जामा मस्जिद के शाही इमाम के बेटे की अपील – कुर्बानी की फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर न डालें
जामा मस्जिद के शाही इमाम के बेटे की अपील – कुर्बानी की फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर न डालें

जामा मस्जिद के शाही इमाम के बेटे की अपील – कुर्बानी की फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर न डालें।बकरीद (ईद-उल-अजहा) 2025 कल 7 जून को मनायी जाएगी। यह मुस्लिम धर्म का पालन करने वालों के लिए यह एक बहुत बड़ा त्योहार है, जिसे पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति इबादत और कुर्बानी की याद में मनाया जाता है।
जामा मस्जिद के शाही इमाम के बेटे की अपील – कुर्बानी की फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर न डालें
कल बकरीद के दिन सभी ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज अदा की जाएगी। हर क्षेत्र की तरह राजधानी दिल्ली में भी बकरी ईद की तैयारियां जोरो पर है। हालांकि, कुर्बानी से पहले दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बेटे मौलाना शाबान बुखारी ने मुसलमानों से खास अपील की है। मौलाना शाबान बुखारी ने कहा, “ईद उल अजहा खुशियों के दिनों में एक दिन है। मेरी लोगों से गुजारिश है कि बंद जगहों पर ही कुर्बानी करें। सरकार की गाइडलाइंस को फॉलो करें। सड़कों, बाजारों और खुली जगहों पर कुर्बानी से परहेज करें।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि साफ सफाई का खास खयाल रखें हमसायों (पड़ोसियों) के जज्बात का लिहाज रखें और सबसे अहम बात जो मैं कहना चाहूंगा कि सोशल मीडिया पर तस्वीर या वीडियो शेयर न करें। ये इंसानियत के खिलाफ है. ये इबादत है इसे नफरत का सबब न बनाएं।
क्यों मनाई जाती है बकरीद?
इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक ‘बकरीद’ को ‘कुर्बानी की ईद’ भी कहा जाता है. यह त्योहार हजरत इब्राहिम की उस परीक्षा की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का इरादा बना लिया था, लेकिन फिर आखिरी वक्त पर अल्लाह ने उन्हें बेटे की कुर्बानी देने से रोका और एक जानवर कुर्बान करने का आदेश दिया। तब से इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने जिल-हिज्जा की 10वीं तारीख को इस्लाम धर्म के लोग ‘बकरीद’ मनाते हैं। इस दिन मुस्लिम धर्मावलंबी नमाज अदा कर जानवर की कुर्बानी देते हैं जो भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं हैं और गोश्त को जरूरतमंदों में बांटते हैं।