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ढीमरखेड़ा के 8 गांवों में बदलेगी किस्मत: 200 परिवारों ने पकड़ी जैविक खेती की राह, अदरक, हल्दी और तुलसी की खेती की ओर बढ़ाया कदम

ढीमरखेड़ा के 8 गांवों में बदलेगी किस्मत: 200 परिवारों ने पकड़ी जैविक खेती की राह, अदरक, हल्दी और तुलसी की खेती की ओर बढ़ाया कदम

ढीमरखेड़ा के 8 गांवों में बदलेगी किस्मत: 200 परिवारों ने पकड़ी जैविक खेती की राह, अदरक, हल्दी और तुलसी की खेती की ओर बढ़ाया कदम जिले के ढीमरखेड़ा विकासखंड के 8 गांवों के 200 परिवारों ने अदरक, हल्‍दी और तुलसी की खेती की ओर कदम बढ़ाया है।ढीमरखेड़ा के 8 गांवों में बदलेगी किस्मत: 200 परिवारों ने पकड़ी जैविक खेती की राह, अदरक, हल्दी और तुलसी की खेती की ओर बढ़ाया कदम

 

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा मसालों और औषधीय खेती के लिए उपयुक्त है वातावरण

 

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबि‍क इन फसलों के लिए इस क्षेत्र की अनुकूल जलवायु और मृदा की वजह से यहां इनका काफी मात्रा में उत्‍पादन होना संभावित है। उत्‍पादन के बाद जल्‍दी ही यहां के अदरक, हल्‍दी व तुलसी के स्‍वाद, सुगंध और जायकों का जादू लोंगो के सिर चढ़कर बोलेगा।

खेती की योजना

भूमिधारी 175 किसान के साथ 88 एकड़ भूमि मे औषधीय फसल अदरक, हल्दी और तुलसी की खेती करने की योजना है। जिसमे से 75 किसान अदरक और हल्दी की खेती आधा एकड़ मे करेंगे। 100 किसान हल्दी और तुलसी की खेती आधा एकड़ मे करेंगे।

सुधरेगी आर्थिक स्थिति

ढीमरखेड़ा विकासखंड के 8 गांवों के 200 परिवार कृषि कार्य के साथ-साथ औष‍धीय और मसालों की फसल की खेती के साथ-साथ यहां के भूमिहीन परिवार मुर्गीपालन और बकरीपालन जैसा व्‍यवसाय कर अतिरिक्‍त आमदनी अर्जित कर सकेंगे। पर्यावरणविद् एवं मानव जीवन विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह बताते हैं कि नाबार्ड टीडीएफ परियोजना की मदद से ग्राम कोठी, सगौना, हर्रई, सिवनी, दियागढ़, दैगवां, छाहर और उमरपानी गांव के लोग अब अश्‍वगंधा की खेती के बाद अदरक हल्‍दी और तुलसी की भी खेती करेंगे। इनकी उन्‍नत खेती का किसानों को बकायदा प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। यहां के लोगों को अदरक, हल्‍दी और तुलसी का नि:शुल्‍क बीज भी उपलब्‍ध कराया गया है।

पर्यावरणविद् श्री सिंह कहते हैं कि ढीमरखेड़ा विकासखंड में 100 किसानों ने 30 एकड़ में अश्‍वगंधा की खेती की है। पर्यावरण की अनुकूलता की वजह से खेतों में अश्‍वगंधा की बेहतरीन जड़ें तैयार हैं। अश्‍वगंधा की खेती करने वाले परिवारों को इसकी वाजिब कीमत दिलाने के लिए कई निजी नामी-गिरामी कंपनियों ने दिलचस्‍पी भी दिखाई है।

दिए गए नि:शुल्‍क बीज

औषधीय एवं मसालों की प्रजाति के फसलों के विशेषज्ञ एवं प्रख्‍यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. शांति स्‍वरूप सारस्‍वत ने किसानों को दिए जा रहे अदरक, हल्‍दी और तुलसी के बीजों का अवलोकन करने के बाद बताया कि ये अच्‍छी गुणवत्‍ता और प्रजाति के बीज हैं। उन्‍होंने बताया कि किसानों को दिए जा रहे अदरक बीज ‘महिमा’ की उत्‍पादकता प्रति एकड़ 60-70 क्विंटल तक होती है। पर्यावरणविद् एवं सचिव निर्भय सिंह कहते हैं कि ढीमरखेड़ा क्षेत्र के 8 गांवों के 75 किसानों को 113 क्विंटल अदरक का बीज, 175 किसानों को 263 क्विंटल हल्‍दी का बीज और 100 किसानों को 10 किलोग्राम तुलसी का बीज नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जा रहा है। नि:शुल्‍क बीजों का ग्रामीणों को वितरण भी शुरू हो गया है।

फलदार पौध रोपण बार्डर प्लांटेशन की योजना

सभी 175 किसानों को 40-40 फलदार प्रजाति के पौधे रोपने के लिए दिए जाएंगे। जिससे यहां 7 हजार पौधों का रोपण हो सकेगा। जिसमे 75 किसान मुनगा और सीताफल का प्लान्टेशन करेंगे एवं 100 किसान नींबू और कटहल का पौधा रोपण करेंगे। ढीमरखेड़ा के 8 गांवों में बदलेगी किस्मत: 200 परिवारों ने पकड़ी जैविक खेती की राह, अदरक, हल्दी और तुलसी की खेती की ओर बढ़ाया कदम

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