इतिहास की एक अहम कहानी: सिक्किम के भारत में विलय की पूरी दास्तान
इतिहास की एक अहम कहानी: सिक्किम के भारत में विलय की पूरी दास्तान

इतिहास की एक अहम कहानी: सिक्किम के भारत में विलय की पूरी दास्तान। सिक्किम, जो कभी एक स्वतंत्र रियासत थी, 1975 में भारत का हिस्सा बना। उस समय सिक्किम के राजा (चोग्याल) को नजरबंद कर दिया गया था। इसके बाद जनमत संग्रह कराया गया, जिसमें बहुमत ने भारत के साथ विलय का समर्थन किया। इसी के चलते सिक्किम को भारत का 22वां राज्य घोषित किया गया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र और संघीय ढांचे के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
सिक्किम के भारत में विलय होने के 50 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर पीएम मोदी गुरुवार को सिक्किम जाने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण यह दौरा रद्द कर दिया गया है. उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के गठन से पहले सिक्किम देश का सबसे नया राज्य हुआ करता था. 1975 में सिक्किम का भारत में विलय हुआ, इससे पहले तक यह एक स्वतंत्र रियासत हुआ करता था. यहां नामग्याल राजवंश का शासन था.
भारत में विलय के बाद सिक्किम देश का 22वां राज्य बना. सिक्किम के बारे में जो दिलचस्प पहलू हैं, उसमें एक यह भी है कि भारत सरकार सिक्किम के नागरिकों से इनकम टैक्स नहीं वसूलती. जानिए, सिक्किम का भारत में विलय कैसे हुआ और यहां के लोगों से टैक्स क्यों नहीं वसूलती सरकार।
सिक्किम का भारत में विलय कैसे हुआ?
सिक्किम में नामग्याल राजवंश का शासन हुआ करता था. लेकिन विलय से 5 पांच साल पहले से ही सिक्किम में राजशाही के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए. नतीजा, राजा ने मजबूरन 1973 में चुनाव कराने का फैसला लिया और समझौता किया. यह तय किया गया कि चुनाव भारतीय निर्वाचन आयोग की निगरानी में होंगे. सिक्किम में चुनाव हुए और भारत में विलय करने का प्रस्ताव पारित हुआ. हालांकि, चुनी गई सरकार ने जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव पारित किया, जिसका सिक्किम नरेश ने विरोध भी किया।
सेना ने सिक्किम नरेश को नजरबंद किया और जनमत संग्रह की प्रक्रिया पूरी कराई गई. 97 फीसदी जनता ने सिक्किम को भारत में विलय के पक्ष में मत दिया. जनमत संग्रह के बाद 16 मई, 1975 को सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना।
सिक्किम से टैक्स क्यों नहीं वसूलती सरकार?
सिक्किम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां के किसी भी शख्स को टैक्स नहीं देना पड़ता. इसके लिए कानून है और शर्तें भी. भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA) कहती है पूर्वोत्तर के राज्य सिक्किम को करों का भुगतान करने से छूट प्राप्त है. अब इसकी वजह भी जान लेते हैं।
सिक्किम 330 से अधिक वर्षों तक रियासत था, लेकिन 1975 में इसका भारत में विलय हुआ. विलय की शर्त थी कि जब भारत में मिलने के बाद भी यहां के पुराने टैक्स सिस्टम को बरकरार रखा जाएगा. सिक्किम की नियमावली के मुताबिक, यहां के आधिकारिक निवासी को उनकी आय की परवाह किए बिना केंद्र को कोई भी टैक्स नहीं देना होगा।
आयकर की धारा 10 (26AAA) की धारा कहती है, यहां के निवासी की किसी स्रोत से होने वाली कमाई या ब्याज पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा. जो शख्स 26 अप्रैल, 1975 तक सिक्किम राज्य का नागरिक रहा हो, उसे करों का भुगतान करने से छूट दी जाएगी. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371(एफ) के तहत सिक्किम की विशेष स्थिति में रखते हुए यह दर्जा दिया गया. खास बात है कि सिक्किम के नागरिकों को भारतीय म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए पैन कार्ड देना भी जरूरी नहीं होता।
कब-कब नहीं मिलेगी छूट?
नियम यह भी कहता है कि अगर सिक्किम का शख्स राज्य के बाहर की सम्पत्ति से कमाई कर रहा है तो उसे आय पर टैक्स से राहत नहीं मिलेगी. यह नियम सिक्किम की उन महिलाओं पर भी नहीं लागू होगा जो 1 अप्रैल 2008 के बाद किसी बाहर के राज्य के निवासी से शादी करती हैं यानी उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा. हालांकि, इस बात को लेकर अदालतों में चुनौती दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में पुराने नियम को ही बरकरार रखा।