Big Breaking: शिक्षकों के लिए खुशखबरी मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा ऐलान, अब शिक्षक रिटायरमेंट 62 नहीं 65 साल में
शिक्षक दिवस पर मध्य प्रदेश के शिक्षकों के लिए एक ऐतिहासिक और उत्साहवर्धक खबर आई है। राज्य की मोहन सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले हजारों शिक्षकों को एक बड़ा तोहफा दिया है। अब आदिम जाति विभाग के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षक 65 साल की उम्र तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे।
शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र में यह 3 साल का इजाफा उनकी इच्छा पर निर्भर करेगा। यानी, अगर शिक्षक 62 साल की उम्र के बाद भी पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें अपनी सेवाएं जारी रखने का मौका मिलेगा। यह निर्णय शिक्षकों के अनुभव और उनकी सेवा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
आदिम जाति कल्याण मंत्री का ऐलान: “अब 65 में होंगे रिटायर”
खंडवा में शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल कैबिनेट मंत्री ने रिटायर होने वाले शिक्षकों के लिए बड़ा ऐलान किया है. आदिम जाति कल्याणमंत्री विजय शाहने कहा कि “ऐसे कई शिक्षक हैं जो रिटायरमेंट के बाद भी विभाग में टीचर के रूप में अपनी सेवाएं देना चाहते हैं. ऐसे टीचर्स को दो बार एक्सटेंशन दिया जाएगा. ऐसे में अभी टीचर्स की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल है लेकिन दो एक्सटेंशन के बाद टीचर का 65 साल की उम्र में रिटायरमेंट होगा. आगे काम करने की इच्छा रखने वाले टीचर्स को मौका देने के लिए राज्य सरकार जल्द ही नया प्रस्ताव लेकर आ रही है.”।”
राज्य सरकार का कदम: शिक्षकों को मिलेगा काम करने का और मौका
राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उन शिक्षकों को अवसर मिले जो रिटायरमेंट के बाद भी शिक्षण के क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहते हैं। इसके लिए जल्द ही सरकार एक प्रस्ताव लाने वाली है, जो उन शिक्षकों के लिए आशा की किरण बनेगा जो अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करना जारी रखना चाहते हैं।
अन्य सेवाओं में भी हो सकता है बड़ा बदलाव
सरकार कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र में एकरूपता लाने की भी योजना बना रही है। अभी प्राध्यापक, चिकित्सा और नर्सिंग जैसी सेवाओं में रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है, जबकि अन्य सरकारी सेवाओं में यह उम्र 62 साल है। बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में इस असमानता को दूर करने का वादा किया था, और अब इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
शिक्षक दिवस पर मिला यह तोहफा शिक्षा जगत में क्यों अहम है?
यह कदम न केवल शिक्षकों को सम्मानित करता है, बल्कि छात्रों के लिए भी यह एक वरदान साबित होगा, क्योंकि अनुभव और ज्ञान से लैस शिक्षक अब और अधिक समय तक अपने छात्रों को शिक्षित कर सकेंगे।