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धनतेरस 2025 कथा: धन-संपत्ति एवं समृद्धि का वरदान

धनतेरस 2025 कथा: धन-संपत्ति एवं समृद्धि का वरदान

Dhanteras 2025 Katha: धनतेरस 2025 कथा: धन-संपत्ति एवं समृद्धि का वरदान।हर साल कार्तिक मास के त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. धनतेरस से ही दिवाली का पांच दिनों का त्योहार शुरू होता है. आज देश भर में धनतरेस का त्योहार मनाया जा रहा है. धनतरेस के दिन सोने-चांदी और नए बर्तनों की खरीदारी की जाती है. साथ ही इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है.

धनतेरस 2025 कथा: धन-संपत्ति एवं समृद्धि का वरदान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से जातक को भगवान धन्वंतरि का आर्शीवाद प्राप्त होता है, जिससे जातक के जीवन में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती. इस दिन पूजा के दौरान कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन कथा पढ़ने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. साथ ही जीवन में सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं. धन समृद्धि बढ़ती है और खुशहाली आती है. आइए पढ़ते हैं धनतेरस की कथा.

धनतेरस की कथा (Dhanteras Ki Katha)
धनतरेस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि समुद्र से प्रकट हुए थे. उनके हाथों में अमृत का कलश था. भगवान धन्वंतरि जिस दिन प्रकट हुए थे, वो कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि का दिन था. धन्वंतरि भगवान के प्रकटोत्सव के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. भगवान धन्वंतरि औषधि और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं. धन्वंतरि भगवान ने पूरे संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया.

एक कथा ये भी है
इस त्योहार को मनाने की एक और कथा जगत के पालनहार भगवान विष्णु के वामन अवतार से संबंधित है. इस कथा का उल्लेख भागवत पुराण में मिलता है. कथा के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर वामन अवतार ने दैत्यराज बलि से तीन पग भूमि मांगी थी और बाद में तीनों लोकों को अपने पैरों से नाप लिया था. इसके बाद उन्होंने देवताओं को उनकी खोई हुई संपत्ति और स्वर्ग प्रदान किया था. इस वजह से हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतरेस का त्योहार मनाया जाता है.

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