
Rawan: यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं, होती है पूजा और पूरी होती हैं मन्नतें। देशभर में दशहरे पर जहां रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है, वहीं कुछ स्थानों पर यह दिन अलग ही रूप में मनाया जाता है। यहां रावण की पूजा होती है और लोग मानते हैं कि उससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दशहरे के दिन इन खास स्थलों पर श्रद्धालु विशेष अनुष्ठानों में शामिल होकर सफलता, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामनाकरते हैं।
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लोग तो रावण की पूजा करते हैं
राजगढ़ के भाटखेड़ी गांव में सदियों से दशहरे पर रावण दहन नहीं होता बल्कि इस गांव के लोग तो रावण की पूजा करते हैं. यहां पर रावण और कुंभकर्ण की प्राचीन प्रतिमाएं हैं जहां ग्रामीण और दूर-दराज के लोग मन्नतें मांगने आते हैं. मान्यता है कि रावण भगवान शिव के भक्त थे और उनकी पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सारे देश में दशहरे पर्व पर रावण दहन किया जाता है लेकिन राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव में सदियों से रावण की पूजा की जाती रही है. इस गांव से आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे गुजरता है जहां से गांव में बनी रावण और कुंभकर्ण की सीमेंट की सदियों पुरानी प्रतिमा देखी जा सकती है. ये प्रतिमाएं कब और किसने बनवाई थी इसकी जानकारी गांव के लोगों को नहीं है. सैकड़ों साल पुरानी इन प्रतिमाओं की यहां के गांववाले पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा करते आ रहे हैं।
यहां पर लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं और ऐसा कहा जाता है कि रान और कुंभकर्ण उनकी मन्नत को पूरा भी करते हैं. मन्नत मांगने वाले इस स्थान पर किसी भी दिन दिख जाते हैं लेकिन विजयादशमी पर आस-पास के गांवों से सैकड़ों लोग यहां पहुंचते हैं और पूजन-हवन में शामिल होते हैं. नवरात्री पर नौ दिन गांव के लोग ही रामलीला में पात्र बन रामलीला का मंचन करते हैं. दशहरे पर रामलीला का मंचन इन प्रतिमा के सामने कर रामलीला की समाप्ति कर रावण की पूजा करते हैं।
गांव के बुजुर्ग नानकराम बताते हैं कि वह गांव की रामलीला में विभीषण बना करते थे. उनके पूर्वज भी यही करते आ रहे हैं. वो भी उन्हीं की परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं. आगे की पीढ़ी भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाएगी. बता दें कि इस गांव के 17 युवक भारतीय सेना में और एक युवक की दो साल पहले ही एयरफोर्स में नौकरी लगी है. एयर फोर्स में नौकरी लगने वाले युवक का कहना है कि उसे रावण की प्रतिमा पर अटूट विश्वास है. वहीं पर उस युवक ने मन्नत मांगी थी जो कि पूरी हो गई। Rawan: यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं, होती है पूजा और पूरी होती हैं मन्नतें
दशकों से रावण और कुंभकर्ण की पूजा की जाती
परीक्षाओं में पास होने से लेकर नौकरी लगने तक पर रावण की प्रतिमा के आगे मन्नत मांगने पर ही पूरी हुई. यहां दशकों से रावण और कुंभकर्ण की पूजा की जाती है. यह पूजा सिर्फ दशहरे पर ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी चलती रहती है. ग्रामीणों का कहना है कि रावण ने सीता माता का हरण जरूर किया था, लेकिन यह पाप रावण ने केवल इसलिए किया ताकि भगवान राम के हाथों मुक्ति पा सके.
रावण की प्रतिमा के आगे सिर झुकाने से मनोकामनाएं पूरी होती
साथ ही वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था, इस वजह से भी गांव के लोग उसे पूजनीय मानते हैं. भाटखेड़ी के लोगों का दावा है कि यहां रावण की प्रतिमा के आगे सिर झुकाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने प्रत्यक्ष देखा है कि दूसरे जिलों और शहरों से भी लोग यहां आते हैं, और अपनी मन्नत पूरी होने के बाद रावण और कुंभकर्ण की पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं. यही विश्वास इस परंपरा को अब तक जीवित रखे हुए है।