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Chat Yudh History: आलू टिक्की से हुई तकरार, चाट वाले भिड़े फिर मारमार, बागपत से कानपुर तक खिंची चाट की लकीर, जानिए ‘चाट युद्ध’ का मजेदार इतिहास

Chat Yudh History: आलू टिक्की से हुई तकरार, चाट वाले भिड़े फिर मारमार, बागपत से कानपुर तक खिंची चाट की लकीर, जानिए ‘चाट युद्ध’ का मजेदार इतिहास

Chat Yudh History: आलू टिक्की से हुई तकरार, चाट वाले भिड़े फिर मारमार, बागपत से कानपुर तक खिंची चाट की लकीर, जानिए ‘चाट युद्ध’ का मजेदार इतिहास। चाट युद्ध” शब्द सबसे पहले 2019 में बागपत, उत्तर प्रदेश में चर्चा में आया, जब दो प्रतिष्ठित चाट विक्रेताओं के बीच ग्राहक खींचने को लेकर जबरदस्त झगड़ा और मारपीट हो गई थी।

Chat Yudh History: आलू टिक्की से हुई तकरार, चाट वाले भिड़े फिर मारमार,  बागपत से कानपुर तक खिंची चाट की लकीर, जानिए ‘चाट युद्ध’ का मजेदार इतिहास
Chat Yudh History: आलू टिक्की से हुई तकरार, चाट वाले भिड़े फिर मारमार, बागपत से कानपुर तक खिंची चाट की लकीर, जानिए ‘चाट युद्ध’ का मजेदार इतिहास

यह घटना वायरल हो गई, जिसमें एक-दूसरे की दुकान पर लाठियों से हमला करते दुकानदार और उनके स्टाफ को देखा गया।

इस वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर इसे मज़ाकिया अंदाज़ में “बागपत चाट युद्ध” का नाम दे दिया गया — और तब से हर ऐसे झगड़े को “चाट युद्ध” कहा जाने लगा, जिसमें दो दुकानों या ग्राहकों के बीच किसी स्ट्रीट फूड को लेकर लड़ाई हो।

चाट युद्ध – बागपत से कानपुर तक

1. बागपत (2019):

  • दो मशहूर दुकानदार — “नई दुकान” बनाम “पुरानी दुकान”

  • आरोप था कि एक दुकान ग्राहक खींचने के लिए झूठा प्रचार कर रही थी।

  • विवाद ने हिंसक रूप लिया — लाठीचार्ज, वीडियो वायरल, पुलिस हस्तक्षेप।

  • इसके बाद एक दुकानदार को सोशल मीडिया ने ‘आइंस्टीन’ का खिताब दे दिया क्योंकि उसने प्रेस से बात करते समय बेहद आत्मविश्वास के साथ ऊटपटांग तर्क दिए।

2. कानपुर (2024/2025):

  • हाल में फिर कानपुर के एक बड़े बाजार में चाट को लेकर विवाद हुआ — ग्राहक की खींचतान के बाद मामला गाली-गलौज और मारपीट तक जा पहुंचा।

  • कई लोग घायल हुए, और सोशल मीडिया पर इसे “दूसरा चाट युद्ध” कहा गया।

  • लोगों ने एक बार फिर बागपत के ‘आइंस्टीन चाट वाले’ को याद किया।

आखिर क्यों होते हैं चाट युद्ध?

  • लॉकडाउन के बाद बढ़ी प्रतिस्पर्धा और सड़क किनारे व्यवसायियों की संख्या में इजाफा।

  • ग्राहक संख्या सीमित, लेकिन दुकानदार ज्यादा।

  • लोकेशन, टेस्टिंग, सोशल मीडिया प्रचार, और सस्ती कीमत — इन पर टकराव होता है।

  • कभी-कभी “रिव्यू फाइट” भी होती है — दुकानदार एक-दूसरे की छवि खराब करते हैं।

‘आइंस्टीन’ कौन था?

बागपत चाट युद्ध के दौरान एक दुकानदार का प्रेस को बयान इतना अजीब और आत्मविश्वासी था कि नेटिज़न्स ने उसे ‘आइंस्टीन चाट वाला’ कह दिया। उसने कहा था —

“हम विज्ञान के हिसाब से चाट बनाते हैं, हमारे यहां अणु-परमाणु का संतुलन रहता है।”

इस बयान ने उसे मीम स्टार बना दिया और उसने अनजाने में ही इंटरनेट इतिहास में जगह बना ली।

निष्कर्ष

“चाट युद्ध” भारत के लोकल बिजनेस कल्चर, स्वाद की प्रतिस्पर्धा, और सोशल मीडिया की ताकत का एक रंगीन उदाहरण है। हालांकि ये घटनाएं हास्यास्पद लगती हैं, पर ये बताती हैं कि छोटे व्यवसायों के बीच प्रतिस्पर्धा किस हद तक जा सकती है

Chat Yudh History: आलू टिक्की से हुई तकरार, चाट वाले भिड़े फिर मारमार, बागपत से कानपुर तक खिंची चाट की लकीर, जानिए ‘चाट युद्ध’ का मजेदार इतिहास

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