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नाटकों के माध्यम से पुरानी श्रेष्ठ सांस्कृतिक जीवन शैली को अपनाने का संदेश दिया*प्रांतीय सिंधी नाट्य समारोह में मेजबान और मेहमान रंग कर्मियों की लाजवाब प्रस्तुतियां

नाटकों के माध्यम से पुरानी श्रेष्ठ सांस्कृतिक जीवन शैली को अपनाने का संदेश दिया*प्रांतीय सिंधी नाट्य समारोह में मेजबान और मेहमान रंग कर्मियों की लाजवाब प्रस्तुतिया

कटनी l सिंधी साहित्य अकादमी भोपाल ने प्रांतीय सिंधी नाटक समारोह का आयोजन सिंधु नवजवान मंडल के सहयोग से अरिंदम सभागार में किया l मंच पर अभिनीत नाटकों के माध्यम से प्रत्येक घर परिवार समाज को यह संदेश दिया कि हमारे जीवन शैली में आधुनिक दूषित शैली को अपनाने से जिस तरह से हानिकारक बदलाव आ रहे हैं उसकी बहुत भारी कीमत हमारे परिवार और समाज को चुकानी पड़ रही है l अगर हमें जीवन को तनाव मुक्त रखना है तो हमें अपने पुराने संस्कृति मूल्यों को ही पूरी तरह जीना होगा, पुरानी धार्मिक मान्यताओं को भुलाने से समाज और राष्ट्र अपनी खुद की पहचान गंवा देता है l

 

प्रांतीय नाट्य मंचन समारोह में कटनी एवं मेहमान इंदौर के कलाकारों ने भाग लिया l समारोह के मुख्य अतिथि विधायक संदीप जायसवाल ने दीप आलोकित कर समारोह का शुभारंभ किया lअध्यक्षता सिंधी साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक राजेश वाधवानी ने की l विशिष्ट अतिथियों में सर्वश्री वीरेंद्र तीरथानी निरंजन पंजवानी चेतन हिंदूजा राजकुमार नानकानी पीतांबर टोपनानी मुरली बलवानी ( भोपाल ) झमटमल ठारवानी रामरतन पायल मनीष गई मंचासीन रहे l
अतिथि सत्कार के बाद नाटकों की उपादेयता पर रंगकर्मी नाटककार जोधाराम जयसिंघानी ने प्रकाश डाला l

प्रथम प्रस्तुती ईहो ही सच आ

नाट्य समारोह के पहले सोपान पर लेखक निर्देशक जोधाराम जय सिंघानी द्वारा रचित नाटक ई हो ही सच आ ( यह ही सच है ) में बेमेल -जाति के विवाह से पारिवारिक जीवन तबाह करने वाली युवती को दुष्परिणाम भोगने की , अपनी कुलदेवी हिंगलाज माता की उपासना भूलकर चमत्कार के लालच में पाखंडी बाबा मां के चक्कर में मतिभ्रष्ट होने की त्रासदी को नाटक कथानकों से उजागर किया गया l कॉमेडी के पुट के साथ पाखंडी बाबा व मां की पोल खोली गई और पाखंड के व्यापार की भर्तस्ना की गई l

इस नाटक को स्थानीय सिंधी क्वींस की महिला कलाकारों सहित अन्य रंग कर्मियों ने अभिनीत किया lइनमें जोधाराम जय सिंघानी शुभम नागवानी पायल जेतवानी राखी आहूजा प्रकाश शादीजा जिया सिमरन सौरभ लालवानी मनीषा मखीजा पूजा मंगवानी दर्शन बजाज शोभना झामनानी बरखा अवतानी और चाहत जय सिंघानी आदि कलाकारों ने अभिनय किया l

थोड़ो आहे थोड़े की घुरिज आहे

थोड़ा है थोड़े की जरूरत है- का संदेश देती नाटिका को सिंधु परिषद इंदौर के रंग कर्मियों ने प्रस्तुत किया l जिसमें एक डाकू की मौत के बाद उसके पास से मिली लूट की संपत्ति का बैग पाने वाले बैंक कर्मी और शिक्षिका के जीवन में किस तरह की अशांति कष्ट और अपयश आते हैं इस का चित्रण किया गया था lअंतत अपराध वृत्ति से प्राप्त धन का त्याग करके उन्हें शांति की प्राप्ति होती है l

नाट्य समारोह के कार्यक्रम प्रभारी परसराम मिरचंदानी (सिंध साहित्य अकादमी भोपाल ) रहे lसंचालन एवं आभार प्रदर्शन जोधाराम जय सिंघानी ने किया l

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