लाल किले से मोदी का ऐलान: देश की डेमोग्राफी बदली जा रही है, बहन‑बेटियाँ निशाने पर हैं -ये बर्दाश्त नहीं होगा
लाल किले से मोदी का ऐलान: देश की डेमोग्राफी बदली जा रही है, बहन‑बेटियाँ निशाने पर हैं -ये बर्दाश्त नहीं होगा

लाल किले से मोदी का ऐलान: देश की डेमोग्राफी बदली जा रही है, बहन‑बेटियाँ निशाने पर हैं -ये बर्दाश्त नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में देश की सुरक्षा और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों पर ज़ोर दिया. उन्होंने घुसपैठ और आतंकवाद से उत्पन्न खतरों पर चिंता व्यक्त की. पीएम ने कहा कि देश की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की जा रही है. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 79 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराया. इस दौरान पीएम मोदी ने ट्रंप के टैरिफ समेत कई मुद्दों पर बातचीत की. प्रधानमंत्री का शुरुआती भाषण ऑपरेशन सिंदूर पर फोकस रहा. उन्होंने कहा, ‘आज मुझे लाल किले की प्राचीर से ऑपरेशन सिंदूर के वीर जांबाजों को सैल्यूट करने का अवसर मिला है. इस दौरान घुसपैठ को लेकर देश की जनता को आगाह किया. उन्होंने कहा कि ये देश की बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं. ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा मैं आप लोगों को एक एक चुनौती के लिए आगाह करना चाहता हूं. देश में सोची-समझी साजिश के तहत संकट के बीज बोए जा रहे हैं. यहां घुसपैठिए देश के नौजवानों की रोजी छीनने का काम कर रहे हैं, इसके साथ ही वे बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं. आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. इसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा. हम भारत को घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकते हैं. वे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
हाई पावर्ड डेमोग्राफी मिशन शुरू
प्रधानमंत्री ने कहा जब देश की डेमोग्राफी में बदलाव होता है तो देश में संकट आ जाता है. दुनिया का कोई देश घुसपैठियों को बढ़ावा नहीं दे सकता है. पूर्वजों ने हमें यही सिखाया है, इन घुसपैठियों को दाखिल नहीं होने देना है. उन्होंने कहा कि हमने हाई पावर्ड डेमोग्राफी मिशन शुरू किया है. इसके तहत हम इस संकट से निपटने के लिए आगे बढ़ेंगे.
नक्सलवाद पर लगी लगाम- पीएम मोदी
पीएम मोदी लाल किले की प्राचीर से कहा कि हम बदलाव लाने में सफल हुए हैं. देश का बड़ा जनजातीय क्षेत्र नक्सलवाद की चपेट में लहुलुहान हो चुका था. सबसे बड़ा नुकसान आदिवासी लोगों को हुआ था, इन लोगों ने अपने परिजन को खो दिए. एक समय था, 125 से ज्यादा जिलों में नक्सलवाद जड़ें जमा चुका था. इसमें जनजातीय नौजवान फंसे थे. आज देश में 125 जिलों से घटकर नक्सलवाद 20 जिलों में सिमट चुका है. देश ये बदलाव देख रहा है.