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13 Oct 2024, Sun

केले के लिए किया गया तख्तापलट: अमेरिका ने कैसे ग्वाटेमाला में बदल दिया सरकार

united front company

केले के लिए किया गया तख्तापलट: अमेरिका ने कैसे ग्वाटेमाला में सरकार बदल दिया। बांग्लादेश में पसरी राजनीतिक अस्थिरता काफी समय से चर्चा में है. कहा जा रहा है कि शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने में अमेरिका का हाथ था. अमेरिका इन आरोपों को खारिज करता है. हालांकि, 1954 में अपने फायदे के लिए अमेरिका ने ग्वाटेमाला द्वीप में तख्तापलट को अंजाम दिया था. आइए जानते हैं पूरा किस्सा.

बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार के अचानक गिर जाने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसकी एक थ्योरी यह बताई जा रही है कि अमेरिका की नजर बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर थी. लेकिन जब शेख हसीना की सरकार ने अमेरिका को उस द्वीप को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी, तो सरकार के खिलाफ अभियान चलाया गया. हालांकि, अमेरिका ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है, लेकिन इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां सुपरपावर अमेरिका ने अपने से छोटे देशों की राजनीति में खुलकर हस्तक्षेप किया है. 1954 में ऐसी ही एक साजिशका शिकार हुआ ग्वाटेमाला द्वीप.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद ज्यादातर देश दो धड़ों में बंटे हुए थे. अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना गया. ग्वाटेमाला की सरकार को हटाने की एक वजह यही थी. हालांकि, तख्तापलट की एक और वजह यह भी थी कि ग्वाटेमाला की नई सरकार के फैसलों से अमेरिकी यूनाइटेड फ्रूट कंपनी को बिजनेस में नुकसान हो रहा था.

यूनाइटेड फ्रूट कंपनी और ग्वाटेमाला

यूनाइटेड फ्रूट कंपनी की स्थापना 1899 में हुई थी. यह कंपनी लैटिन अमेरिका से ट्रॉपिकल फलों, खासतौर से केले, को लाकर अमेरिका और यूरोप में बेचा करती थी. लेकिन मुनाफा बढ़ाने के लिए UFC ने ऐसे कई कदम उठाए जिससे लैटिन अमेरिका के देशों को भारी पर्यायवरण और राजनीतिक नुकसान हुआ. फलों की उपज बढ़ाने के लिए जंगलों को साफ कर दिया गया. UFC का एंपायर मध्य अमेरिकी देशों- ग्वाटेमाला, अल साल्वाडोर, होंडुरास, निकारागुआ, कोस्टा रिका और पनामा में फैला हुआ था. ग्वाटेमाला में जब तानाशाह जॉर्ज का राज था, तब यूनाइटेड फ्रूट कंपनी का देश की 42% जमीन पर कब्जा था. सिर्फ यह ही नहीं देश का टेलिफोन और टेलिग्राफ सिस्सटम और अधिकांश रेलरोड ट्रेक UFC ने खरीदा हुआ था.

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तानाशाह जॉर्ज ने यूनाइटेड फ्रूट कंपनी को ग्वाटेमाला में फलने-फूलने में पूरी मदद की. कंपनी को कोई भी टैक्स और इमपोर्ट ड्यूटी देने से छूट मिली हुई थी. देश का 77 प्रतिशत एक्सपोर्ट अमेरिका को होता था. 65 प्रतिशत इमपोर्ट अमेरिका से होता था. ग्वाटेमाला में केले के उत्पादन, जो देश की कमाई का प्रमुख स्रोत था, पर पूरी तरह से अमेरिकी कंपनी का कंट्रोल था. लेकिन 1951 में जब जैकोबो अर्बेनज़ गुज़मैन नए राष्ट्रपति बने, तो कंपनी को मिलने वाली स्पेशल ट्रीटमेंट में कटौती हो गई.

क्यों ग्वाटेमाला से चिढ़ गया अमेरिका

ग्वाटेमाला की 1944 क्रांति ने दक्षिणपंथी तानाशाह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. इसके बाद देश में लोकतांत्रिक चुनाव हुए और डॉ. जुआन जोस एरेवलो को देश का सर्वोच्च चुना गया. वो एक उदार नेता और शिक्षक थे, जिनके कार्यकाल में 6,000 से ज्यादा स्कूल बने और हेल्थ केयर सिस्टम भी दुरुस्त हुआ. एरेवलो के बाद 1951 में नए राष्ट्रपति चुने गए जैकोबो अर्बेनज.

अर्बेनज जब सत्ता में आए तो उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता के विस्तार के लिहाज से ग्वाटेमाला में कम्युनिस्टों को राजनीति में भाग लेने की अनुमति दे दी. तीन करोड़ की आबादी वाले देश में केवल 4,000 कम्युनिस्ट के रूप में रजिस्टर्ड थे. लेकिन ये शीत युद्ध का समय था. इसलिए अमेरिका इस फैसले से खुश नहीं था. इसी के साथ-साथ अर्बेनज सरकार ने फैसला सुनाया कि वो बड़े संपत्ति मालिकों की अविकसित भूमि को भूमिहीन किसानों को देंगे. अमेरिका ने इसे कम्युनिस्ट सोच से प्रभावित नीति के तौर पर देखा

अमेरिकी सरकार के साथ-साथ ग्वाटेमाला की सरकार की इस नीति ने यूनाइटेड फ्रूट कंपनी को भी खिलाफ कर दिया. सरकार ने इस योजना से देश में मौजूद UFC की 40 प्रतिशत जमीन काफी कम कीमत में उनसे छीन ली.

राष्ट्रपति को उखाड़ फेंकने के लिए चलाया गया प्रोपेगेंडा

जैकोबो अर्बेनज के फैसलों से अमेरिकी सरकार और कंपनी दोनों खुश नहीं थे. इसलिए अर्बेनज को हटाने से अमेरिका को फायदा ही फायदा था. इस काम को अंजाम देने के लिए सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) को चुना गया, जिसे कुछ सालों पहले ही बनाया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रूमैन के कार्यकाल में 1947 में CIA एजेंसी बनी थी. कहते हैं कि अमेरिकी सरकार का इरादा मूल रूप से CIA को एक समाचार पत्र बनाने का था जो उन्हें ऐसी विदेशी नीतियों के बारे में सूचित करेगा जो अमेरिका को प्रभावित कर सकता है. लेकिन फिर इसे गुप्त अभियानों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया गया.

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CIA की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, ग्वाटेमाला में नई सरकार बनने के दो साल बाद उसे उखाड़ फेंकने के लिए CIA ने स्टाफ को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. सीक्रेट ऑपरेशन को नाम दिया गया ‘Operation PBSUCCESS’. जैकोबो अर्बेनज को हटाने वाले ऑपरेशन को लीड करने के लिए CIA ने कर्नल कार्लोस कैस्टिलो, एक आर्बेनज़-विरोधी अफसर को चुना.

17 जून, 1954 को अमेरिकी सरकार और खुफिया एजेंसी की मदद से कैस्टिलो ने हमला कर दिया. हमलावर सेना की संख्या केवल 150 थी, लेकिन CIA ने अपने प्रोपागेंडा से जनता को यकीन दिला दिया था कि एक बड़ा आक्रमण चल रहा है. इसके लिए उन्होंने गुप्त रेडियो स्टेशन का इस्तेमाल किया. ग्वाटेमाला की सेना और सरकार के भीतर जासूसों का इस्तेमाल किया गया जिन्होंने राष्ट्रपति अर्बेनज के अधिकार को सक्रिय रूप से कमजोर किया और उनके समर्थकों का मनोबल गिराया. रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन के लिए हथियार, राजनीतिक एक्शन और बाकी चीजों में 30 लाख डालर का खर्चा हुआ था.

27 जून,1954 को जनता द्वारा चुने गए राष्ट्रपति जैकोबो अर्बेनज़ को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर जाना पड़ा. CIA ने उनकी जगह एक सैन्य तानाशाह कर्नल कार्लोस कैस्टिलो अरमास को नियुक्त कर दिया. पूरे देश को केवल इसलिए अस्थिर किया गया ताकि अमेरिका के हितों को कोई नुकसान न हो.

 

 

 

 

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक खोजी पत्रकारिता