Breaking
13 Oct 2024, Sun

कटनी में भ्रष्टाचार की काली डस्ट से हो रहा है 15 करोड़ की लागत वाले फॉरेस्टर प्ले ग्राउंड की बिल्डिंग का निर्माण बड़े हादसे को आमंत्रण

IMG 20240929 WA0019

कटनी। कटनी में भ्रष्टाचार की काली डस्ट से हो रहा है 15 करोड़ की लागत वाले फॉरेस्टर प्ले ग्राउंड की बिल्डिंग का निर्माण आने वाले समय मे बड़े हादसे का कारण न बने।

IMG 20240929 WA0018

कटनी के फॉरेस्टर प्ले ग्राउंड में क्रिकेट एवं हाकी सहित अन्य खेलों के परिसर का का निर्माण 15 करोड़ की अलग अलग मद की राशि से निर्माण कार्य किया जा रहा है ।

IMG 20240929 WA0019

ग्राउंड में खेल रहे खिलाड़ियों से बात करने पर पता चला कि खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दान दिए गए परिसर को पिछले सालों में खेल विभाग को ट्रांसफर हो चुकी इस जमीन पर पुलिस हाउसिंग निगम द्वारा टैंडर के माध्यम से क्रिकेट, हांकी ,टेबिल टेनिस सहित अन्य खेलों ग्राउंड, हॉल, पेवेलियन, टीम रूम, से दस हजार दर्शकों के बैठने के लिए गैलरी का निर्माण हो रहा है।

IMG 20240929 WA0020

ग्राउंड निर्माण में अधिकारियों एवं ठेकेदारों की मिलीभगत से फ़ुटिंग, फाउंडेशन निर्माण कार्य ऐसी सामग्री का उपयोग किया जा रहा है जिसका उपयोग किसी भी तरह से सिविल इंजीनियरिंग में अनुमोदित नही होता ।

इस तरह के मैटेरियल से बनी इमारत किसी दिन दुर्घटना में हजारों लोगों के लिए मौत का ग्राउंड साबित होगी।

मात्र अपने फायदे के लिए निर्माण में कम मात्रा रेत और अधिक मात्रा में काली डस्ट का उपयोग किया जा रहा है।

सिविल इंजीनियरिंग में कंप्रेसिव स्ट्रेंथ के आधार पर किसी भी बिल्डिंग के फ़ुटिंग, फ़ाउंडेशन और कॉलम में काली डस्ट को मिलाने की मनाही होती है इसके लिए अच्छी क्वाल्टी की सीमेंट में स्वीकृत क्वालटी की काली की गिट्टी, नदी की रेत के साथ मिक्चर तैयार किया जाता है।

इसे भी पढ़ें-   मैं हूँ अभिमन्यु' के तहत उत्कृष्ट विद्यालय, कटनी में जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

इस मामले में जब यशभारत डॉट कॉम ने खिलाड़ियों से पूछा तो उन्होंने बताया की एक साल से अभी तक बने स्ट्रक्चर की फाउंडेशन का निर्माण ऐसे ही हुआ है।

नीचे किस मटेरियल का उपयोग हुआ है ऊपर हुए निर्माण के बाद पता ही नही चलता क्योंकि उन्हें पता है की नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों की जेब गर्म हो चुकी है इसलिए ठेकदारों के हौसले भ्रष्टाचार करने में और बुलंद हो चुके हैं।

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक खोजी पत्रकारिता