जिले भर में धूमधाम से मनाया जा रहा आंवला नवमीं का पर्व, महिलाओं ने की आंवले के पेड़ की पूजा और लगाई परिक्रमा
कटनी। जिले में आज 10 नवंबर बुधवार को आंवला नवमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। ये त्योहार दीपावली के नौवें दिन मनाया जाता है। आज के दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर सपरिवार भोजन करती हैं। भोजन से पहले विधिवत तरीके से आंवले के पेड़ की पूजा और उसकी परिक्रमा की जाती है। महिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा कर भगवान से खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं। शहर में आंवला नवमीं पर गायत्रीनगर के बाबा घाट, कटाएघाट सहित कई जगह मेला भी लगा था। यहां सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी हुई है और लोग आंवला नवमीं का त्योहार सपरिवार मना रहे हैं। आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके नीचे भोजन करने की परंपरा शुरू करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाए जाते हैं। तुलसी श्री हरि विष्णु को अत्यंत प्रिय है और बेल भगवान भोलेनाथ को इसलिए आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा संपन्न की। मां लक्ष्मी की पूजा से प्रसन्न होकर श्री विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद खुद भी आंवले के पेड़ के नीचे भोजन किया। उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं का दिन था। तभी से आंवले के वृक्ष के पूजन की परम्परा चली आ रही है। अक्षय नवमीं के दिन यदि आंवले की पूजा करना और इसके नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन कम से कम आंवला जरूर खाएं।
धार्मिक ग्रंथों में आंवले का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने वाला और शुभ माना गया है। इसे खाने मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं। आंवला खाने से आयु बढ़ती है। उसका रस पीने से धर्म संचय होता है और उसके जल से स्नान करने से दरित्रता दूर होती है और हर तरह का ऐश्वर्य प्राप्त होता है। आंवले के दर्शन, स्पर्श और उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं। जहां आंवले का फल मौजूद होता है, वहां भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं और उस घर में ब्रह्मा एवं सुस्थिर लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए अपने घर में आंवला जरूर रखना चाहिए।