
क्या शशि छोड़ देंगे कांग्रेस? थरूर की नई पोस्ट से उठे इस्तीफे के सवाल, कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद शशि थरूर की हालिया सोशल मीडिया पोस्ट ने पार्टी के अंदर सियासी घमासान तेज कर दिया है. 25 जून को उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि ‘किसी से इजाजत मत मांगो, ये पंख तुम्हारे हैं, चाहे आसमां किसी का भी क्यों न हो.’ इस पोस्ट के साथ एक चिड़िया की तस्वीर साझा की गई, जो कई सवाल खड़े कर रही है. जैसे कि क्या कांग्रेस के अंदर थरूर किसी प्रकार की कैद में हैं? क्या थरूर पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं?
क्या शशि छोड़ देंगे कांग्रेस? थरूर की नई पोस्ट से उठे इस्तीफे के सवाल
शशि थरूर ने अपने ऑफिसीयल एक्स अकाउंट पर यह पोस्ट की. जिसमें उन्होंने एक प्रेरणादायक संदेश के साथ एक छोटी सी चिड़िया की तस्वीर भी साझा की. पोस्ट के बाद से सोशल मीडिया पर चर्चा जोरों पर है. कई लोग इसे कांग्रेस छोड़ने की ओर इशारा मान रहे हैं. खासकर तब जब हाल के दिनों में थरूर की भाजपा नेताओं से मुलाकातें और प्रधानमंत्री के साथ उनकी नजदीकियां चर्चा में रही हैं.
भाजपा नेताओं के साथ मुलाकातें
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान थरूर का भाजपा के साथ सहयोग और पीएम की तारीफ करना भी लोगों के मन में शक पैदा कर रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि यह पोस्ट उनकी आजादी और नई पारी की शुरुआत का संकेत हो सकता है. दूसरी ओर कांग्रेस के समर्थक इसे एक प्रेरणादायक संदेश मानकर थरूर का बचाव कर रहे हैं कि वो उनकी अन्य पोस्ट के समान ही साधारण सी है. पार्टी के अंदर इस पोस्ट को लेकर अलग-अलग राय देखने को मिल रही है.
थरूर का अगला कदम पार्टी को प्रभावित करेगा
कुछ नेता इसे गंभीरता से ले रहे हैं, तो कुछ इसे साधारण संदेश बता रहे हैं. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि थरूर का अगला कदम पार्टी के भविष्य को प्रभावित कर सकता है. पिछले दिनों शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व से अपने मतभेदों को लेकर खुलकर बयान दिया. उन्होंने माना कि पार्टी में कुछ नेताओं के साथ उनकी राय अलग है, लेकिन साथ ही ये भी साफ किया कि कांग्रेस उसके विचार और समर्पित कार्यकर्ता आज भी उनके दिल के बेहद करीब हैं.
पार्टी वर्कर्स- सहकर्मी नहीं, बल्कि मेरे भाई जैसे
पिछले दिनों शशि थरूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी में 16 सालों तक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम किया है और वो उन्हें सिर्फ सहकर्मी नहीं, बल्कि अपने भाई की तरह मानते हैं. हालांकि उन्होंने अपनी नाराजगी भी जाहिर की. उनका ये भी कहा था कि जहां उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता, वहां वे नहीं जाते. जब शशि थरूर से पूछा गया कि वो नीलांबुर उपचुनाव के प्रचार अभियान में क्यों नहीं दिखे, तो उन्होंने दो टूक में कहा कि मैं वहां नहीं जाता, जहां मुझे बुलाया नहीं जाता. उन्होंने बताया कि उन्हें इस बार किसी प्रचार कार्यक्रम के लिए नहीं बुलाया गया, जबकि इससे पहले हुए उपचुनावों में उन्हें आमंत्रित किया गया था. हालांकि उन्होंने यूडीएफ उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए शुभकामनाएं दी थी और जीत की कामना की.
पीएम मोदी से मुलाकात पर बोले थरूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हालिया बैठक पर बोलते हुए शशि थरूर ने साफ किया कि बैठक केवल ऑपरेशन सिंदूर के तहत अंतरराष्ट्रीय यात्राओं और चर्चाओं तक सीमित रही. हमने घरेलू राजनीति से जुड़ा कोई विषय नहीं उठाया. चर्चा केवल उन प्रतिनिधिमंडलों की विदेश यात्राओं और वहां हुए संवाद पर रही. शशि थरूर ने केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के अपने फैसले का भी मजबूती से बचाव किया. उन्होंने कहा कि जब मैंने संसद की विदेश मामलों की समिति की अध्यक्षता स्वीकार की थी, तब ही साफ कर दिया था कि मेरा फोकस भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हित पर होगा, ना कि कांग्रेस या भाजपा की नीति पर.