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नहाय=खाय के साथ शुरू हुआ सूर्योपासना का तीन दिवसीय महापर्व छठ, 7 नवंबर को सूर्यास्त के समय लगेगा पहला अर्ध्य, 8 नवंबर को सूर्योदय के समय दूसरे अर्ध्य के साथ होगा व्रत का समापन 

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कटनी। उत्तर भारत के साथ साथ शहर में भी छठ पूजा का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है और समापन सप्तमी के दिन। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।छठ महापर्व की शुरुआत आज 5 नवंबर से हो गई है और इस पर्व का पहला दिन नहाय खाय का होता है। तो वहीं दूसरा दिन खरना पूजा, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य तो चौथा दिन उषा अर्घ्य का होता है। ये पर्व शहर में मुख्य रूप से उपनगरीय क्षेत्र छपरवाह, बाबा घाट गायत्रीनगर, बजरंग नगर कालोनी एनकेजे और कटाई घाट में मनाया जाता है। यहां इस पर्व की रौनक देखने लायक होती है। इस साल छठ पर्व 5 नवंबर से लेकर 8 नवंबर तक रहेगा।

छठ पूजा प्रारंभ और समापन

इस साल छठ महापर्व की शुरुआत आज 5 नवंबर से हो गई है और इसकी समाप्ति 8 नवंबर को होगी। पहला अर्घ्य 7 नवंबर को दिया जाएगा और दूसरा अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा।

छठ पूजा के शुभ मुहूर्त पर एक नजर

छठ पूजा का पहला दिन- नहाय खाय, 5 नवंबर 2024, मंगलवार

छठ पूजा का दूसरा दिन- खरना, 6 नवंबर 2024, बुधवार

छठ पूजा का तीसरा दिन- संध्या अर्घ्य, 7 नवंबर, गुरुवार

छठ पूजा का चौथा दिन- उगते सूर्य को अर्घ्य, 8 नवंबर 2024, शुक्रवार

 

छठ पर्व में सूर्य को अर्घ्य देने का समय

(संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : 7 नवंबर 2024 की शाम 05 बजकर 32 मिनट से

(उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : 8 नवंबर 2024 की सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक।

इस तरह मनाया जाता है छठ पर्व

छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करती हैं और स्नान के बाद इस पर्व की शुरुआत करती हैं। छठ पर्व का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है। खरना पूजा में दिन भर व्रत रहने के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर का सेवन करके 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं। इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी में आग जलाकर साठी के चावल और दूध और गुड़ की खीर बनाई जाती है। इसी दिन से 36 घंटों के कठिन व्रत की शुरुआत होती है। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। वहीं चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत का समापन किया जाता है।

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छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा के दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं। व्रत रहते हुए छठ का प्रसाद तैयार करती हैं। फिर पानी में खड़े होकर डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं। मान्यताओं अनुसार छठ पूजा करने से संतान को दीर्घायु और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कई महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी छठ का व्रत रखती हैं।

नहाय खाय में ये करना चाहिए

छठ पूजा के व्रत में नहाय- खाय का खास महत्व है। इसी दिन छठ पूजा का आरंभ हो जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं तलाब या गंगाजल युक्त जल से सर धोकर नहाती हैं और उसके बाद ही भोजन पकाती हैं। इस दिन स्नान करने के बाद ही भोजन पकाना चाहिए और खाना चाहिए। इस दिन व्रत का खाना बनाने के लिए सेंधा नमक का ही प्रयोग करना चाहिए। छठ के नहाय- खाय के दिन एक समय ही भोजन किया जाता है, इसलिए इस दिन पूरे मन से और आराम से बैठकर भोजन करना चाहिए। नहाय- खाय के दिन का भोजन करने से व्रती के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है।

नहाय – खाय में ये खाना चाहिए

छठ पूजा के नहाय- खाय के दिन खाने में कुछ खास चीजों का प्रयोग किया जाता है। इस दिन भोजन में चने का दाल, कद्दू की सब्जी या लौकी की सब्जी और भात जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। इस दिन व्रती महिलाएं एक ही बार भोजन करती हैं और इसके अगले दिन व्रत रखकर शाम को खरना किया जाता है।

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इस तरह रखते हैं छठ व्रत

-छठ पूजा के लिए दो बड़े बांस की टोकरी लें, जिन्हें पथिया और सूप के नाम से जाना जाता है।

-इसके साथ ही डगरी, पोनिया, ढाकन, कलश, पुखार, सरवा भी जरूर रख लें।

-बांस की टोकरी में भगवान सूर्य देव को अर्पित करने वाला भोग रखा जाता है। जिनमें ठेकुआ, मखान, अक्षत, भुसवा, सुपारी, अंकुरी, गन्ना आदि चीजें शामिल हैं।

-इसके अलावा टोकरी में पांच प्रकार के फल जैसे शरीफा, नारियल, केला, नाशपाती और डाभ (बड़ा वाला नींबू) रखा जाता है।

-इसके साथ ही टोकरी में पंचमेर यानी पांच रंग की मिठाई रखी जाती है। जिन टोकरी में आप छठ पूजा के लिए प्रसाद रखा रहे हैं उन पर सिंदूर और पिठार जरूर लगा लें।

-छठ के पहले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।

-इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करना चाहिए।

छठ पूजा में लगने वाली सामग्री

1=गन्ना

2=कपूर

3=दीपक

4=अगरबत्ती

5=बाती

6=कुमकुम

7=चंदन

8=धूपबत्ती

9=माचिस

10=फूल

11=हरे पान के पत्ते

12=साबुत सुपाड़ी

13=शहद

14=हल्दी

15=मूली

16=पानी वाला नारियल

17=अक्षत

18=अदरक का हरा पौधा

19=बड़ा वाला मीठा नींबू

20=शरीफा

21=केला और नाशपाती

22=शकरकंदी

23=सुथनी

24=मिठाई

25=पीला सिंदूर

26=दीपक

27=घी

28=गुड़

29=गेंहू

30=चावल का आटा

 

 

Vivek Shukla

28 वर्ष से पत्रकारिता, क्राइम रिपोर्टर के रूप में लंबा अनुभव डिजिटल मीडिया में सक्रिय, खबरों का फॉलोअप तथा उसकी तह तक जाना वर्तमान में यशभारत डॉट कॉम में उप संपादक

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