MUTUAL FUND : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंडों के लिए ऐसी बहुप्रतीक्षित संस्थागत व्यवस्था को मंजूरी दी है, जो धोखाधड़ी वाले लेनदेन, फ्रंट-रनिंग और अन्य ऐसे उल्लंघनों को रोकने में मददगार ढांचा साबित होगी। यह व्यवस्था बड़ी कंपनियों के लिए तीन महीने में प्रभावी होगी, जबकि छोटे फंड हाउसों को क्रियान्वयन के लिए 6 महीने का समय दिया जाएगा।
MUTUAL FUND : सेबी ने स्पष्ट किया है कि 10,000 करोड़ रुपये से कम प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) वाली परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को छह महीने के बाद नई व्यवस्था पर अमल करना होगा।
MUTUAL FUND : सेबी ने 2 अगस्त को एमएफ नियमों में संशोधन करते हुए कहा, ‘मुख्य कार्याधिकारी या प्रबंध निदेशक या समकक्ष या अनुरूप रैंक का कोई अन्य व्यक्ति और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी का चीफ कम्पलायंस ऑफीसर संभावित बाजार दुरुपयोग (जिसमें प्रतिभूतियों में फ्रंट रनिंग और धोखाधड़ी वाले लेनदेन शामिल हैं) की रोकथाम के लिए इस तरह के संस्थागत तंत्र के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा।’
बाजार नियामक ने शुरू में अप्रैल में अपनी बोर्ड बैठक में इस व्यवस्था को पहली बार मंजूरी प्रदान की थी। यह कदम डीलरों और दलालों द्वारा म्युचुअल फंडों में फ्रंट-रनिंग के बढ़ते मामले के बाद उठाया गया है।
MUTUAL FUND : इस व्यवस्था के लिए, भारत में म्युचुअल फंडों का संगठन (एम्फी) एक मानक परिचालन ढांचा बना रहा है। मौजूदा समय में म्युचुअल फंड निगरानी पर आंतरिक प्रणालियों पर अमल करते हैं जो फर्मों के बीच अलग अलग होती हैं।
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एक प्रमुख फंड हाउस के प्रमुख ने कहा, ‘हम एसओपी का इंतजार कर रहे हैं, हमने पहले ही अपनी आंतरिक निगरानी प्रणाली को मजबूत कर लिया है और इस तरह के किसी भी संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं।’सेबी ने फंड हाउसों को यह भी निर्देश दिया है कि वे अपने कर्मचारियों, निदेशकों, ट्रस्टियों और अन्य लोगों के लिए संदिग्ध धोखाधड़ी, शासन संबंधी चिंताओं या अनैतिक प्रणालियों के बारे में चिंता जताने के लिए एक गोपनीय चैनल (जिसे व्हिसलब्लोअर पॉलिसी भी कहा जाता है) उपलब्ध कराएं।