कालाष्टमी 2025: तीन शक्तिशाली योगों के संगम पर करें खास पूजा, पूरी होगी हर इच्छा!
कालाष्टमी 2025: तीन शक्तिशाली योगों के संगम पर करें खास पूजा, पूरी होगी हर इच्छा!

Kalashtami 2025 Date :कालाष्टमी 2025: तीन शक्तिशाली योगों के संगम पर करें खास पूजा, पूरी होगी हर इच्छा!। इस बार की कालाष्टमी बेहद खास होने वाली है क्योंकि इस दिन तीन शुभ योगों का दुर्लभ महासंयोग बनने जा रहा है. सिद्धि योग, रवि योग और शिववास योग. इन दुर्लभ योगों के कारण इस दिन की गई भगवान काल भैरव की पूजा और उपासना विशेष फलदायी होगी. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो सकती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी 2025: तीन शक्तिशाली योगों के संगम पर करें खास पूजा, पूरी होगी हर इच्छा!
कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त और तिथि
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 14 सितंबर 2025 को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर होगा और इसका समापन 15 सितंबर को देर रात 03 बजकर 06 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, कालाष्टमी का व्रत और पूजन 14 सितंबर को करना ही उत्तम रहेगा.
कालाष्टमी पर बन रहे हैं तीन दुर्लभ योग
सिद्धि योग: यह योग कार्यों में सफलता और सिद्धि दिलाने वाला माना जाता है. इस योग में किए गए सभी धार्मिक कार्य और अनुष्ठान सफल होते हैं।
रवि योग: सूर्य देव से संबंधित यह योग बहुत प्रभावशाली होता है. इस योग में की गई पूजा और उपाय व्यक्ति को रोगों से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय दिलाते हैं।
शिववास योग: यह योग तब बनता है जब भगवान शिव का वास माता पार्वती के साथ होता है. इस योग में की गई पूजा और अभिषेक सीधे शिवजी तक पहुँचता है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं।
इन तीनों योगों के एक साथ होने से कालाष्टमी का यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है. इस दिन की गई पूजा से न केवल भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं, बल्कि शिवजी और सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है.
कालाष्टमी की पूजा विधि और मंत्र ( kalashtami Vrat Puja Vidhi)
कालाष्टमी के दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए.सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. उन्हें गंगाजल से अभिषेक कराएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.”ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें. उन्हें विशेष रूप से काले तिल, उड़द दाल, गुड़ और रोटी का भोग लगाएं. पूजा के बाद काल भैरव चालीसा और भैरव अष्टक का पाठ करें. शाम को कुत्तों को भोजन कराएं, क्योंकि उन्हें भगवान भैरव का वाहन माना जाता है।
कालाष्टमी का महत्व
काल भैरव को समय का देवता और मृत्यु का दंडनायक माना गया है. कहा जाता है कि उनके पूजन से व्यक्ति अकाल मृत्यु, भय और शत्रु बाधाओं से मुक्त हो जाता है.कालाष्टमी पर काल भैरव की आराधना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इस दिन पूजा-पाठ करने से पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है. व्यापार, नौकरी और धन संबंधी अड़चनें दूर होती हैं.