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कमलनाथ को केंद्र में काम ज्योतिरादित्य को प्रदेश की कमान!

राजनीतिक डेस्क। अगर अपुष्ट सूत्रों की माने तो  राष्ट्रीय कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को मिलने के साथ ही म.प्र. में साफ हो जायेगा कि कॉग्रेस किस रास्ते चलेगी।

जैसी कि खबरे है कि कमलनाथ को केन्द्र में काम तो म.प्र. में ज्योतिरादित्य सिधिया के हाथों होगी कमान ।

रहा सवाल नर्मदा यात्रा में जुटे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का तो उनका जोर होगा कि अब भले ही प्रदेश की राजनीति में वह न लौटे। मगर अपने पुत्र की भूमिका को म.प्र. में अपनी विरासत के रुप में देखना चाहेगें।
वहीं आलाकमान के वरदहस्त से विपक्ष के नेता और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष आलाकमान के निर्णय से विमुख होने की स्थिति में नहीं।

वैसे भी देखा जाये तो औपचारिक, अनौपचारिक तौर पर विपक्ष के नेता, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष, झाबुआ सांसद, मंदसौर से पूर्व सांसद म.प्र. में संगठन या सार्वजनिक तौर पर अपनी स्वीकार्यता सिद्ध नहीं कर पायें।

दूसरी तरफ देखा जाये तो विगत 10 वर्षो में सिंधिया ने गुटों में बंटी कांग्रेस में अपनी निष्पक्ष छवि के बल न सिर्फ सोनिया गांधी वरन देश के अन्य दिग्गज कांग्रेसियों का ध्यान खींचा है।

सूत्रों की मानें तो हालात बदले बदले से नजर आ रहे हैं। अब से कुछ समय पहले तक अन्दरुनी सियासत के चलते संगठन के अन्दर सिंधिया भले ही आलाकमान के यहां संघर्षरत रहे हो  मगर उनकी सार्वजनिक स्वीकार्यता ने विरोधियों का भी मुँह बन्द किया। 

हाल में गुजरात प्रचार के दौरान सिंधिया की सभाओं में काफी भीड़ नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस जल्द ही ज्योतिरादित्य को प्रदेश की संगठन कमान साथ ही मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में अधिकृत तौर पर घोषित कर सकती है। फिलहाल राज्य की कांग्रेस में म.प्र. में ऐसा कोई कद्दावर नेता नहीं जो भाजपा को चारो खाने चित कर सके। लिहाजा आलाकमान गुजरात चुनाव पश्चात सिंधिया को म.प्र. की बागडोर सौपने का निर्णय ले चुका है जो कॉग्रेस का दूरगामी कदम साबित होगा।

कांग्रेस म.प्र. में सिंधिया के बल पर भाजपा को को घेरने की तैयारी कर चुकी है, क्योंकि जैसी कि खबर है। कि अब आलाकमान गुजरात चुनाव के बाद म.प्र. की बागडोर बदलने का पूरा मन बना चुका है। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इसी के बल पर 2018 की नैया पार कर लेगी।

हालांकि यह सपना कांग्रेस पिछले 3 बार से देख रही है मगर कांग्रेस के ही अंदर येन वक्त सिंधिया को लेकर एक मत नहीं हो पाता।

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