महिलाओं की आजीविका में सेंधमारी, अधिकारियों की सह पर स्व सहायता समूह का काम वेंडरों को; स्कूल में गणवेश वितरण में जमकर हो रही कमीशनखोरी
महिलाओं की आजीविका में सेंधमारी, अधिकारियों की सह पर स्व सहायता समूह का काम वेंडरों को; स्कूल में गणवेश वितरण में जमकर हो रही कमीशनखोरी
कटनी। महिलाओं की आजीविका में सेंधमारी, अधिकारियों की सह पर स्व सहायता समूह का काम वेंडरों को; स्कूल में गणवेश वितरण में कमीशनखोरी जमकर हो रही हैास्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश तैयार करने की योजना शुरु तो की गयी लेकिन अधिकारियों ने अपने तरीके से काम करना शुरु कर दिया।
ऐसे में पूरी योजना पर ही पानी फिर गया। महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने एवं उन्हें काम उपलब्ध कराने के लिये शुरु की गयी यह योजना महिलाओं की वजाय वेंडरों एवं अधिकारियों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है हालत यह है कि जिले के रसूखदार लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं। महज नाम मात्र के लिये स्व सहायता समूह को इस योजना से जोड़ा गया है। स्व सहायता समूह की महिलाओं को न तो कच्चा माल उपलब्ध कराया जा रहा है और नहीं उनके माध्यम से गणवेश तैयार कराया जा रहा है। जिले के कुछ चुनिंदा रसूखदार लोगों ने अपने नाम से वेंडर बनवाकर इसके माध्यम से कमायी की जा रही है।
स्कूली बच्चों को वितरण किया जाता है गणवेश
जिले के शासकीय स्कूलों में निःशुल्क गणवेश का वितरण किया जाता है। आजीविका मिशन के अधिकारयों ने इस कार्य में नियमों को ताक में रखकर कार्य किया। आजीविका मिशन के अधिकारियों ने गणवेश सिलाई का कार्य आवंटन करने में मनमानी की है। गणवेश के लिये कपड़े की खरीदी से लेकर सिलाई के लिए मिलने वाली राशि स्व सहायता समूहों के माध्यम से वेंडरों को भुगतान करा दी गयी। इस कार्य में वेंडर एवं अधिकारयों ने जमकर मनमानी की है।
ऐसे हुआ खेल
आजीविका मिशन के अधिकारियों ने कुछ चिन्हित स्व सहायता समूहों को काम आवंटित किया इसके बाद रसूखदार लोगों के वेंडरों को राशि भुगतान कराकर कपड़े एवं गणवेश दुकानों से खरीदी करवायी। अधिकारियों की इस मनमानी से समूह की महिलाओं में असंतोष तो है लेकिन वे अधिकारियों के दबाव में कुछ बोलने से बच रही हैं। अधिकारियों ने समूहों पर दबाव बनाकर चिन्हिंत वेंडरों को राशि भुगतान कराया। जो वेंडर अधिकारियों से संपर्क में थे और उनसे अच्छे संबंध वाले रसूखदार लोगों के जुडे वेंडरों को इस कार्य में शामिल किया गया।
रेडीमेड कपड़े खरीदे गए
सूत्र बताते हैं कि विभाग के अधिकारियों ने कुछ रसूखदार वेंडरों से रेडीमेड गणवेश की खरीददारी की। वही गणवेश समूहों को देकर सिलाई की राशि उक्त समूहों के बैंक खाते से वेंडर के खाते में डालवा लिया गया। अब इस आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा लेकिन जिस तरह से आरोप लगाये जा रहे हैं ऐसे में यदि आरोप सही है तो निश्चित रुप से समूह की महिलाओं के साथ धोखा किया गया है।