
ज्वाला गुट्टा ने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क किया दान, भारत में क्या हैं नियम और कौन कर सकती हैं डोनेट?। एक नवजात शिशु के लिए मां का दूध कितना जरूरी है ये हम सब जानते ही हैं. मां का दूध बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सबसे जरूरी है. लेकिन कई बार स्थिति ऐसी आ जाती है कि कुछ शिशुओं को मां का दूध नहीं मिल पाता है. इसी वजह से ब्रेस्ट मिल्क दान करने की अवधारणा लाई गई. भारत में ब्रेस्ट मिल्क दान करने को लेकर जागरुकता भी बढ़ रही है. चलिए जानते हैं भारत में ब्रेस्ट मिल्क दान करने को लेकर क्या नियम और प्रोसेस है।
ज्वाला गुट्टा ने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क किया दान, भारत में क्या हैं नियम और कौन कर सकती हैं डोनेट?
भारत की मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा इस वक्त चर्चा में बनी हुई हैं. हाल ही में उन्होंने एक ऐसा काम किया है कि हर तरफ उनकी चर्चा हो रही है. दरअसल, ज्वाला ने अपना 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट किया है. इस बात की जानकारी खुद ज्वाला के पति विष्णु विशाल ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दी. बता दें कि, ज्वाला गुट्टा दूसरी बार मां बनी हैं और इस बार उन्होंने ये कदम उठाया है. ज्वाला ने अमृतम फाउंडेशन के जरिए ब्रेस्ट मिल्क दान किया है. ये फाउंडेशन माओं से ब्रेस्ट मिल्क लेकर जरूरतमंद नवजातों तक पहुंचाता है.
सभी जानते हैं कि मां का दूध नवजात शिशु के लिए ‘अमृत’ के समान माना जाता है. नवजात का विकास मां के दूध पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है. हालांकि, कई केस ऐसे देखने को मिलते हैं, जिसमें मां को दूध नहीं आता है और बच्चा इससे वंचित रह जाता है, जो बच्चे के विकास में बाधा का कारण बनता है. वहीं कई केस ऐसे भी हैं जहां मां का निधन होने पर नवजात मां का दूध नहीं मिल पाता है. इन्हीं को देखते हुए ब्रेस्ट मिल्क दान की अवधारणा लाई गई है. ताकि शिशुओं को मां का दूध मिल सके और उसका विकास अच्छे से हो सके. आज इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे और एक्सपर्ट से जानेंगे कि ब्रेस्ट मिल्क कैसे दान किया जाता है, इसके लिए भारत में क्या नियम हैं और इसका पूरा प्रोसेस क्या है.
ब्रेस्ट मिल्क नवजात के लिए इतना क्यों जरूरी होता
सबसे पहले जान लेते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क नवजात के लिए इतना क्यों जरूरी होता और इसके क्या-क्या फायदे होते हैं. NCBI के मुताबिक, ब्रेस्ट मिल्क में वो सभी न्यूट्रिशन पाए जाते हैं जो 6 महीने के बच्चे के लिए जरूरी होते हैं. इसमें फैट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन्स, विटामिन्स, मिनिरल और पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है. नवजात इसे आसानी से पचा लेते हैं. ब्रेस्ट मिल्क में बायोएक्टिव गुण भी पाए जाते हैं तो शिशु के इममिच्योर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं!
बच्चे के हड्डियों, मसल्स और ब्रेन की ग्रोथ के लिए लाभकारी
कानपुर अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर शशांक त्रिवेदी का भी कहना है कि, शिशु की अच्छे विकास के लिए मां का दूध जरूरी पोषण देता है. ये बच्चे के हड्डियों, मसल्स और ब्रेन की ग्रोथ के लिए लाभकारी है. मां के दूध में शिशु को संक्रमण से बचाने वाले नेचुरल एंटीबॉडीज होती हैं. इसलिए सलाह दी जाती है कि कम से कम 6 महीने तक को शिशु को मां का दूध देना ही चाहिए.
ब्रेस्ट मिल्क में फैट की मात्रा- नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के मुताबिक, 100ml ब्रेस्ट मिल्क में करीब 3.5 ग्राम फैट पाया जाता है. जो दूध की एनर्जी का लगभग आधा हिस्सा प्रदान करती है. ये फैट छोटी-छोटी बूंदों के रूप में निकलता है और जैसे -जैसे दूध पिलाया जाता है इसकी मात्रा बढ़ती जाती है. इसलिए ही दूध पिलाने के बात जो दूध बचता है वो फैट से भरपूर होता है. इससे इसके रंग में भी बदलाव आता है. जब महिला दूध पिलाना शुरू करती है तो उसका दूध हल्के पीले रंग का होता है. लेकिन जब इसमें फैट की मात्रा बढ़ जाती है तो दूध का रंग सफेद होने लगता है. मां के दूध में 2 तरह की वसा पाई जाती है जो किसी और दूध में नहीं होती है, जिसमें कहते हैं डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (DHA) और एराकिडोनिक एसिड ( ARA). ये फैटी एसिड बच्चे के न्यूरोलॉजिकल डेवलेपमेंट के लिए महत्वपूर्ण होते हैं!
कार्बोहाइड्रेट की मात्रा- मुख्य कार्बोहाइड्रेट एक स्पेशल दूध शुगर लैक्टोज
कार्बोहाइड्रेट की मात्रा- मुख्य कार्बोहाइड्रेट एक स्पेशल दूध शुगर लैक्टोज होता है, जिसे डाइसैकेराइड कहते हैं. 100 ml ब्रेस्ट मिल्क में लगभग 7 ग्राम लैक्टॉज होता है, जो बाकी सभी दूधों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. मां के दूध में एक अन्य प्रकार का कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है , जिसे ओलिगोसैकेराइड्स कहते हैं. ये बच्चे को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है.
प्रोटीन की मात्रा- मां के दूध में जो प्रोटीन पाया जाता है वो क्वांटिटी और क्वालिटी में एनिमल मिल्क से अलग होता है. मां के दूध में पाया जाने वाले प्रोटीन में अमीनो एसिड का बैलेंस होता है जो इसे शिशु के लिए उपयुक्त बनाता है. इसकी मात्रा की बात करें तो 100ml ब्रेस्ट मिल्क में 0.9 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है, जो की एनिमल मिल्क के मुकाबले काफी कम है!
अगर धूप लेना संभव नहीं है तो विटामिन डी के लिए सप्लीमेंट दिए जाते
विटामिन्स एंड मिनिरल्स- मां के दूध में अच्छी मात्रा में विटामिन्स पाए जाते हैं, जो शिशु को सभी जरूरी विटामिन्स प्रदान करते हैं. जब तक खुद मां में किसी विटामिन्स की कमी न हो. हालांकि, विटामिन D के लिए शिशु को सूरज की रोशनी में थोड़ा समय बिताना जरूरी है. इससे शिशु का शरीर खुद से विटामिन डी बनाने में सक्षम हो पाएगा. अगर धूप लेना संभव नहीं है तो विटामिन डी के लिए सप्लीमेंट दिए जाते हैं. वहीं, मिनरल्स की बात करें तो आयनर और जिंक जैसे मिनिरल्स मां के दूध में कम मात्रा में पाए जाते हैं. लेकिन शरीर में ये अच्छे से अब्जॉर्ब हो जाते हैं।ज्वाला गुट्टा ने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क किया दान, भारत में क्या हैं नियम और कौन कर सकती हैं डोनेट?ज्वाला गुट्टा ने 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क किया दान, भारत में क्या हैं नियम और कौन कर सकती हैं डोनेट?