कोल्हापुरी चप्पल पर Prada का विवाद: कर्नाटक मंत्री प्रियांक खरगे का कड़ा बयान, “चोरी नहीं सहेगा राज्य
कोल्हापुरी चप्पल पर Prada का विवाद: कर्नाटक मंत्री प्रियांक खरगे का कड़ा बयान, "चोरी नहीं सहेगा राज्य

खरगे ने कहा कि प्रादा से जुड़ा मामला यह याद दिलाता है कि सिर्फ जीआई टैग की मान्यता पर्याप्त नहीं है और उन्होंने सांस्कृतिक उद्यमिता के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “हमें इन कारीगरों के लिए कौशल, ब्रांडिंग, डिजाइन इनोवेशन और ग्लोबल मार्केट तक पहुंच में निवेश करने की जरूरत है
कोल्हापुरी चप्पल पर Prada का विवाद: कर्नाटक मंत्री प्रियांक खरगे का कड़ा बयान, “चोरी नहीं सहेगा राज्य
इटली की लग्जरी ब्रांड प्रादा (Prada) की ओर से कोल्हापुरी चप्पलों से मिलते-जुलते चप्पलों के इस्तेमाल पर उठे विवाद के बाद, कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने इस बात पर जोर दिया कि इन बेहद लोकप्रिय चप्पलों को बनाने वाले राज्य के कारीगरों के नाम, काम और विरासत को पहचान दिया जाना चाहिए, न कि इन्हें साइडलाइन कर दिया जाना चाहिए.
1 जुलाई से बदल जाएंगे रेलवे के नियम: बढ़ेगा टिकट किराया, Tatkal बुकिंग के लिए Aadhaar अनिवार्य

उन्होंने इटैलियन ब्रांड पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रादा मूल रूप से कोल्हापुरी चप्पलें 1.20 लाख रुपये प्रति जोड़ी के हिसाब से बेच रही है. खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा कि यह बहुत कम लोगों को पता है कि इन आइकॉनिक चप्पलों को बनाने वाले बड़ी संख्या में कारीगर वास्तव में कर्नाटक के अथानी, निप्पनी, चिक्कोडी, रायबाग और बेलगावी, बागलकोट और धारवाड़ के अन्य हिस्सों में रहते हैं.
कोल्हापुर में चप्पल बेचे जाने से बना बाजार और ब्रांडः खरगे
खरगे ने कहा, “वे कई पीढ़ियों से ये चप्पल बनाते चले आ रहे हैं और इन्हें आस-पास के शहरों, खासतौर पर कोल्हापुर में बेचते आ रहे थे, धीरे-धीरे यही इन चप्पलों का बड़ा बाजार बन गया और गुजरते वक्त समय के साथ ब्रांड भी बन गया.” खरगे ने इस दौरान उस दौर को याद किया कि जब वे समाज कल्याण मंत्री थे, तो उन्होंने महाराष्ट्र को कोल्हापुरियों पर एकमात्र जीआई टैग अधिकार के लिए दबाव डालते देखा था.
उन्होंने कहा, “LIDKAR के जरिए हमने इसका विरोध किया और यह सुनिश्चित करने के लिए लंबी लड़ी कि कर्नाटक के कारीगरों को वंचित न रखा जाए. मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि हम अपने मकसद में कामयाब हो गए. आखिरकार कर्नाटक और महाराष्ट्र के 4-4 जिलों को संयुक्त रूप से जीआई टैग दे दिया गया. यह संघर्ष कभी भी 2 राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर नहीं था, बल्कि हमारी साझा विरासत को संरक्षित करने और हमारे कारीगरों को वह कानूनी मान्यता देने के बारे में था जिसके वे हकदार हैं.”
कारीगरों के नाम और काम भी दिखाया जाएः खरगे
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार में मंत्री ने कहा कि प्रादा से जुड़ा मामला यह याद दिलाता है कि सिर्फ जीआई टैग की मान्यता पर्याप्त नहीं है और उन्होंने सांस्कृतिक उद्यमिता के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “हमें इन कारीगरों के लिए कौशल, ब्रांडिंग, डिजाइन इनोवेशन और ग्लोबल मार्केट तक पहुंच में निवेश करने की जरूरत है. वे सिर्फ इस सम्मान के ही हकदार नहीं हैं, बल्कि उन्हें बेहतर मूल्य, व्यापक प्रदर्शन और अपने शिल्प से स्थायी, सम्मानजनक आजीविका बनाने का मौका मिलना चाहिए.”
कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने अपनी मांग करते हुए कहा कि जब भी इंटरनेशनल फैशन हाउस हमारे डिजाइनों को अपनाते हैं, तो हमारे कारीगरों के नाम, काम और विरासत को भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए, न कि दरकिनार कर दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “जीआई टैग सिर्फ उन्हें ही कानूनी अधिकार देता है. अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि उन्हें वैश्विक मंच प्रदान किया जाए.”