
टाटा ग्रुप की एक कंपनी ने अपने बहुप्रतीक्षित आईपीओ के जरिए 15,512 करोड़ रुपये जुटाए का लक्ष्य रखा हुआ था. इसमें 6,846 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए गए और मौजूदा प्रवर्तकों ने 8,666 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. टाटा संस और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईएफसी) ने 26.58 करोड़ इक्विटी शेयर बिक्री के लिए पेश किए. कंपनी काआईपीओ को 6 से 8 अक्टूबर तक ओपन था. बड़ी कंपनी होने के नाते निवेशकों ने इस पर भरोसा भी जताया और इसे 2 गुने से ज्यादा सब्सक्रिप्शन भी प्राप्त हुआ।
ब्रोकरेज का अनुमान
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में JM Financial का कहना है कि टाटा कैपिटल के पास 25+ लोन प्रोडक्ट्स का बड़ा पोर्टफोलियो है, जो तीन मेन बिजनेस में बंटा है. 61% रिटेल फाइनेंस, 26% SME और 13% कॉरपोरेट लोन. TCL की AAA स्थिर क्रेडिट रेटिंग की वजह से इसे सस्ती ब्याज दरों पर फंडिंग मिलती है. लेकिन, बैंकों से बढ़ती कॉम्पिटिशन और सिक्योर्ड लोन्स की ज्यादा हिस्सेदारी की वजह से इसका NIM (नेट इंटरेस्ट मार्जिन) 5-5.5% है, जो थोड़ा कम है. फिर भी, कम क्रेडिट कॉस्ट की वजह से इसका रिटर्न ऑन असेट्स 2.1-2.5% रहा है. JM Financial को उम्मीद है कि FY25-27 में TCL का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 20% CAGR से बढ़ेगा, ऑपरेटिंग खर्चे स्टेबल रहेंगे, और क्रेडिट कॉस्ट FY26 के बाद धीरे-धीरे कम होगी. इससे प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 34% CAGR से बढ़ सकता है और वित्त वर्ष-27 में ROA,1.9% और ROE 13.2% तक पहुंच सकता है।
जेएम फाइनेंशियल का मानना है कि टाटा कैपिटल का बिजनेस मॉडल मजबूत है, क्योंकि ये ढेर सारे लोन प्रोडक्ट्स ऑफर करता है और AAA रेटिंग की वजह से सस्ते में फंडिंग ले सकता है. हालांकि, बैंकों से कॉम्पिटिशन की वजह से इसका प्रॉफिट मार्जिन थोड़ा कम है. फिर भी, अगले कुछ सालों में कंपनी का AUM 20% की रफ्तार से बढ़ सकता है, और प्रॉफिट 34% CAGR से बढ़ने की उम्मीद है. वैल्यूएशन के हिसाब से इसका शेयर प्राइस ठीक-ठाक है, जो HDB और CIFC जैसी कंपनियों के बीच है. Master Capital का कहना है कि टाटा कैपिटल भारत की टॉप NBFC है और लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट के लिए अच्छा है. IPO वालों को शेयर होल्ड करना चाहिए और बाकियों को प्राइस कम होने पर खरीदने की सोचनी चाहिए।
खरीदें या बेचें?
मास्टर कैपिटल सर्विसेज का कहना है कि टाटा कैपिटल भारत की तीसरी सबसे बड़ी NBFC है, जिसने 2007 से 73 लाख कस्टमर्स को लोन दिए हैं. इसके 25+ लोन प्रोडक्ट्स और रिटेल, कॉरपोरेट, हाउसिंग फाइनेंस में मजबूत मौजूदगी इसे इंडिया के फाइनेंशियल सेक्टर में लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट के लिए अच्छा ऑप्शन बनाती है. सलाह है कि IPO में शेयर मिलने वालों को इसे लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करना चाहिए. जिन्हें IPO में शेयर नहीं मिले, वो शेयर प्राइस में थोड़ी गिरावट आने पर खरीद सकते हैं।






