
Pradhan Mantri Jan Aushadhi Yojana 2025: जन औषधि योजना से दवा खर्च में 50–90% तक की बचत, मरीजों को बड़ी राहत। भारत जैसा देश जो विश्व सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहां लोगों को इलाज में आर्थिक दिक्कतों के कारण इलाज को बीच में ही छोड़ना पड़ता है, वहां प्रधानमंत्री जन औषधि योजना लोगों के लिए एक आशा की किरण बन कर आयी. प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की शुरुआत नवंबर 2008 में की गई थी. हालांकि इस वक्त इस योजना का विस्तार कम था, लेकिन मोदी सरकार के समय में सक्रिय रूप से इस योजना को बढ़ावा मिला।
Pradhan Mantri Jan Aushadhi Yojana 2025: जन औषधि योजना से दवा खर्च में 50–90% तक की बचत, मरीजों को बड़ी राहत
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का उद्देश्य है देशभर में आम लोगों को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण और जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराना. ताकि देश के हर वर्ग को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना और उनके आर्थिक भार से राहत देना. लोगों को पहले डर होता था कि सस्ती दवाएं कहीं असर न करें बीमारी में. लेकिन जन औषधि योजना में उपलब्ध हर दवा को WHO-GMP मानकों के तहत टेस्ट किया जाता है और ये ब्रांडेड दवाओं जितनी ही असरदार होती है.
क्या है जन औषधि का योजना?
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का मकसद है कि लोग महंगी और ब्रांडेड दवाइयों की बजाय जेनेरिक दवाइयां सस्ते दाम में खरीद सकें. प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तरह मिलने वाली दवाइयां गुणवत्ता में बिल्कुल ब्रांडेड दवाइयों के समान होती है, लेकिन कीमत ब्रांडेड दवाओं की तुलना में कई गुना कम होती है जैसे- हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की दवा, जो प्राइवेट ब्रांड से ₹100 में मिलती है, वही जन औषधि केंद्र पर सिर्फ ₹20 से 30 में उपलब्ध होती है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों में मिलने वाली दवाइयां 50 से 80 फीसदी सस्ती होती है. लेकिन विशेष दवाओं में ये कीमतों का प्रतिशत अलग हो सकता है।
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के कितने केंद्र खुले हैं?
साल 2013 तक देश में केवल 80 से 100 जन औषधि केंद्र ही थे.
2025 तक आते-आते उनकी संख्या 12 हजार से अधिक हो चुकी है.
सरकार का लक्ष्य मार्च 2027 तक कुल 25,000 केंद्र देशभर में खोलने का है.
ये केंद्र ग्रामीण और शहरी, दोनों इलाकों में खोले जा रहे हैं, ताकि गांव-कस्बों तक भी सस्ती दवाइयां पहुंच सकें.
कितना सस्ता इलाज?
Indian Brand Equity Foundation के अनुसार पीएमबीजेपी केंद्रों के अंतर्गत, किसी दवा की कीमत शीर्ष तीन ब्रांडेड दवाओं की औसत कीमत के अधिकतम 50% के सिद्धांत पर तय की जाती है. इसलिए, जन औषधि दवाओं की कीमत ब्रांडेड दवाओं के बाज़ार मूल्य से लगभग 50% और कुछ मामलों में 80-90% तक सस्ती होती है.
किसे मिला सबसे ज्यादा फायदा?
बुजुर्ग मरीज, जिन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी बीमारियों के लिए रोजाना दवा लेनी पड़ती है.
गरीब और ग्रामीण परिवार, जो महंगी दवाइयों का खर्च नहीं उठा सकते थे.
महिलाएं और बच्चे, जिनके लिए आयरन, कैल्शियम, विटामिन जैसी जरूरी दवाइयां बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं.
सरकार इस योजना के तहत सर्जिकल आइटम्स और स्वास्थ्य उपकरण (जैसे ब्लड प्रेशर मशीन, सर्जिकल ग्लव्स, आई ड्रॉप्स) भी उपलब्ध करा रही है।
ब्रांडेड दवाएं जितनी फायदेमंद
दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि जेनेरिक दवाइयां ब्रांडेड दवाओं जैसी ही फायदेमंद है. इनका असर भी वैसा ही है. बस ब्रांडेड दवाओं की पैकिंग और ब्रांडिग बेहतर होती है तो लोग उनको जानते हैं, लेकिन जेनेरिक दवाओं में भी ब्रांडेड जैसे ही सॉल्ट होते हैं. ऐसे में ये भी फायदेमंद है। Pradhan Mantri Jan Aushadhi Yojana 2025: जन औषधि योजना से दवा खर्च में 50–90% तक की बचत, मरीजों को बड़ी राहत