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नई मिसाइल से वायुसेना की क्षमता में वृद्धि, DRDO के प्रयासों से कम होगी लागत

नई मिसाइल से वायुसेना की क्षमता में वृद्धि, DRDO के प्रयासों से कम होगी लागत

नई मिसाइल से वायुसेना की क्षमता में वृद्धि, DRDO के प्रयासों से कम होगी लागत। एयर लॉन्च सबसोनिक क्रूज मिसाइल में इनर्शियल नेविगेशन और सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम भी लगे होंगे, जिससे यह बहुत सटीकता से लक्ष्य भेदने में सक्षम होगी. साथ ही इसका डिजाइन ऐसा होगा कि यह दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम से बचते हुए बेहद नीचे उड़कर अपने टॉरगेट तक पहुंच सके।

नई मिसाइल से वायुसेना की क्षमता में वृद्धि, DRDO के प्रयासों से कम होगी लागत

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भारतीय सेना के तीनों संगठन बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बीच अपने आप को लगातार अपग्रेड करने में लगे हैं. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO की इसमें खास भूमिका है. DRDO अब एक नई एयर लॉन्च सबसोनिक क्रूज मिसाइल पर तेजी से काम कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक यह मिसाइल न सिर्फ हवा से दागी जा सकेगी बल्कि दुश्मन के इलाके जैसे कि कमांड सेंटर, एयरबेस या लॉजिस्टिक हब को 600 किलोमीटर दूर तक निशाना बनाने में सक्षम होगी.

कई मायनों में खास है एयर लॉन्च मिसाइल

DRDO की ओर से तैयार की जा रही मिसाइल अपने आप में खास है. यह मिसाइल DRDO की पहले से बनी ITCM मिसाइल पर आधारित होगी, लेकिन इसे जमीन की जगह लड़ाकू विमानों से दागा जाएगा.

इस एयर लॉन्च सबसोनिक क्रूज मिसाइल को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि इसे Su-30MKI, राफेल, मिग-29, तेजस और आने वाले AMCA जैसे विमानों से आसानी से लॉन्च किया जा सके. यह काफी किफायती भी होगा.

जमीन से लॉन्च होने वाली मिसाइलों के लिए बूस्टर लगाना पड़ता है, लेकिन इस एयर लॉन्च वर्जन में इसकी जरूरत नहीं होगी क्योंकि विमान से मिसाइल को पहले से ही ऊंचाई और रफ्तार मिल जाएगी.

ब्रह्मोस-NG मिसाइल से की हो रही तुलना

इस खास मिसाइल में भारत में तैयार किए गए माणिक टर्बोफैन इंजन लगाया जाएगा, जिसे खासतौर पर इस काम के लिए अपग्रेड किया जा रहा है. मिसाइल में इनर्शियल नेविगेशन और सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम भी लगे होंगे, जिससे यह बहुत सटीकता से लक्ष्य भेदने में सक्षम होगी. साथ ही इसका डिजाइन ऐसा होगा कि यह दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम से बचते हुए बेहद नीचे उड़कर अपने टॉरगेट तक पहुंच सके.

इस सबसोनिक क्रूज मिसाइल के बारे में कहा जा रहा है कि यह ब्रह्मोस-NG जैसी मिसाइलों की तुलना से हल्की और सस्ती होगी. ब्रह्मोस-NG की रफ्तार बहुत ज्यादा (Mach 3.5) होती है और उसे तेज हमलों के लिहाज से तैयार किया गया है, जबकि यह सबसोनिक मिसाइल धीमी लेकिन लंबी दूरी के लिए बनाया गया है, साथ ही ज्यादा संख्या में इसकी तैनाती भी हो सकेगी.

साल 2025 के अंत तक टेस्टिंग संभव

इसके अलावा कम कीमत की वजह से भारतीय वायुसेना इस मिसाइल को बड़ी संख्या में अपने बेड़े में शामिल कर सकेगी, जिससे उसे ज्यादा ताकत और विकल्प मिलेंगे. यह मिसाइल ब्रह्मोस के साथ मिलकर भारतीय वायुसेना को एक स्मार्ट और संतुलित हथियार सिस्टम देगी, उम्मीद है कि यह आने वाले समय में बड़ी भूमिका निभाएगा.

दावा किया जा रहा है कि इस मिसाइल की पहली टेस्टिंग इस साल के अंत तक की जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक डीआरडीओ की ITCM मिसाइल पहले से टेस्टिंग फेज में है, और एयर-लॉन्च वर्जन उसी पर आधारित है इसलिए इस पर तेजी से काम किया जा सकता है. अगर इन मिसाइल ट्रायल्स सफल रहे और इंडक्शन प्रक्रिया तेज रही, तो इसे साल 2027 के आसपास सीमित संख्या में वायुसेना की ऑपरेशनल यूनिट्स में शामिल किया जा सकता है

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