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इंदौर में दूषित पानी का कहर: भागीरथपुरा में 3 और मौत, अब तक 12 मौतें, 1100 से अधिक बीमार हाई कोर्ट सख्त, मुख्यमंत्री ने अस्पताल पहुंचकर लिया हाल

इंदौर। भागीरथपुरा में दूषित पेयजल से फैली उल्टी-दस्त की महामारी ने बुधवार को दो और जिंदगियां लील लीं। छह माह के मासूम और 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के साथ ही क्षेत्र में इस संकट से मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1100 से अधिक लोग बीमार हैं और 120 से ज्यादा मरीज विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होकर उपचार ले रहे हैं।

मामले की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को दो जनहित याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गईं। सुनवाई के दौरान अदालत ने शासन को सभी पीड़ितों का निश्शुल्क उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।

मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधि मौके पर

बुधवार शाम मुख्यमंत्री मोहन यादव इंदौर पहुंचे और विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजों व उनके स्वजनों से मुलाकात कर हालात का जायजा लिया। इससे पहले दिनभर भागीरथपुरा की गलियों में दहशत का माहौल रहा। 350 से अधिक लोग उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर स्थानीय डिस्पेंसरी पहुंचे और उपचार लिया।
इधर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी क्षेत्र में पहुंचे। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के स्वजनों ने मंत्री से शिकायत की कि शासन के आदेश के बावजूद उपचार के नाम पर उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं।

शिकायतें होती रहीं, जिम्मेदार बने रहे अनजान

रहवासियों का कहना है कि वे कई दिनों से दूषित पानी की शिकायत कर रहे थे, लेकिन जिम्मेदारों ने समय रहते ध्यान नहीं दिया।
एक सप्ताह पहले अचानक उल्टी-दस्त के मामले बढ़े और मौतों का सिलसिला शुरू हो गया।
मृतकों में छह माह के शिशु से लेकर 80 वर्षीय बुजुर्ग तक शामिल हैं।
बुधवार को दम तोड़ने वाले बच्चे की मां ने बताया कि दूध कम आने के कारण वह पानी मिलाकर बाहर का दूध पिला रही थी—उसे अंदाजा नहीं था कि वही पानी जहर बन जाएगा।

मुख्यमंत्री के दौरे से पहले अव्यवस्था

मुख्यमंत्री के अस्पताल पहुंचने से पहले जिला प्रशासन ने मरीजों के स्वजनों को बाहर कर दिया, जिससे कई जगह अफरा-तफरी मची। वर्मा नर्सिंग होम में तो इस बात को लेकर स्वजनों और पुलिसकर्मियों के बीच विवाद की स्थिति भी बनी।

अब तक दर्ज मौतें

गोमती रावत (50) — 26 दिसंबर, निजी अस्पताल
उर्मिला यादव (69) — 27 दिसंबर, क्लाथ मार्केट
सीमा प्रजापत (35) — 29 दिसंबर, भागीरथपुरा (घर)
उमा पप्पू कोरी (31) — 30 दिसंबर, अरबिंदो अस्पताल
नंदलाल पाल (75) — 30 दिसंबर, वर्मा नर्सिंग होम
मंजूला दिगंबर (70) — 30 दिसंबर, एमवायएच
तारारानी (70) — 30 दिसंबर, घर पर
अभियान साहू (6 माह) — 29 दिसंबर, घर पर
जीवनलाल बरेडे (75) — 28 दिसंबर, घर पर

सवाल कायम है: यदि समय रहते शिकायतों पर कार्रवाई होती, तो क्या इतनी बड़ी त्रासदी टाली जा सकती थी? अब निगाहें प्रशासन की त्वरित कार्रवाई, सुरक्षित जलापूर्ति और दोषियों पर जवाबदेही तय होने पर टिकी हैं।

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