ई-अटेंडेंस को उलझनों का पर्याय बता रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी -कर्मचारी,शिक्षकों ने इसे सभी विभागों में समान रूप से लागू करवाने हेतु बना रहे रणनीति

ई-अटेंडेंस को उलझनों का पर्याय बता रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी -कर्मचारी,शिक्षकों ने इसे सभी विभागों में समान रूप से लागू करवाने हेतु बना रहे रणनीति
कटनी /अभी हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा शालाओं में पदस्थ शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने के संबंध में प्रसारित आदेश से भविष्य में होने वाली दिक्क़तों के मद्देनजर प्रदेश के शिक्षक इसका खुलकर विरोध करते नजर आ रहे हैं.इस संबंध में शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षा मंत्री को वस्तुस्थिति और भविष्य में होने वाली दिक्क़तों से अवगत कराने के बाद भी ज़ब बात नहीं बनी तो शिक्षकों द्वारा न्याय प्राप्त होने की उम्मीद से सारा का सारा मामला मुख्यमंत्री के दरबार में ले जाने का मन बना बैठे हैं .लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रसारित आदेश में प्रदेश के शिक्षकों की शाला में उपस्थिति आगामी एक जुलाई से ऑफलाइन के स्थान पर ऑनलाइन मान्य की जाना प्रस्तावित है. जिसकी ट्रायल 23 जून से प्रारंभ कर दी गयी है.एक जुलाई से पूरी तरह से लागू हो रही ई-अटेंडेंस के विरोध में जहाँ एक ओर शिक्षक हितै षी संगठनों के विरोधी स्वर पूरे प्रदेश में निडर होकर गूंजायमान हो रहे हैं, वहीं इस व्यवस्था को सिर्फ शिक्षकों भर के लिये लागू किये जाने से उनके सम्मान में अधिकारी- कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ भी खड़ा दिखाई देता है.शिक्षकों द्वारा शासन के विरोध में उठाये जाने वाले स्वर को मुखर प्रदान करने के लिये अधिकारी -कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ इन दोनों शिक्षकों के साथ कदम ताल करने का मन बना चुका है.प्रदेश के शिक्षकों के ऊपर शासन के अविश्वास को अव्योहारिक और मानवीय संवेदनाओं के परे बताते हुए, संयुक्त मोर्चा संघ के पदाधिकारीयों ने शिक्षकों को अपमानित करने वाले ऐसे अतार्किक आदेश को तुरंत वापिस लेने हेतु या इसे सम्पूर्ण विभाग के कर्मचारियों के लिये एक साथ रूपता से लागू करने हेतु पूरा का पूरा मामला प्रदेश के यसस्वी मुख्यमंत्री मोहन यादव के दरबार में ले जाने का मन बना रहे हैं.संयुक्त मोर्चा संघ के प्रांतीय प्रवक्ता कुंवर मार्तण्ड सिंह राजपूत ने स्पष्ट किया है,कि प्रदेश का शिक्षक हर दिन विद्यालय में उपस्थित होकर शालेय विद्यार्थियों की संवेदनाओं, उनकी जिज्ञासायों और उनके भविष्य की चुनौतीयों से रूबरू होता है. यदि शिक्षक जैसे सम्मानित गुरुजनों को किसी कम्प्यूटर और मशीन से जोड़कर उसका मूल्यांकन किया जावेगा, तो गुरु,शिष्य का पवित्र रिस्ता ही यांत्रिक बनकर हवा हवाई हो जायेगा.प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि संसार में कोई भी ऐसी मशीन नहीं बनी है, जो मानवीय मूल्यों और लोगों की संवेदनाओं को महसूस कर उनकी परेशानियों को समझ कर उसे निराकृत कर सके!शिक्षक एक ऐसा समाज का पथ प्रदर्शक होता है, जिसके कार्यों का सद प्रभाव वर्षों -वर्ष बाद किसी छात्र की सफलता के रूप में नजर आता है. शिक्षक छात्रों को उद्देश्यपरक ज्ञान तो देता ही है,साथ ही शिक्षक समाज और शासन की वह कड़ी होता है,जो कि विभाग के अनगिनित कार्य अपनी सक्रिय भागीदारी से पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाता है. शिक्षक को समय की बाध्यता में बाँधने से निसंदेह शाला समर्पण के प्रति उनकी निष्ठा और ईमानदारी रस्मअदायगी पर आकर टिक सकती है. उस पर दंड स्वरूप दूषित मानसिकता से थोपी जा रही ई-अटेंडेंस प्रणाली पूरी तरह मोबाईल उपकरण पर निर्भर होने से ऐसी भी परिस्थितियां उसके सामने निर्मित होंगी ज़ब शिक्षक का मोबाईल गुमने के अलावा, कभी ख़राब नेटवर्क में मोबाइल काम न करना,समय पर रिचार्ज न करा पाना,अचानक मोबाईल में तकनीकी समस्या का आ जाना आदि ऐसे अनेकों अनेक भौतिक कारण निर्मित होंगे ज़ब कई- कई दिन शिक्षक अपनी उपस्थिति अपने मोबाईल से दर्ज नहीं कर पायेंगे .परिणाम यह होगा कि शिक्षक विद्यालय में उपस्थित होने के बाद भी उसकी अनुपस्थिति मान कर उसके वेतन काटने की कार्यवाही को जिला कोषालय अंजाम देगा.परिणामत: हर माह स्कूल का कोई न कोई शिक्षक वेतन से महरूम होकर तनाव में अपनी नौकरी करने हेतु विवश होगा .इसके आलवा संकटकाल, दुर्घटना, बीमारी, घर परिवार में गमी, बाध्यकारी असमर्थता में ज़ब जरूरतमंद शिक्षक को मानवीय दृष्टि कोण के अंतर्गत शासनऔर समाज का भरपूर समर्थन और सहयोग की जरूरत रहेगी. तब मुसीबत काल में उनकी मदद फील्ड में उतरकर कोई मशीन करने नहीं पहुंचेगी.जिसका खामियाजा सीधे सीधे शिक्षक को ही अपने नुकसान के रूप में भुगतना लगभग तय माना जा रहा है. सिर्फ और सिर्फ शिक्षकों को इस व्यवस्था में जोड़ना, उनके ऊपर शासन-प्रशासन का अविश्वास,उनके मान सम्मान पर करारा प्रहार बताते हुए,अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ के संस्थापक सरमन तिवारी, जिलाध्यक्ष आर. के. बत्रा, सचिव हरप्रीत सिंह ग्रोवर, महामंत्री सुनील मिश्रा, उपाध्यक्ष द्वय पूर्णेश उइके, अखिलेश कुमार मेहरा सहित संयुक्त मोर्चा में शामिल सभी 52अनुवांशिक संगठनों के पदाधिकारियों ने मध्यप्रदेश शासन से उक्त शिक्षक विरोधी आदेश को शीघ्र वापिस लेने का अनुरोध किया गया है.आदेश वापिस न लेने की दशा में अधिकारी- कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ की कटनी इकाई द्वारा इसे प्रदेश के अध्यापकों और शिक्षकों के अलावा सभी विभाग के कर्मचारियों हेतु भी इसे समरूपता के तहत लागू तुरंत लागू करने की मांग दुहराये हैं.इसआदेश को लेकर शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले हर विरोध की राजनीति में संयुक्त मोर्चा संघ ने हर दृष्टिकोण से अपने साथी शिक्षकों का हर संभव सहयोग करने की अपनी बचनबद्धता को दर्शाये हैं .