विधानसभा चुनाव 2018

विश्लेषण: 6730 वोट और मिलते तो BJP को मिल जाता स्पष्ट बहुमत

इंटरनेट डेस्क। कर्नाटक चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए बेहद मुश्किल था. नतीजे आने और सरकार बनने के बाद भी कर्नाटक में जंग खत्म नहीं हुई है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन फिर भी वह स्पष्ट बहुमत के आंकड़े से चूक गई है.

224 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत का दावा करने के लिए किसी भी पार्टी के पास कम से कम 113 विधायक होने जरूरी हैं. बीजेपी के पास 104 विधायक हैं और इस तरह बहुमत के लिए उसे 9 और विधायकों की आवश्यकता है. हालांकि इस बार 222 सीटों पर मतदान हुए थे इसलिए वर्तमान स्थिति में बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 112 विधायक चाहिए.

चुनाव नतीजों को बारीकी से देखें तो पता चलता है कि कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी और स्पष्ट बहुमत के बीच महज 6730 वोटों का फासला है.

नौ ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस ने बीजेपी को बहुत ही कम मार्जिन से हराया है. इसका मतलब है कि कांग्रेस के कुछ वोट यदि बीजेपी के पक्ष में जाते तो बीजेपी आसानी से 113 सीटें जीत लेती.

ये नौ सीटें हैं मसकी, हीरेकेरुर, कुंडगोल, येल्लापुर, बादामी, गड़ग, श्रिंगेरी, अंथानी और बेल्लारी ग्रामीण. इन सीटों पर बीजेपी को कुल वोटों के 1.5 प्रतिशत से भी कम मार्जिन पर हार का सामना करना पड़ा है. इस सीटों पर बीजेपी को कुल 6730 वोट और मिलते तो वह स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेती.

 

इन नौ सीटों पर बीजेपी को कुल 6730 वोट और मिल जाते तो वह बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लेती.
 भले ही कांग्रेस को बीजेपी से 6 लाख 38 हजार 621 वोट अधिक मिले हैं लेकिन 113 सीटें जीतने के लिए कांग्रेस को कम से कम 1 लाख 25 हजार 608 वोटों की और जरूरत पड़ती.

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