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Ram Mandir Prana Pratishtha Live: धरती के बैकुंठ में आज सिंहासन पर ‘राम आएंगे’, 500 साल बाद हर भक्‍त भाव विभोर है; त्रेता के बाद कलियुग का यह दिन इतिहास में दर्ज

Ram Mandir Prana Pratishtha Live: धरती के बैकुंठ में आज सिंहासन पर 'राम आएंगे', 500 साल बाद हर भक्‍त भाव विभोर है; त्रेता के बाद कलियुग का यह दिन इतिहास में दर्ज

Ram Mandir Prana Pratishtha Live: धरती के बैकुंठ में आज सिंहासन पर ‘राम आएंगे’, 500 साल बाद हर भक्‍त भाव विभोर है; त्रेता के बाद कलियुग का यह दिन इतिहास में दर्ज होगा।

धरती पर करोड़ों भक्तों के जयघोष के बीच अपनी जन्मभूमि अवधपुरी में बने भव्य-दिव्य मंदिर में आज श्रीराम सिंहासन पर प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं. सतयुग, द्वापर, त्रेता के बाद कलियुग का यह दिन इतिहास में दर्ज हो रहा है. 500 वर्षों का संघर्ष आज (Ram Temple Inauguration) सफल होने जा रहा है.

इस ऐतिहासिक और पावन अवसर पर भारत ही नहीं, दुनियाभर में बसे करोड़ों हिंदू भाव विभोर हैं. भाव विह्वल हैं. आज पूरी दुनिया भारत के राजा राम की नगरी अयोध्या धाम की अद्भुत छटा देख रही है. अयोध्या के साथ भारत का कोना-कोना आह्लादित है. श्रीराम के झंडे गली-गली, घर-घर हिंदुओं के संकल्प से सिद्धि की कहानी कह रहे हैं. तभी तो हर ओर गूंज रहा है- राम आएंगे.

55 देशों के लोग पुण्य के भागी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्लेन ही नहीं, 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए 55 देशों के 100 से ज्यादा अतिथियों के प्लेन मर्यादा पुरुषोत्तम के महोत्सव में पुण्य का भागी बनने उतरे हैं. कार्यक्रम की व्यापकता कुछ इस तरह से समझिए कि समारोह अयोध्या में है लेकिन 1000 किमी दूर तक प्लेन की पार्किंग बुक है. कोरिया की महारानी को भी न्योता गया है, जो प्रभु श्री राम का वंशज होने का दावा करती हैं. इंडोनेशिया का बाली द्वीप हो, ऑस्ट्रेलिया, न्यूयॉर्क, लंदन, थाईलैंड, मलेशिया पूरी दुनिया में ‘जयश्री राम’ की गूंज सुनाई दे रही है.

बाजार एक हफ्ते पहले से जगमगा रहे हैं. आज की शाम पूरा भारत अपने राम के भवन में प्रवेश करने का उत्सव ‘दिवाली’ की तरह दीये जलाकर मनाएगा. आखिर हो भी क्यों न, हर भारतवासी को आज के दिन का इंतजार दशकों से था. कितनी पीढ़ियां इस अधूरी तमन्ना को सीने में दबाए बैकुंठ चली गईं. आज आस्था की रोशनी से जगमग ‘धरती का बैकुंठ’ हम देख रहे हैं.

हिंदुओं की आस्था फिर से मजबूत

आज राम के धाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा भर नहीं हो रही है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था और उनका विश्वास फिर से मजबूत हो रहा है. विदेशी आक्रमणकारी खुद मिट गए लेकिन राम की महिमा को डिगा न पाए. रामलला टेंट में रहे, यह हर देशवासी को पल-पल कचोटता रहा. हिंदू हों या सिख हर सनातनी अपने खोए गौरव को फिर से हासिल कर अयोध्या की ओर देख नतमस्तक है.

राम को देना पड़ा प्रमाण

भला ऐसा संघर्ष दुनिया में और कहां मिलेगा, राष्ट्र की सामूहिक चेतना आज जागृत है और देख रही है कि कैसे बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर मंदिर बनाने के लिए वर्षों तक अलग-अलग स्तर पर लड़ाइयां लड़ीं. संन्यासी, पुजारी, नागा, निहंग, बुद्धिजीवी, नेता, वनवासी सहित पूरा भारतवर्ष इस संकल्प सिद्धि के लिए एकजुट रहा. यह विडंबना ही थी कि जिस देश के हर मानस- मन में शासन और समाज की आदर्श अवधारणा ‘रामराज्य’ के रूप में अंकित है, उन्हीं राम को अपने जन्म का प्रमाण देना पड़ा.

आज करोड़ों लोगों के मन में कई यादें उठ रही होंगी. किसी को बचपन का कुछ याद आ रहा होगा, कहीं लिखा, पढ़ा या देखा याद आ रहा होगा. सबसे बड़ी बात, हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि रामलला का भव्य मंदिर हमारे सामने बनकर तैयार है. आज का उत्सव ऐसा है कि जो जहां है सियाचिन पर तैनात हो या अंडमान निकोबार में रहता हो, लक्षद्वीप में हो या बंगाल की खाड़ी के किसी शिप पर, हर कोई हाथ जोड़े अयोध्या को मन में बसाए राम का सुमिरन कर रहा है.

आज बाबा तुलसी खुश होंगे

मीर बाकी ने 1528 में जो अधर्म किया था, उसे देख बाबा तुलसी खूब रोए होंगे. गोस्वामी तुलसीदास ने शायद कलम को ही अपना हथियार बनाया. सरल भाषा में उन्होंने राम की लीला का बखान कर श्रीरामचरितमानस के जरिए अयोध्या को घर-घर पहुंचाया. मुगलों ने राम का मंदिर तोड़ा था, बाबा तुलसी के प्रयासों से करोड़ों दिलों में राम की ज्योति जलती रही. वह हर भारतवासी के मन मंदिर में विराजमान रहे. आज तुलसीदास जी भी अयोध्या में अपने आराध्य का मंदिर देख खूब प्रसन्न हो रहे होंगे.

तब गोस्वामी ने ‘तुलसी दोहा शतक’ में लिखा था- राम जनम मंदिर जहां लसत अवध के बीच, तुलसी रची मसीत तहं मीरबाकी खल नीच. अर्थ है कि अयोध्या के मध्य जहां राम का मंदिर था वहां नीच मीरबाकी ने मस्जिद बनाई. अयोध्या केस में ऐसे कई दोहों का जिक्र इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी किया गया था.

अवधपुरी प्रभु आवत जानी, भई सकल सोभा कै खानी.
बहइ सुहावन त्रिबिध समीरा, भइ सरजू अति निर्मल नीरा.

बाबा तुलसी ने लिखा है- प्रभु श्रीराम को आते जानकर अवधपुरी संपूर्ण शोभाओं की खान हो गई. तीनों प्रकार की सुहावनी हवा बहने लगी. सरयू जी का जल अत्यंत निर्मल हो गया.

ऐसा लग रहा है वो दिन फिर से लौट आया है. आज भारतवर्ष के राष्ट्र मंदिर में प्रभु श्रीराम सिंहासन पर विराजमान होंगे. अयोध्या का कण-कण धन्य है. धन्य हैं भारतवासी. जय सियाराम.

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