गौरी लंकेश हत्याकांड के मुख्य आरोपियों को जमानत मिल गई है, जिसके बाद वह अपने घर पहुंचे. यहां पहुंचने पर कुछ हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. परशुराम वाघमारे और मनोहर यादव को छह अन्य लोगों के साथ 9 अक्टूबर को एक ट्रायल कोर्ट से जमानत मिली और 11 अक्टूबर को उन सभी को जेल से रिहा कर दिया गया था. सभी ने छह साल से ज्यादा समय सलाखों के पीछे बिताया.
हिंदुत्व कार्यकर्ता जमानत पर जेल से बाहर आए गौरी लंकेश हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से परशुराम वाघमारे और मनोहर यादव को पहले शनिवार रात छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास ले गए. इसके बाद उनके वहां पहुंचने पर ‘भारत माता की जय’ और ‘सनातन धर्म की जय’ के नारे लगाए गए. फिर दोनों का भगवा शॉल और माला पहनाकर भव्य स्वागत किया गया.
“स्वागत करना गर्व की बात”
स्वागत करने वाले एक कार्यकर्ता ने कहा कि परशुराम वाघमारे और मनोहर यादव को गलत तरीके से छह साल तक जेल में रखा गया. उनका कहना है कि असली आरोपी अभी भी जेल से बाहर हैं. यहीं नहीं उन्होंने यह भी कहा कि परशुराम वाघमारे और मनोहर यादव का स्वागत करना उनके लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि इन्हें निशाना बनाया गया, क्योंकि यह प्रो-हिंदू कार्यकर्ता हैं.
क्या है गौरी लंकेश हत्याकांड?
दरअसल साल 2017 में तेज तर्रार और वामपंथी विचार रखने वाली पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी उनके ही राजराजेश्वरी नगर स्थित घर के बाहर तीन बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उनकी हत्या के बाद देश में काफी हंगामा मचा था. गौरी लंकेश पत्रकार के साथ-साथ एक सोशल एक्टिविस्ट भी थीं. वह बेंगलुरु में रहती थीं और कन्नड़ के वीकली न्यूजपेपर लंकेश पत्रिके की संपादक थीं.
पहले रिहा हो चुका एक आरोपी
पिछले साल इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी मोहन नायक को जमानत दी थी. मोहन इस मामले में सबसे पहला आरोपी है, जिसने पांच साल यानी 2018 से 2023 तक जेल काटी. कोर्ट ने उसे एक लाख रुपये के पर्सनल बॉन्ड और इसी अमाउंट के दो और स्योरिटीज पर जमानत दी थी.