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गोवर्धन पूजा 2025: कैसे करें गोवर्धन महाराज की पूजा -पूरी विधि और महत्व

गोवर्धन पूजा 2025: कैसे करें गोवर्धन महाराज की पूजा -पूरी विधि और महत्व

Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा 2025: कैसे करें गोवर्धन महाराज की पूजा -पूरी विधि और महत्व। कार्तिक का पूरा महीना पुण्यदायी व्रतों और त्योहारों से भरा हुआ है. दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई गई. अब दिवाली के पंचमहापर्व में गोवर्धन पूजा का त्योहार आने वाला है. गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन महाराज के पूजन का विधान है. गोवर्धन महाराज भगवान श्री कृष्ण का ही स्वरूप माने जाते हैं. मुख्य रूप से ये पर्व प्रकृति की पूजा से संबंध रखता है।

गोवर्धन पूजा 2025: कैसे करें गोवर्धन महाराज की पूजा -पूरी विधि और महत्व
इस दिन गोवर्धन महाराज के साथ साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल गोवर्धन पूजा का त्योहार कब मनाया जाएगा और इसकी पूजा विधि क्या है?

गोवर्धन पूजा कब है?(Govardhan Puja 2025 Kab Hai)
गोवर्धन पूजा का त्योहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल ये तिथि आज शाम 5 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं इस तिथि का समापन 22 अक्टूबर यानी कल रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार कल मनाया जाएगा.

गोवर्धन पूजा शुभ मूहूर्त (Govardhan Puja 2025 Subh Muhurat)
कल गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6 बजकर 26 मिनट पर शुुरू हो जाएगा. ये मुहूर्त 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. लोगों को कुल 02 घंटे 16 मिनट की पूजन अवधि मिलेगी. गोवर्धन पूजा का दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा. ये मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. फिर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए. घर में गाय और उसका बछड़ा हो तो उन्हें रंगों और मोरपंख से सजाना चाहिए. उनके सींग पर तेल या गेरू लगाना चाहिए. गोवर्धन महाराज की आकृति बनानी चाहिए. साथ में गाय, बछड़े की भी आकृति चाहिए. पर्वत और आकृतियों को अपमार्ग (चिरचिटा) से सजाना चाहिए. फिर विधि-विधान गोवर्धन महाराज की पूजा करनी चाहिए. गोवर्धन महाराज की नाभि वाली जगह पर एक मिट्टी का दीपक रखना चाहिए. दीपक में दही, गंगा जल, शहद, बताशे, दूध आदि रखना चाहिए. पूजा के बाद इसे प्रसाद रूप में वितरित कर देना चाहिए. परिक्रमा के समय हाथ में कलश लेकर जल की धारा बहाते हुए सात बार परिक्रमा करनी चाहिए. इस दिन भगवान कृष्ण के समय उनकी मूर्ति को दूध, दही और गंगाजल से स्नान कराना चाहिए. पुष्प, कुमकुम-हल्दी, चन्दन और अक्षत चढ़ाना चाहिए. षोडशोपचार पूजन करना चाहिए. अंत में आरती करनी चाहिए.गोवर्धन पूजा 2025: कैसे करें गोवर्धन महाराज की पूजा -पूरी विधि और महत्व

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