दिल्ली ब्लास्ट: फिदायीन उमर के शव के नाम पर सिर्फ पंजे का टुकड़ा… परिवार ने लेने से किया इंकार। दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले के पास आत्मघाती आतंकी हमला करने वाले डा. उमर के शरीर का एक अंग भी साबुत नहीं बचा था। परिजन शव के टुकड़े लेकर नहीं गए। पंजे का थोड़ा सा हिस्सा बचा था। वो हिस्सा अभी अस्पताल में ही रखा है।
देश की राजधानी दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए बम ब्लास्ट को एक महीना हो गया है। धमाके में 15 लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे। राष्ट्रीय राजधानी में पहला आत्मघाती आतंकी हमला करने वाला डा. उमर मोहम्मद के शव के नाम पर शरीर का एक अंग भी साबुत नहीं बचा। दूसरी तरफ डाक्टर उमर के परिजन शव को लेने दिल्ली नहीं आए। पुलिस अधिकारियों के अनुसार उमर के शव के पंजे का एक हिस्सा शव के नाम पर एलएनजेपी अस्पताल में रखा है। दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने जब उमर के परिजनों के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि डाक्टर उमर के परिजन बहुत गरीब हैं। परिवार को उम्मीद थी कि बेटा जब डाक्टर बनेगा तो परिवार की आर्थिक स्थिति को ठीक करेगा लेकिन उसने गलत राह पकड़ ली और फिदायीन बन गया।
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार जिस आई-20 कार से डाक्टर उमर ने आत्मघाती हमला किया तो कार की बॉडी पूरी तरह खत्म हो गई थी। कार का इंजन का कुछ हिस्सा बचा था। उमर के मांस के टुकड़े फोरेंसिंक टीम ने खरोंच कर निकाले थे। धमाके में खुद को उड़ाने वाला उमर पुलवामा का रहने वाला था। वह आतंकी संगठन जैश से जुड़ा था। उमर फरीदाबाद मॉड्यूल का तीसरा डॉक्टर था, जिसके साथी आदिल अहमद और मुजम्मिल पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे।






