाईकोर्ट से खारिज

Big Decision आईजी सिर्फ जांच अधिकारी बदल सकते हैं, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं रोक सकते यह टिप्पणी करते हुए एक कंपनी के छत्तीसगढ़ में रहने वाले चार डायरेक्टरों की अपील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
3 आरोपी डायरेक्टरों की गिरफ्तारी होगी
यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी को हड़पने की रची जा रही साजिश को अंजाम देने वाले 3 आरोपी डायरेक्टरों की गिरफ्तारी को रोकने संबंधी जबलपुर आईजी के आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा है कि आईजी वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते किसी भी मामले की जांच को दिशा तो दे सकते हैं, लेकिन अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद वे आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं रोक सकते।
डायरेक्टरों की अपील को खारिज कर दिया
यदि आईजी को लगता है कि विवेचना अधिकारी ठीक से काम नहीं कर रहे, तो वे उसे सिर्फ बदल सकते हैं। इस मत के साथ युगलपीठ ने रायपुर में रहने वाले उन तीन डायरेक्टरों की अपील को खारिज कर दिया, जिनपर यूरो प्रतीक कंपनी को हड़पने के आरोप लगे हैं।
ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि कटनी के माधव नगर में रहने वाले हरनीत सिंह लाम्बा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके जबलपुर आईजी के 9 अक्टूबर 2024 के उस पत्र को चुनौती दी थी, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट तक से अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त होने के बावजूद जबलपुर आईजी ने कटनी के हरगढ़ में स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड के छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव एवं कोतमा मप्र के सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल की गिरफ्तारी न करने के निर्देश दिए गए थे। बीते 22 अप्रैल को आईजी के 9 अक्टूबर 2024 को जारी पत्र को आड़े हाथों लेते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने न सिर्फ आईजी को तलब किया था, बल्कि कंपनी की रायपुर में 24 अप्रैल को होने वाली एनुअल जनरल मीटिंग EGM को रोकने के भी निर्देश डीजीपी को दिए थे। एकलपीठ के इसी फैसले को चुनौती देकर डायरेक्टर हिमान्शु श्रीवास्तव की ओर से यह अपील हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी।
अपील पर हुई सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता हरनीत सिंह लाम्बा की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह व एडवोकेट शमिला इरम फातिमा व राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए उस पर न सिर्फ दखल से इंकार किया, बल्कि हिमान्शु श्रीवास्तव की अपील को भी खारिज कर दिया।
डायरेक्टरों की गिरफ्तारी होगी
अपने विस्तृत आदेश में चीफ जस्टिस ने कहा- इस मामले में कंपनी के डायरेक्टर हिमान्शु श्रीवास्तव, सन्मति जैन और सुनील अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट तक से अपना भाग्य आजमाया, लेकिन उन्हें अग्रिम जमानत नहीं मिली। हर एक अदालत में जांच एजेन्सी का यही कहना रहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी जरूरी है। इस मामले में रायपुर में रहने वाले डायरेक्टरों से पूछताछ जरूरी है। उनसे दस्तावेज भी प्राप्त करना हैं, जिनके बिना फाईनल रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकती। चूंकि आरोपियों को देश की सबसे बड़ी अदालत तक से राहत नहीं मिली है, इसलिए तीनों डायरेक्टरों को कोई भी अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के इस फैसले के बाद तीनों डायरेक्टरों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।
नहीं हो सकेगी कंपनी की मीटिंग
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने साफ किया है कि रायपुर में होने वाली कंपनी की एजीएम मीटिंग पर एकलपीठ ने रोक लगाई थी। फिलहाल यह विवादित है कि कंपनी के डायरेक्टर पद से हरनीत सिंह लाम्बा और सुरेन्द्र सिंह सलूजा ने इस्तीफा दिया या नहीं। अभी जो इस्तीफा सामने आया है, उस पर दोनों ने सवाल उठाकर एफआईआर दर्ज कराई है। चूंकि हरनीत सिंह और सुरेन्द्र सिंह एजीएम मीटिंग में शामिल नहीं हो सकते, इसलिए उस मीटिंग पर रोक लगाने का एकलपीठ का आदेश एकदम सही है।