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गिद्धों को बचाने के लिए बड़ा कदम: केंद्र सरकार ने डाइक्लोफेनाक पर लगाया बैन

गिद्धों को बचाने के लिए बड़ा कदम: केंद्र सरकार ने डाइक्लोफेनाक पर लगाया बैन

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गिद्धों को बचाने के लिए बड़ा कदम: केंद्र सरकार ने डाइक्लोफेनाक पर लगाया बैन। केंद्र सरकार ने देश में पशुओं की दवा निमेसुलाइड और इसके फॉर्मूलेशन का जानवरों के लिए इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया है. इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया है. दरअसल, भारतीय औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबीआई) ने पशु चिकित्सा दवा निमेसुलाइड पर राष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी, जिसे गिद्धों के लिए अत्यधिक विषैला माना जाता है.

निमेसुलाइड पर भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने प्रतिबंध लगाया है. निमेसुलाइड जंगली गिद्धों को मारता है और दक्षिण अफ्रीका में संबंधित गिद्धों पर भी प्रयोगात्मक परीक्षण किया गया था, जो इसकी विषाक्तता को दर्शाता है.

वहीं, कुछ साल पहले इंटरनेशनल साइंटफिक जनरल, इनवॉरमेंट साइंट एंड पॉल्यूशन रिसर्च में प्रकाशित एक नए स्टडी में पाया गया है कि था पशु चिकित्सा दर्द निवारक दवा निमेसुलाइड भारत में गिद्धों की मौत का कारण बन रही है. डिक्लोफेनाक को लंबे समय से भारत में 90 के दशक में गिद्धों की 99 प्रतिशत आबादी के खत्म होने का मुख्य कारण माना जाता रहा है. बाद में दो और पशु चिकित्सा दवाएं एसीक्लोफेनाक और कीटोप्रोफेन गिद्धों के लिए जहरीली पाई गईं, जबकि डिक्लोफेनाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है अन्य दो दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है.

स्टडी में की गई थी दवा पर बैन लगाने की मांग

स्टडी के अनुसार, निमेसुलाइड गिद्धों पर विषैले प्रभाव डालने में डाइक्लोफेनाक के समान कार्य करती है. यदि निमेसुलाइड का पशु चिकित्सा में उपयोग जारी रहता, तो भारत में गिद्धों को और अधिक नुकसान हो सकता था इसलिए अध्ययन में सिफारिश की गई थी कि उपमहाद्वीप में गिद्धों के संरक्षण के लिए भारत सरकार को निमेसुलाइड पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. ये सरकार की ओर से वित्तपोषित प्रोजेक्ट का हिस्सा ता, जिसका शीर्षक था, भारत में पक्षियों पर विशेष ध्यान देने के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के घटकों पर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव की निगरानी और निगरानी के लिए राष्ट्रीय केंद्र. इसे इकोटॉक्सिकोलॉजी विभाग, सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON) और जीवदया चैरिटेबल ट्रस्ट के विशेषज्ञों द्वारा लिखा गया था.

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Usha Pamnani

20 वर्षों से डिजिटल एवं प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता में देश-विदेश, फ़िल्म, खेल सहित सामाजिक खबरों की एक्सपर्ट, वर्तमान में यशभारत डॉट कॉम में वरिष्ठ जिला प्रतिनिधि

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