
Marriage Astrology टिप्स: केवल मुहूर्त नहीं, इन ग्रहों का शुभ होना जरूरी है शादी की खुशियों के लिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग, शुभ घड़ी और विवाह मुहूर्त… भारतीय विवाहों में इनका विशेष महत्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल सही समय (मुहूर्त) पर विवाह करना ही सुखी वैवाहिक जीवन की गारंटी नहीं है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी की सफलता, रिश्ते की मधुरता और दांपत्य जीवन के सुख के लिए कुंडली में कुछ महत्वपूर्ण ग्रहों का शुभ और मजबूत होना बेहद ज़रूरी है।
Marriage Astrology टिप्स: केवल मुहूर्त नहीं, इन ग्रहों का शुभ होना जरूरी है शादी की खुशियों के लिए
ये ग्रह न केवल विवाह की बाधाओं को दूर करते हैं, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम, मानसिक जुड़ाव और तालमेल को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं वे कौन से चार प्रमुख ग्रह हैं, और उनका शुभ होना आपके वैवाहिक जीवन के लिए क्यों आवश्यक हैफ
शुक्र (Venus): प्रेम, रोमांस और रिश्ते की मिठास का ग्रह
शुक्र को ज्योतिष में प्रेम (Love), रोमांस और विवाह का प्रमुख कारक ग्रह माना जाता है. इसे भोग-विलास, सुख-सुविधा और जीवनसाथी के आकर्षण का कारक भी कहा जाता है.
प्रेम विवाह में सफलता: यदि कुंडली में शुक्र मजबूत और शुभ स्थिति में है, तो यह प्रेम विवाह की सफलता की संभावना को बढ़ाता है.
रिश्ते में मधुरता: एक मजबूत शुक्र वैवाहिक रिश्ते में प्रेम, आकर्षण और अंतरंगता बनाए रखता है. इसका शुभ प्रभाव पति-पत्नी के बीच की दूरियों को मिटाकर जीवन में मधुरता घोलता है.
सुख-सुविधा: यह दांपत्य जीवन में भौतिक सुख और समृद्धि भी लाता है.
बृहस्पति (Jupiter): विवाह का कारक और सौभाग्य का दाता
बृहस्पति (गुरु) को ज्योतिष में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है और इसे साक्षात विवाह का कारक ग्रह भी कहा जाता है. विशेषकर, स्त्री की कुंडली में बृहस्पति पति और वैवाहिक सुख का प्रतिनिधित्व करता है.
क्यों है ज़रूरी?
बाधा रहित विवाह: यदि कुंडली में बृहस्पति मजबूत और शुभ स्थिति में हो, तो विवाह में आने वाली बड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं. विवाह आसानी से और सही समय पर संपन्न होता है.
दांपत्य जीवन में सुख: एक बलवान बृहस्पति दांपत्य जीवन में ज्ञान, समझदारी, सम्मान और धर्म की भावना लाता है, जिससे रिश्ता सुखी और स्थिर रहता है. यह भाग्य और सौभाग्य को भी बढ़ाता है.
चंद्रमा (Moon): मन और भावनात्मक जुड़ाव का स्वामी
चंद्रमा मन और भावनाओं का स्वामी है. वैवाहिक जीवन केवल शारीरिक जुड़ाव नहीं है, बल्कि यह दो मन और भावनाओं का भी मिलन है. इसलिए, चंद्रमा की स्थिति शुक्र के साथ मिलकर वैवाहिक जीवन को गहराई से प्रभावित करती है.
क्यों है ज़रूरी?
मानसिक तालमेल: चंद्रमा का शुभ होना यह सुनिश्चित करता है कि पति-पत्नी के बीच मानसिक जुड़ाव और भावनात्मक तालमेल सही रहे.
सकारात्मक भावनाएं: यह जीवनसाथी के प्रति प्रेम, सहानुभूति और समझदारी जैसी सकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करता है, जो किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है.
मंगल (Mars): ऊर्जा, साहस और पति का सूचक
मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस और इच्छाशक्ति का प्रतीक है. हालांकि इसे अक्सर मांगलिक दोष के कारण विवाह में नकारात्मक रूप से देखा जाता है, लेकिन इसकी शुभ स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.
क्यों है ज़रूरी?
स्त्री की कुंडली में महत्व: ज्योतिष के अनुसार, विशेष रूप से स्त्री की कुंडली में मंगल को पति का सूचक (पति का प्रतिनिधित्व करने वाला) माना जाता है. इसलिए, विवाह की सफलता और पति के साथ सामंजस्य के लिए मंगल का मजबूत होना आवश्यक है.
रिश्ते में उत्साह: एक शुभ मंगल वैवाहिक रिश्ते में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह बनाए रखता है, जिससे जीवन में नीरसता नहीं आती. यह निर्णय लेने की क्षमता और रक्षात्मक प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। Marriage Astrology टिप्स: केवल मुहूर्त नहीं, इन ग्रहों का शुभ होना जरूरी है शादी की खुशियों के लिए







