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मुर्शिदाबाद जल रहा था, सांसद चाय की चुस्की में मगन थे — यूसुफ पठान की पोस्ट पर मचा बवाल

मुर्शिदाबाद जल रहा था, सांसद चाय की चुस्की में मगन थे — यूसुफ पठान की पोस्ट पर मचा बवाल

कोलकाता/मुर्शिदाबाद | मुर्शिदाबाद जल रहा था, सांसद चाय की चुस्की में मगन थे — यूसुफ पठान की पोस्ट पर मचा बवाल। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब एक बड़ी हिंसा में तब्दील हो चुका है। जिले के कई हिस्सों में तनाव, झड़प और मौतों के बीच इंटरनेट बंद कर दिया गया है और सेंट्रल फोर्स की तैनाती करनी पड़ी है। लेकिन इन सबके बीच चर्चा में हैं बहरामपुर से सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान, जिनकी इंस्टाग्राम पोस्ट ने इस संवेदनशील समय में सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है।

मुर्शिदाबाद जल रहा था, सांसद चाय की चुस्की में मगन थे — यूसुफ पठान की पोस्ट पर मचा बवाल

“शांत दोपहर, अच्छी चाय” — क्या यही है जनप्रतिनिधि की ज़िम्मेदारी?

गुरुवार को जब मुर्शिदाबाद हिंसा की चपेट में था, उसी दिन यूसुफ पठान ने एक पोस्ट डाली, जिसमें वो पेड़ों से घिरे शांत माहौल में चाय की चुस्की लेते हुए नजर आए। कैप्शन था —
“सुखद दोपहर, अच्छी चाय और शांत वातावरण… बस इस पल का आनंद ले रहा हूं।”

लेकिन ये ‘शांत दोपहर’ उनके क्षेत्र के लोगों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं थी। जंगीपुर, सुती, शमशेरगंज और धुलियान जैसे इलाकों में हिंसा के चलते अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से दो को भीड़ ने मार डाला। पुलिस को गोली तक चलानी पड़ी। इन हालात में एक ‘आरामदायक पल’ का ऐसा प्रदर्शन जनता को नागवार गुज़रा।

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विरोधियों का हमला, अपनों की भी नाराज़गी

यूसुफ पठान की पोस्ट पर सबसे तीखा हमला भाजपा की ओर से हुआ। प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने लिखा:
“जब मुर्शिदाबाद में आग लगी हो, तब सांसद जी चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं! यही होता है जब बाहरी लोगों को बंगालियों का प्रतिनिधि बना दिया जाता है। शर्मनाक!”

भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने तो सीधे सवाल उठाए —
“क्या यूसुफ पठान को मुर्शिदाबाद की जमीनी सच्चाई का अंदाजा है? उन्हें सांसद किसलिए चुना गया था – प्रतिनिधित्व के लिए या सोशल मीडिया एस्थेटिक्स के लिए?”

वहीं तृणमूल कांग्रेस के अंदरूनी हलकों से भी आलोचना उठी है। भरतपुर से टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने कहा:
“मैंने शुरू में यूसुफ पठान को वोट देने से हिचकिचाहट महसूस की थी, और आज वह सही साबित हुई। लोग जब संकट में हैं, वो सुकून में हैं। ये हमारे क्षेत्र की बदकिस्मती है।”

अधीर चौधरी बोले – ‘मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा’

पांच बार के सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी, जिनके खिलाफ यूसुफ पठान ने जीत दर्ज की थी, इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि उन्होंने क्षेत्र की हिंसा को लेकर चिंता जताई और बताया कि कांग्रेस प्रतिनिधि हालात का जायज़ा लेने पहुंच चुके हैं।

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क्या सांसद की चुप्पी और दूरी, क्षेत्र के जख्मों को और गहरा कर रही है?

वर्तमान हालात में सवाल यही उठ रहा है कि जब जनता संकट में हो, तो उनके प्रतिनिधि का फर्ज क्या है? क्या एक सांसद सिर्फ संसद में उपस्थिति या सोशल मीडिया की तस्वीरों से ज़िम्मेदारी निभा सकता है?
चाय की चुस्की वाली यह पोस्ट अब जनता की नाराज़गी, विपक्ष के हमले और पार्टी के भीतर असंतोष का प्रतीक बन गई है।

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