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भय बिनु होइ न प्रीति: कल शिव तांडव स्तोत्र, आज फि‍र कृष्ण की चेतावनी से भारतीय सेना ने शास्त्र से शस्त्रों तक दिखाई शक्ति

भय बिनु होइ न प्रीति: कल शिव तांडव स्तोत्र, आज फि‍र कृष्ण की चेतावनी से भारतीय सेना ने शास्त्र से शस्त्रों तक दिखाई शक्ति

12 May 2025: भय बिनु होइ न प्रीति: कल शिव तांडव स्तोत्र, आज फि‍र कृष्ण की चेतावनी से भारतीय सेना ने शास्त्र से शस्त्रों तक दिखाई शक्ति। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने लगातार दूसरे दिन प्रेस ब्रीफिंग कर न केवल अपनी रणनीतिक स्थिति स्पष्ट की, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीकों के ज़रिए पड़ोसी मुल्क को सख्त संदेश भी दिया।
पहले दिन सेना की प्रेस वार्ता की शुरुआत शिव तांडव स्तोत्र की गूंज से हुई, तो दूसरे दिन दिनकर की “कृष्ण की चेतावनी और रामचरितमानस की चर्चित पंक्तियाँ मंच पर सुनाई दीं।

भय बिनु होइ न प्रीति

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जब एक पत्रकार ने पूछा कि इन सांस्कृतिक सन्दर्भों के ज़रिए सेना क्या संदेश देना चाह रही है, तो एयर मार्शल ए.के. भारती ने स्पष्ट रूप से कहा:

“दिनकर हमारे राष्ट्रकवि रहे हैं। और मैं आपको रामचरितमानस की पंक्तियाँ याद दिलाना चाहूंगा — ‘बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति।’”
उन्होंने आगे जोड़ा, “समझदार को इशारा काफी है।”

सेना का यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सन्देश सीधे तौर पर आतंक को समर्थन देने वाले पड़ोसी मुल्क को चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है — कि भारत अब प्रतीकों में ही सही, पर स्पष्ट और सख्त भाषा में जवाब दे रहा है। शिव तांडव और कृष्ण चेतावनी भय बिनु होइ न प्रीति से भारत का स्पष्ट संदेश, भारतीय सेना ने शास्त्र से शास्त्रों तक दिखाई शक्ति एयर मार्शल एके भारती ने याचना नहीं अब रण होगा’ की पंक्ति का उदाहरण देते हुए उन्होंने रामचरित मानस की एक चौपाई पढ़ी. उन्होंने कहा, ‘विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।

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एयरमार्शल भारती ने रामचरितमानस की पंक्तियों का उल्लेख किया और कहा कि जब राम समुद्र तट पर उपासना और प्रार्थना कर रहे थे वहां तुलसीदास ने लिखा है– विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीत बोले राम सकोप तब.. भय बिनु होहीं न प्रीत।

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