कर्नाटक के गणित को ऐसे हल कर सकती है भाजपा?

बेंगलुरु। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में जारी सत्ता के संग्राम को लेकर अहम आदेश देते हुए शनिवार को विधानसभा में येदियुरप्पा को फ्लोर टेस्ट का सामना करने को कहा है। इसके बाद राज्यपाल ने केजी बोपैया का प्रोटेम स्पीकर चुन लिया है जो विधायकों को सदन में शपथ दिलाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जहां कांग्रेस में उत्साह नजर आया वहीं भाजपा भी आत्मविश्वास से बोलती नजर आई।
मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वो शनिवार को सदन में बहुमत साबित कर देंगे और उनकी सरकार अगले 5 साल तक रहेगी।
यह हैं संभावित तरीके-कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 104 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन सत्ता के जादुई आंकड़े से 8 सीट दूर है। वहीं कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने का फैसला कर चुके हैं। इन दोनों के पास क्रमशः 78 और 38 यानी कुल 116 विधायक हैं।
अगर यह विधायक फ्लोर टेस्ट के पहले कांग्रेस-जेडीएस का साथ छोड़ दें तो फिर सदन में 213 विधायक होंगे और बहुमत के लिए भाजपा को 107 विधायकों की जरूरत होगी।
यह इस तरह संभव है कि दो सीटों पर अभी वोटिंग होना बाकी है। इसके अलावा कांग्रेस के सात विधायक वोटिंग वाले दिन सदन से गैर हाजिर रहें। इसके बाद स्पीकर और कुमारस्वामी का वोट कम कर दिया जाए। स्पीकर वोट नहीं देते हैं और कुमारस्वामी दो सीटों से जीते हैं। इसलिए उन्हें एक सीट खाली करना होगी। इस तरह आंकड़ा 213 पर पहुंच जाता है और भाजपा की सरकार बन सकती है।
दूसरा तरीका है कि भाजपा कांग्रेस जेडीएस के 15 विधायकों का इस्तीफा दिला दे जिससे सदन में सीटों की संख्या 208 हो जाएगी और ऐसे में भाजपा बिना किसी समर्थन के बहुमत साबित कर देगी।