भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी-12 अगस्त को गणेश व्रत: शुभ गोधुली मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र
भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी-12 अगस्त को गणेश व्रत: शुभ गोधुली मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र

भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी-12 अगस्त को गणेश व्रत: शुभ गोधुली मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र।
तिथि और समय
तिथि: 12 अगस्त 2025 (मंगलवार)
चतुर्थी तिथि का आरंभ: 12 अगस्त, सुबह 8:40 बजे
चतुर्थी तिथि का समापन: 13 अगस्त, सुबह 6:35 बजे
चंद्रोदय समय: 12 अगस्त, रात 8:59 बजे
पूजा विधि:
स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
गणेश प्रतिमा की स्थापना: एक स्वच्छ स्थान पर लाल वस्त्र बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
अभिषेक और अर्चना: गणेश जी का जल, दूध, शहद आदि से अभिषेक करें और उन्हें दूर्वा, मोदक, फल, फूल अर्पित करें।
मंत्र जाप ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
आरती: गणेश जी की आरती करें और दीप जलाएं।
चंद्र दर्शन और अर्घ्य: रात 8:59 बजे चंद्रमा का दर्शन करें और अर्घ्य दें।
व्रत पारण: चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
विशेष महत्व
भाद्रपद माह की संकष्टी चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी या बहुला चतुर्थी भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए करती हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से सभी विघ्न दूर होते हैं और समृद्धि की प्राप्ति होती है।([TV9 Bharatvarsh][2])
उपाय
व्रति लाल वस्त्र पहनें और लाल फूल, दूर्वा, मोदक अर्पित करें।
संध्या समय में तिल के तेल का दीपक जलाकर ‘ॐ विघ्नेश्वराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
कर्ज से मुक्ति के लिए गणेश और हनुमान की पूजा करें और ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ करें।
मंगल दोष शांति के लिए लाल कपड़े में तांबे का सिक्का और गुड़ बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।
इस दिन की पूजा से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
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