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सोशल मीडिया के दबाव में आकर ब्राम्हण समाज के लोगों को झूठे मामलों में फंसा रही पुलिस, ब्राम्हण समाज ने एसपी को ज्ञापन सौंपकर की उच्च स्तरीय जांच की मांग

कटनी(YASHBHARAT.COM)। सोशल मीडिया प्लेटफार्म के दबाव में आकर मामलों की बिना जांच किए पुलिस के द्धारा पिछले दिनों ब्राम्हण समाज के लोगों पर की गई कार्रवाई से जिले के ब्राम्हण समाज में खासा आक्रोश है। बीते मंगलवार को ब्राह्मण समाज ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताते हुए पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। समाज का आरोप है कि जिले में ब्राह्मण युवाओं पर बिना पर्याप्त जांच के झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। समाज ने मांग की है कि इन मामलों की उच्च स्तरीय एवं निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि निर्दोष लोगों को न्याय मिल सके।

ज्ञापन में दो प्रमुख मामलों का जिक्र

ब्राम्हण समाज के द्धारा सौंपे गए ज्ञापन में जिले के स्लीमनाबाद व माधवनगर थाने में दर्ज किए गए दो प्रमुख मामलों का जिक्र किया गया है। जिनमें पुलिस ने केवल और केवल सोशल मीडिया के दबाव में आकर कार्रवाई की है। जिला ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष राजू शर्मा ने बताया कि स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम मटवारा में आपसी रंजिश को जातिसूचक विवाद का रूप देकर एक ब्राम्हण परिवार के युवाओं पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। ब्राम्हण समाज का कहना है कि बिना पर्याप्त साक्ष्य और जांच के युवकों को जेल भेज दिया गया जो न्याय के विरुद्ध है। इसी प्रकार माधवनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत आगजनी के प्रकरण में भी पुलिस ने सोशल मीडिया के दबाव में आकर कार्रवाई की है। इस मामले में भी पुलिस ने एक मुस्लिम व्यक्ति के दबाव में आकर सोशल मीडिया पर फैलाई गई अफवाहों के आधार पर ब्राह्मण युवकों को एक आगजनी की घटना से जोड़ा जा रहा है। समाज ने कहा कि यह सुनियोजित तरीके से ब्राह्मण समुदाय को बदनाम करने का प्रयास है।

ब्राम्हण समाज की प्रमुख मांगें

दोनों प्रकरणों की पुनर्विचारणा और निष्पक्ष जांच कराई जाए। सत्य तथ्यों को उजागर किया जाए और 7 दिनों के भीतर न्यायिक कार्रवाई की जाए।

आंदोलन की चेतावनी

दोनों ही मामलों को लेकन ब्राम्हण समाज ने पुलिस को 7 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। ब्राह्मण समाज ने स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय सीमा में न्याय नहीं मिला तो कटनी सहित आसपास के जिलों में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। समाज ने प्रशासन से अपील की है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कदम उठाए जाएं तथा आगें से ब्राम्हण समाज के लोगों के विरूद्ध की जाने वाली शिकायतों की पहले गंभीरता से जांच की जाए और उसके बाद जांच में मिले साक्ष्यों व तथ्यों के आधार पर ही अपराध पंजीबद्ध कर आगें की कार्रवाई की जाए। खासकर एससी व एसटी एक्ट के मामलों में पुलिस को गंभीरता से जांच कर ही कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि देश 21वीं सदी में पहुंच चुका है और अब कोई भी एससी व एसटी वर्ग के लोगों से भेदभाव करते हुए प्रताडि़त नहीं करता है।

 

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