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डॉलर के मुकाबले रुपया 90.14 पर फिसला: पेट्रोल से लेकर EMI तक महंगी होगी आम आदमी की जिंदगी

डॉलर के मुकाबले रुपया 90.14 पर फिसला: पेट्रोल से लेकर EMI तक महंगी होगी आम आदमी की जिंदगी भारतीय रुपया लगातार दबाव में है और 3 दिसंबर को यह डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 90.14 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कुछ दिनों में यह तीसरी बार है जब रुपये में इतनी तेज गिरावट दर्ज की गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ वित्तीय आंकड़ा नहीं, बल्कि आम लोगों की जेब और रोजमर्रा की जिंदगी पर बड़ा असर डालने वाला संकेत है।

ईंधन के दाम और रोजमर्रा का खर्च बढ़ने का खतरा

भारत पेट्रोल, डीजल और गैस का बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात करता है। डॉलर मजबूत होने पर इनकी लागत बढ़ जाती है और ईंधन महंगा हो जाता है। ईंधन कीमतें बढ़ने के बाद ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ जाती है और वही असर सब्ज़ी, दूध, किराना और कपड़ों जैसे रोजमर्रा के सामानों पर दिखाई देने लगता है। रुपये की कमजोरी सीधे महंगाई को बढ़ावा देती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट्स होंगे महंगे

मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, फ्रिज और छोटे घरेलू गैजेट्स के ज्यादातर पार्ट आयातित होते हैं। कंपनियां डॉलर में भुगतान करती हैं, इसलिए लागत बढ़ते ही प्रोडक्ट की कीमतें ऊपर चली जाती हैं। इसका असर प्रीमियम स्मार्टफोन्स से लेकर LED बल्ब और किचन उपकरणों तक पर पड़ता है।

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ता

रुपये में गिरावट का असर शेयर बाजार पर मिश्रित रहता है।

  • IT और फार्मा सेक्टर को फायदा होता है, क्योंकि उनकी कमाई डॉलर में होती है।
  • इसके उलट ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील और आयात पर निर्भर उद्योगों पर दबाव बढ़ जाता है।

इससे सेंसेक्स-निफ्टी में अस्थिरता बढ़ने लगती है।

विदेश में पढ़ाई और लोन महंगे

डॉलर महंगा होने से विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की फीस, रहने और अन्य खर्चों में सीधे बढ़ोतरी होती है।
दूसरी ओर, रुपये के कमजोर होने और महंगाई बढ़ने पर RBI ब्याज दरें कम करने से बचता है। कई बार दरें बढ़ानी भी पड़ सकती हैं। इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI बढ़ सकती है

बचत और निवेश पर दबाव

महंगाई बढ़ने पर आम लोगों की बचत कम होने लगती है और फिक्स्ड इनकम वाले निवेशों का वास्तविक मूल्य घट सकता है। सैलरी पर निर्भर परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

 

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