
Vande Mataram: वंदे मातरम के 150 साल,BJP ने उठाया पुराना सवाल; बोली- नेहरू ने जानबूझकर बदले थे श्लोक। वंदे मातरम से नेहरू ने जानबूझकर मां दुर्गा के श्लोक हटाए। ये दावा किया है भाजपा नेता सीआर केसवन ने। उन्होंने आज से 89 साल पहले महाराष्ट्र के फैजपुर में आयोजित इंडियन नेशनल कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन का जिक्र कर कहा कि जानबूझकर कांग्रेस पार्टी ने देश के राष्ट्रीय गीत- वंदे मातरम में बदलाव किए।
Vande Mataram: वंदे मातरम के 150 साल,BJP ने उठाया पुराना सवाल; बोली- नेहरू ने जानबूझकर बदले थे श्लोक
1937 में देवी दुर्गा की स्तुति वाले छंद हटा दिए गए
बकौल केसवन, 1937 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वंदे मातरम से देवी दुर्गा की स्तुति वाले छंद हटा दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने ये फैसला कुछ सांप्रदायिक समूहों को खुश करने के लिए लिया। एक्स पर उन्होंने इस संबंध में पोस्ट किया है। इससे वंदे मातरम के मूल स्वरूप और मकसद को लेकर नई बहस छिड़ने की आशंका है।
सांप्रदायिक कारणों से देवी दुर्गा का आह्वान…
बकौल केसवन, कांग्रेस पार्टी ने वंदे मातरम के केवल पहले दो छंदों को स्वीकार किया। कथित सांप्रदायिक कारणों से देवी दुर्गा का आह्वान करने वाले बाद के छंदों को छोड़ दिया गया। भाजपा प्रवक्ता केसवन ने वंदे मातरम की तुलना वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित समारोह से की। बता दें की वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पीएम मोदी की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस समारोह में वंदे मातरम के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन भी किया गया।
नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी ने अपने सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए…
इस समारोह का उल्लेख करते हुए भाजपा नेता केसवन ने कहा, ‘हमारी युवा पीढ़ी के लिए यह जानना जरूरी है कि किस तरह नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी ने अपने सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए 1937 के फैजपुर अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय गीत के रूप में केवल एक संक्षिप्त वंदे मातरम को अपनाया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदे मातरम के 150वें स्मरणोत्सव का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद पूरे देश में गौरवशाली वंदे मातरम के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन होगा।’
देवी के प्रति भक्तिपूर्ण आह्वान को हटाकर ‘ऐतिहासिक पाप और भूल
उन्होंने एक्स पोस्ट में विस्तार से जारी बयान में लिखा, वंदे मातरम किसी विशेष धर्म या भाषा से संबंधित नहीं है, लेकिन उन्होंने कांग्रेस पर इसे धर्म से जोड़कर और देवी के प्रति भक्तिपूर्ण आह्वान को हटाकर ‘ऐतिहासिक पाप और भूल’ की है। केसवन ने आरोप लगाया कि नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने धार्मिक आधार का हवाला देते हुए जानबूझकर वंदे मातरम के उन छंदों को हटा दिया, जिनमें देवी मां दुर्गा की स्तुति की गई थी।
क्या पंडित नेहरू ने लिखा- गीत की पृष्ठभूमि मुसलमानों को ‘चिढ़ा’ सकती है?
भाजपा नेता केसवन ने दावा किया है कि 20 अक्तूबर, 1937 को नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कथित तौर पर लिखा था कि गीत की पृष्ठभूमि मुसलमानों को “चिढ़ा सकती है।” केसवन का दावा है कि नेताजी ने वंदे मातरम के पूर्ण और मूल संस्करण की पुरजोर वकालत की थी।







